जस्टिस नीलकंठ गंजू हत्याकांड की जम्मू-कश्मीर पुलिस दोबारा जाँच करेगी। 33 साल पहले उनकी आतंकियों ने हत्या कर दी थी। राज्य जाँच एजेंसी (SIA) को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। एजेंसी ने आम लोगों से मदद की अपील की है।
1989 में जज नीलकंठ गंजू की हत्या की गई थी। उन्होंने ही पुलिस अधिकारी अमर चंद की 1966 में हुई हत्या के मामले में आतंकी मकबूल भट्ट को मौत की सजा सुनाई थी। फैसला सुनाए जाने के समय वे स्पेशल जज थे और बाद में हाई कोर्ट जज के तौर पर रिटायर हुए। जेकेएलएफ के सरगना यासीन मलिक के आदेश पर इस्लामी आतंकवादियों ने उन्हें कोर्ट के बाहर गोलियों से भून दिया था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ने ‘रिटायर जज नीलकंठ गंजू हत्याकांड के पीछे की बड़ी साजिश’ की परतों को खोलने के लिए आम लोगों से मदद माँगी है, और नंबर के साथ ईमेल आईडी जारी करते हुए कहा है कि जानकारी साझा करने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी। साथ ही प्रासंगिक जानकारी देने वाले को उचित रूप से पुरस्कृत किया जाएगा। जनता से इस मर्डर केस से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए 8899004976 या ईमेल [email protected] पर संपर्क करने को कहा गया है।
नीलकंठ गंजू की हत्या
साल 1990 में कश्मीरी पंडितों का घाटी से पलायन भारत के इतिहास का एक काला पन्ना है। कश्मीरी पंडितों की हत्या की शुरुआत साल 1989 से हो गई थी। इसमें सबसे नृशंस हत्या रिटार्यड जज नीलकंठ गंजू की थी। बीजेपी नेता टीका लाल टपलू की हत्या के सात हफ्ते बाद ही नीलकंठ गंजू की 4 नवंबर 1989 को श्रीनर हाई स्ट्रीट मार्केट के पास स्थित हाईकोर्ट के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद दो घंटे तक उनका शव सड़क पर ही पड़ा रहा था। उनकी हत्या के बाद, रेडियो कश्मीर पर एक घोषणा की गई, “अज्ञात हमलावरों ने श्रीनगर के महाराज बाजार में एक पूर्व सत्र न्यायाधीश की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में यासीन मलिक ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी। इसे आतंकी मकबूल भट की मौत का बदला बताया था।
In a fitting and praiseworthy rebuke to the Supreme court, the Government of India has decided to reopen cases of Kashmiri Hindu genocide.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) August 7, 2023
The first to be investigated is the brutal murder of Judge Neelkanth Ganjoo by Yasin Malik's terror group, shown here in the Kashmir Files. pic.twitter.com/ufb5IVeN7L
कौन था मकबूल भट?
मकबूल भट जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (JKLF) का संस्थापक था। उसने 1966 में सीआईडी सब इंस्पेक्टर अमर चंद की हत्या कर दी। अगस्त 1968 में मकबूल भट को तत्कालीन सेशन जज नीलकंठ गंजू ने फाँसी की सजा सुनाई। मगर वह तिहाड़ जेल से भाग गया और पाकिस्तान चला गया। साल 1976 में उसने कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित एक बैंक में डाका डाला और मैनेजर की हत्या की। इस दौरान वह पकड़ा गया और दोबारा उसे फाँसी की सजा सुनाई गई। मकबूल के आतंकी संगठन ने उसे जेल से छुड़ाने के प्रयास में इंग्लैंड स्थित भारतीय उच्चायोग रविंद्र म्हात्रे का अपहरण कर हत्या कर दी। इसके बाद साल 1984 में उसे फाँसी पर लटका दिया।