झारखंड में कोरोना से जंग में राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर सरकारी अस्पतालों में नर्सों और लैब टेक्नीशियनों की संविदा पर भर्ती की थी। लेकिन अभी तक इन कर्मियों को वेतन नहीं दिया गया है। अकेले रिम्स (RIMS) में ही करीब 750 कर्मियों की भर्ती की गई थी, लेकिन अब रिम्स प्रशासन ने सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अब प्रशासन के फैसले के विरोध में गुरुवार (12 अगस्त 2021) को भीख माँगकर विरोध प्रदर्शन किया।
रिम्स प्रशासन द्वारा इन स्वास्थ्यकर्मियों को बाहर करने के आदेश के मुताबिक, उक्त हेल्थ वर्कर्स का अंतिम कार्य दिवस 10 अगस्त 2021 तक ही था। इन कर्मियों को हॉस्टल खाली करने का आदेश दे दिया गया है। इतना ही नहीं रिम्स ने इनका खाना भी बंद करवा दिया है। संविदा कर्मियों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा है कि कोरोना में वो लोग अपने परिवार तक से मिलने से डरते थे, बावजूद इसके उन लोगों ने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया।
इनका कहना है कि न तो इन्हें वेतन दिया गया और नहीं इन कर्मियों के पास स्थाई नौकरी है। आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि न तो खाने के पैसे हैं औऱ न रहने के लिए छत नसीब हो रही है। इसीलिए रिम्स के गेट के सामने भीख माँग रहे हैं ताकि अपना गुजारा कर सकें। स्वास्थ्यकर्मियों ने चेतावनी दी है कि अगर भीख भी नहीं मिली तो रिम्स परिसर में खुद को आग लगा लेंगे।
रिम्स ने एक्सपीरिएंस सर्टिफिकेट तक नहीं दिया
कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से अब तक नर्सों और लैब टेक्नीशियनों को रिम्स ने एक्सपीरिएंस लेटर तक नहीं दिया है। इनकी माँग है कि अगर रिम्स में आवश्यकता नहीं है तो किसी भी जिला अस्पताल में उन्हें नियुक्ति दी जाए। आउटसोर्स पर बहाल हुई एक नर्स के मुताबिक, बिना किसी जाँच के उन्हें काम पर रख लिया गया और अब पैसे भी नहीं दिए जा रहे हैं। हालत इतनी अधिक खराब हो गई है कि अपने घर भी जाने तक के पैसे नहीं बचे हैं।