वामपंथियों का गढ़ माना जाने वाला दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) एक बार फिर से चर्चा में है। मामला है परिसर के अंदर एक छात्रा के यौन उत्पीड़न का। इस मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने शनिवार (28 मई, 2022) को वामपंथियों के स्टूडेंट विंग ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिशन (AISA) के एक मेंबर पर JNU कैम्पस में ही छात्रा के यौन शोषण (Sexual Misconduct) का आरोप लगाया है।
बताया जा रहा है कि आरोपित प्रसन्ना राज नाम का व्यक्ति है, जो कि सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज (CPS) से मास्टर डिग्री कर रहा है। ये कथित घटना जेएनयू के चंद्रबाघा होटल की छत पर हुई। इस घटना को लेकर एबीवीपी ने एक बयान जारी कर कहा, “उसने उसका यौन उत्पीड़न करने की कोशिश के साथ ही उसे पब्लिक में नहीं बोलने को लेकर धमकी भी दी। सीनियर ‘कामरेड’ इस घिनौने कृत्य को दबाने की कोशिशों में जुट गए हैं। अब तक संगठन की किसी भी महिला कार्यकर्ता ने इस वीभत्स हमले के खिलाफ आवाज नहीं उठाई है।”
Enough is enough – unending sexual assaults and harassment by the communists in JNU campus. ABVP condemns misogynist and patriarchal attitude of AISA and entire communist cabal and extend complete solidarity to all survivors. https://t.co/3rhtGjuU7j pic.twitter.com/8MIoZBFbha
— ABVP JNU (@abvpjnu) May 28, 2022
ABVP का कहना है कि लड़की का यौन उत्पीड़न करने की कोशिश करने वाला आरोपित प्रसन्ना जेएनयू के कैम्पस में बेखौफ होकर घूमता देखा गया। वहीं, AISA के लोग उसे दोषी ठहराने की जगह पीड़िता को दोषी साबित करने की कोशिशें कर रहे हैं। छात्र संगठन ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष इस घटना पर चुप्पी मार के बैठ गई हैं। इसमें आगे कहा गया, “नारीवाद का झंडा बुलंद कर ये पहले एक्टिविज्म के नाम पर छात्रों को अपने संगठन में आने का लालच देते हैं। लेकिन जब कभी इनके संगठन (वामपंथियों ) के ही कार्यकर्ता महिलाओं के साथ रेप जैसे घिनौने कृत्य करते हैं तो ये चुप हो जाते हैं।”
पता चला है कि इस घटना को लेकर पीड़िता ने आईशी घोष से मदद माँगी थी, लेकिन घोष ने बड़ी ही चालाकी के साथ पीड़िता को ICC से शिकायत करने से रोकते हुए उसे गैर-मौजूदा GSCASH से संपर्क करने को कहा। ABVP का कहना है कि यह कम्युनिस्ट समूह से जुड़े यौन उत्पीड़न के आरोपितों को बचाने का क्लासिक तरीका है। ABVP ने इसका उल्लेख किया है कि किस तरह वामपंथी संगठन से जुड़े कई लोग पहले भी यौन उत्पीड़न मामलों में शामिल रहे हैं। इसी तरह से आरोप AISA के पदाधिकारी अनमोल रतन पर भी है कि उसने एक छात्रा के साथ उसके ही कमरे पर 2 दिनों तक रेप किया था।
ABVP के मुताबिक, “अकबर चौधरी, केशव कुमार ये कुछ ऐसे आरोपित हैं, जिनके नामों को समय के साथ भुलाया नहीं जाना चाहिए। बहरहाल अगर AISA का नाम बदलकर ‘ऑल इंडिया सेक्शुअल असॉल्टर्स’ भी कर दिया जाए तो किसी तरह की आतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए। इन्हीं वैचारिक और ऑर्गनाइजेशनल समस्याओं के चलते इसके 11 लोग AISA से इस्तीफा दे चुके हैं।”
छात्र संगठन का मानना है, “यूनिवर्सिटी कैंपस के कम्युनिस्ट अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए GSCASH का सहारा ले रहे हैं, क्योंकि AISA और SFI सेक्सुअल असॉल्टर्स को ये बचाता है। ये बात सभी जानते हैं कि दोषी होते हुए भी GSCASH ने किस तरह से अकबर चौधरी, अरशद आलम, शकील अंजुम का बचाव किया था। GSCASH ने दिल्ली पुलिस को FIR रजिस्टर करने से रोककर इन सभी को बचाया था।”
PHD स्टूडेंट से छेड़छाड़
ये घटना इसी साल जनवरी की है। उस दिन 17 जनवरी थी और वक्त रात के 11:45 बजे का था। एक व्यक्ति यूनिवर्सिटी ईस्टर्न गेट से बाइक से अंदर आया और उसने एक लड़की के साथ छेड़छाड़ की। पीड़िता कैंपस के अंदर ही रहने वाली PHD की स्टूडेंट थी। बाद में दिल्ली पुलिस ने अज्ञात आरोपित के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज किया था।
इसी तरह से साल 2018 में JNU की एक छात्रा ने आरोप लगाया था कि कठुआ विरोध प्रदर्शन के ‘हीरो’ ने उसके साथ बलात्कार किया था। पीड़िता ने कहा कि उसन इस घटना को लेकर चुप रहने का विकल्प चुना। आरोपित ने न केवल उसे शारीरिक तौर पर क्षति पहुँचाई, बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया। पीड़िता ने आगे लिखा था कि पहले वो इस कारण से चुप रह गई थी, क्योंकि उसे लगा कि अगर वो इसका खुलासा करती है तो इससे कठुआ में बच्ची के साथ हुई बर्बरता का मामला ठंडा पड़ सकता था।