शुक्रवार (16, अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट के जज डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान एक वकील से कहा कि वो रमजान के दौरान बिना पानी की एक बूँद भी पिए पूरे दिन उपवास करने की उनकी क्षमता की प्रशंसा करते हैं। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकील को राहत देते हुए सुनवाई को स्थगित कर दिया।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 29 नवंबर 2019 के निर्णय के विरुद्ध दाखिल स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुनवाई कर रहे थी। उच्च न्यायालय के इस निर्णय में याचिककर्ता को हत्या का दोषी ठहराया गया था और उसे उम्रकैद की सजा दी गई थी।
याचिककर्ता के वकील ने पीठ से समय माँगते हुए कहा, “रमजान चल रहा है और कोविड-19 का संकट भी है। क्या आप कृपया रमजान के बाद इस मामले को सूचीबद्ध कर सकते हैं?”
लाइव लॉ के अनुसार वकील के इस निवेदन पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “आई एम सॉरी, आप पहले ही बता देते तो हम मामले को स्थगित कर सकते थे। आप कृपया जाइए और आराम करिए। मैं बिना पानी की एक बूँद भी पिए पूरे दिन उपवास रहने की क्षमता की प्रशंसा करता हूँ।“
इसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिककर्ता के वकील को राहत देते हुए एसएलपी पर हो रही सुनवाई को स्थगित कर दिया और एसएलपी पर आगामी सुनवाई के लिए 10 मई 2021 की तारीख को सूचीबद्ध कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केस की बात करें तो यह 4 अप्रैल 2021 तक 67279 के आँकड़े तक पहुँच गई थी। एक रोचक बात और… सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की तरफ से जो वकील पेश हुए थे, उनका नाम के पराशरण है। बहस से समय 92 साल के थे। तब पराशरण ने घंटों खड़े होकर बहस की थी। अदालत में जजों ने उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें बैठ कर बहस करने की सहूलियत दी, लेकिन पराशरण ने कहा कि इंडियन बार की जो परंपरा है, वह उसी हिसाब से चलेंगे।