न्यायपालिका में सुधार को लेकर लंबे समय से बात हो रही है। हाल ही में कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तल्खी भी देखने को मिली थी। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने भी अगस्त 2022 में एक कार्यक्रम के दौरान कॉलेजियम की नियुक्तियों को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि जान-पहचान वालों की ही कॉलेजियम नियुक्ति करता है। अच्छे जज पीछे रह जाते हैं। अब एक रिपोर्ट सामने आई है जिससे पता चला है कि मुख्य न्यायाधीश रहते हुए जस्टिस यूयू ललित ने 40 से अधिक अर्दली और स्टाफ अपने आवास पर रखे थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि जस्टिस उदय उमेश ललित (यूयू ललित) जब देश के मुख्य न्यायाधीश थे तो उनके आवास पर 40 से अधिक चपरासी और सहायक कर्मचारी तैनात थे। रिटायरमेंट के करीब डेढ़ महीने बाद भी उनके पास करीब 28 सहायक कर्मचारी बने हुए हैं। संवैधानिक पद पर रहे किसी व्यक्ति द्वारा अपने आवास पर तैनात कर्मचारियों के आँकड़े को देखे तो यह एक रिकॉर्ड की तरह है।
जस्टिस यूयू ललित देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। उनका कार्यकाल केवल 74 दिन का था। उन्होंने 27 अगस्त 2022 को यह जिम्मेदारी ग्रहण की थी। 8 नवंबर 2022 को रिटायर हो गए थे। इस दौरान उनके आधिकारिक आवास 19, अकबर रोड पर 40 से अधिक सहायक कर्मचारी तैनात थे। यदि उनका कार्यकाल लंबा होता तो संभव है कि यह संख्या कहीं अधिक होती। रिटायरमेंट के करीब डेढ़ महीने हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस ललित के अकबर रोड के आवास में बने हुए हैं। अभी भी 28 अर्दली और सहायक कर्मचारी तैनात हैं। ये वे कर्मचारी हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने साफ-सफाई व अन्य कामों के लिए नियुक्त किया था।
The new Mughals.
— Sandeep Thapar 🇮🇳 (@sandythapar) December 27, 2022
One staff for every two days as CJI (40 staff for 74 days as CJI). 28 staff still retained 45 days after retirement.
Then they pt fingers at the fauji keeping one odd sahayak! pic.twitter.com/IYq1lI3fUK
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि जस्टिस ललित से पहले के CJI के कार्यकाल में अमूमन उनके आधिकारिक आवास पर 12-15 सहायक कर्मचारी ही होते थे। रिटायरमेंट के बाद वे 2-3 कर्मचारी अपने साथ रखते थे। यूयू ललित को ये सभी कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए थे। साथ ही यह भी कहा गया था कि वह दिल्ली में रहें या फिर अपने गृह राज्य जाएँ, इन कर्मचारियों को अपने साथ रख सकते हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति भवन या प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करने वाले सहायक कर्मचारियों की संख्या को छोड़ दिया जाए तो किसी भी अन्य संवैधानिक पद पर रहे व्यक्ति के घर पर इतनी बड़ी संख्या में अर्दली और सहायक कर्मचारी की तैनाती शायद ही मिले।