साल 2019 में हुए कमलेश तिवारी हत्याकांड के आरोपित सैयद आसिम अली को अब जमानत चाहिए। इसके लिए उसने इलाहाबद हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। हालाँकि अदालत ने उसकी इस माँग को खारिज कर दिया। आसिम पूरे हत्याकांड में मुख्य आरोपितों के साथ लगातार संपर्क में था और उसकी भी इस हत्या में अहम भूमिका थी।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अधीनस्थ अदालत (प्रयागराज की अदालत) को आदेश दिया कि वो इस मामले में ट्रायल को पूरा करें। अदालत के अनुसार अगर एक साल में ट्रायल पूरा नहीं होता तो याची हाई कोर्ट आ सकता है। अभी तक इस मामले के 35 गवाहों में से 7 गवाहों का परीक्षण किया गया है। कोर्ट ने जल्द से जल्द ट्रायल पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि आसिम की याचिका को खारिज करने वाला आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सौरभ श्याम शमसेरी की सिंगल बेंच ने दिया। इस मामले में साल 2019 में लखनऊ के नाका हिंडोला थाने में केस दर्ज हुआ था जिसके बाद कमलेश तिवारी के हत्यारे गिरफ्तार किए गए थे।
कमलेश तिवारी हत्याकांड
गौरतलब है कि कमलेश तिवारी ने साल 2015 में पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी की थी। इसके बाद कई कट्टरपंथियों द्वारा उन्हें धमकी मिली, ऐलान हुआ कि जो हत्या करेगा उसे 51 लाख रुपए से लेकर डेढ़ करोड़ तक इनाम मिलेगा। शुरू में कमलेश तिवारी को उनकी टिप्पणी के लिए जेल भेजा गया, लेकिन इससे कट्टरपंथी शांत नहीं हुए, उन्होंने कमलेश की हत्या की साजिश रचना जारी रखा और 2019 में जाकर इसे अंजाम दिया गया।
18 अक्टूबर 2019, घटना के दिन रोज की तरह कमलेश तिवारी पार्टी मुख्यालय पहुँचे थे। इसी दौरान भगवा वस्त्र में दो साजिशकर्ता हाथ में मिठाई का डिब्बा लेकर नेता उनसे मिलने पहुँचे। बातचीत कर साथ में चाय पी और उसके बाद मिठाई के डिब्बे में छिपाकर लाए रिवॉल्वर व चाकू निकाल लिया। चाकू से ताबड़तोड़ 15 से ज्यादा वार उनके गले पर किए। इसके बाद वे गोली मारकर भाग निकले। कमलेश तिवारी को ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। बाद में इन हत्यारों की सीसीटीवी फुटेज सामने आई तो सब सन्न रह गए।
पुलिस ने फुटेज के आधार पर अपनी छानबीन शुरू की तो आरोपित एक के बाद एक गिरफ्तार हुए। आज उस घटना को साढ़े चार साल बीच गए हैं। गिरफ्तारा आरोपितों पर कमलेश तिवारी को दिनदहाड़े गोली मारने या इस हत्या की साजिश रचने का या हत्यारों की मदद करने का इल्जाम है, लेकिन फिर भी उन्हें जमानत चाहिए। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए आसिम को फिलहाल बेल देने से साफ मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सांप्रदायिक घृणा फैलाना और दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या करना गंभीर अपराध है इसलिए बेल किसी कीमत पर नहीं दी जा सकती।