उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में काँवड़ मार्ग में पड़ने वाले दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के योगी सरकार के निर्देश के बाद भले विपक्षी दल इस पर विवाद कर रहे हों, लेकिन यह नियम धीरे-धीरे पूरे उत्तर भारत में लागू हो रहा है। यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार के बाद यह मध्य प्रदेश के उज्जैन, बिहार के गया आदि जगहों पर नेम प्लेट लगने लगे हैं। इसे पूरे मध्य प्रदेश में लागू करने की माँग उठ रही है।
उज्जैन में नेम प्लेट का आदेश
उज्जैन नगर निगम ने शनिवार (20 जुलाई 2024) को दुकान मालिकों को अपनी दुकानों के बाहर अपना नाम और मोबाइल नंबर की प्लेट लगाने का निर्देश दिया। उज्जैन के मेयर मुकेश ततवाल ने कहा कि इस आदेश का पहली बार उल्लंघन करने पर 2,000 रुपए और दूसरी बार 5,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। उन्होंने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
ततवाल ने कहा कि उज्जैन की मेयर-इन-काउंसिल ने 26 सितंबर 2002 को दुकानदारों को अपना नाम प्रदर्शित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। बाद में इसे आपत्तियों और औपचारिकताओं के लिए राज्य सरकार को भेज दिया गया था। अब इस प्रस्ताव को लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेयर ने कहा कि यह कदम एमपी दुकान स्थापना अधिनियम या गुमास्ता लाइसेंस में निहित है।
मेयर ने कहा, “उज्जैन एक धार्मिक और पवित्र शहर है। लोग यहाँ धार्मिक आस्था के साथ आते हैं। उन्हें उस दुकानदार के बारे में जानने का अधिकार है, जिससे वे सामान खरीद रहे हैं। अगर कोई ग्राहक असंतुष्ट है या उसके साथ धोखा हुआ है तो दुकानदार के बारे में जानकारी होने से उसकी समस्या हल हो सकती है।”
वहीं, इंदौर से भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू करने की माँग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दुकानों के बाहर दुकानदार का नाम लिखा जाना चाहिए। उनका तर्क है कि हर छोटा-बड़ा व्यक्ति अपना नाम बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करता है। उन्होंने इसे आस्था के साथ-साथ व्यापार के लिए महत्वपूर्ण बताया।
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के दुकानों पर भी नेम प्लेट
वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ धाम के आसपास स्थित दुकानदारों को भी अपने नाम का बोर्ड लगाना होगा। गोदौलिया में शनिवार (20 जुलाई 2024) को पुलिस ने दुकानदारों से बात की और उन्हें अपना नाम लिखने के लिए कहा। काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में लगभग 500 दुकानें हैं। इन दुकानों में लगभग 15 प्रतिशत दुकानें मुस्लिमों की हैं।
वहीं, राष्ट्रीय हिंदू दल के पदाधिकारियों ने भी दुकानों पर भगवा झंडा और आधार कार्ड रखने के लिए कहा है। उधर, उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने मंदिर के बाहर दुकानदारों को नाम लिखने की अपील की है। बता दें कि सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर में जल चढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस बार लगभग 1 करोड़ लोगों के आने के अनुमान है।
प्रशासन के मुताबिक, इस आदेश के बाद अब मंदिर के बाहर स्थित दुकानदार श्रद्धालुओं को गुमराह करके पूजा सामग्री की बिक्री नहीं कर पाएँगे। दुकान मालिक का नाम लिखकर किराएदार दुकान संचालित नहीं कर सकेंगे। उन्हें बाहर अपना असली नाम-पता लिखना होगा। मंदिर के सामने देवी-देवताओं के नाम लिखकर गैर-धर्म के दुकानदार व्यवसाय करते मिले हैं। पुलिस ने उन्हें नोटिस थमाया है।
मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा, “यह आदेश सरकार के नहीं हैं। पुलिस विभाग ने दुकानदारों की पहचान के लिए सख्ती की है। सोशल मीडिया पर अक्सर ये दिखता है कि एक वर्ग के लोग मांस भी खा रहे हैं और शाकाहारी खाने का सामान भी बेच रहे हैं। ऐसे भी वीडियो देखने में आए हैं कि खाने पर पहले थूकते हैं, फिर बेच रहे हैं। ऐसे में एक वर्ग, जो सामान खरीद रहा है, उसकी आस्था को चोट पहुँचती है।”
बिहार के गया स्थित महाबोधि मंदिर के दुकानदारों ने लगाए नेम प्लेट
उत्तर प्रदेश में शुरू हुए इस नियम को लेकर भले ही विपक्ष राजनीति करे, लेकिन श्रद्धालुओं और दुकानदारों ने इसे सही बताया है। यही कारण है कि बिहार के गया स्थित प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर के बाहर स्थित दुकानदारों ने अपने मन से दुकानों पर नेम प्लेट लगा ली है। हिंदू और मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी स्वेच्छा से फल की दुकानों के आगे ये नेमप्लेट लगा रखा है।
सावन के महीने में बोधगया के महाबोधि मंदिर में भी काँवड़िया पहुँचते हैं और गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव पर जल और बेल पत्र चढ़ाते है। इसको देखते हुए स्थानीय दुकानदारों ने आपसी सहमति से दुकान के आगे नेम प्लेट लगाने का फैसला लिया है। यहाँ पर कुछ फल दुकानदार तो बीते 20 सालों से अपने दुकान पर अपना नाम लिखे हैं। उनका कहना है कि इससे उनके व्यापार पर फर्क नहीं पड़ता।