अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में तलवार (सीरी साहिब) उठा कर गुरु ग्रन्थ साहिब का अपमान करने का आरोप लगा कर एक युवक की मॉब लिंचिंग के एक दिन बाद कपूरथला के निजामपुर गुरुद्वारा से भी ऐसी ही घटना सामने आई, जहाँ एक मानसिक रूप से विक्षिप्त भूखे युवक को सिख भीड़ ने ‘निशान साहिब (पवित्र ध्वज)’ के अपमान का आरोप लगा कर मार डाला, जबकि वो रोटी के लिए वहाँ गया था। अब तक इन दोनों मृतकों की पहचान उजागर नहीं की गई है।
साथ ही कपूरथला के निजामपुर स्थित गुरुद्वारा में ‘बेअदबी’ के आरोप में हुई मॉब लिंचिंग के पीछे खालिस्तानी एंगल भी सामने आ रहा है। रविवार (19 दिसंबर, 2021) को हुई इस घटना के बाद चल रही पुलिस जाँच में पता चला है कि उक्त गुरुद्वारा का सेवादार अमरजीत सिंह अक्सर पाकिस्तान जाया करता था और पहले खालिस्तान के लिए काम करता था। इसके बाद वो ‘CAT’ में शामिल हो गया। ‘New Indian’ नामक मीडिया पोर्टल में पत्रकार रोहन दुआ ने ये जानकारी दी है।
आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि ये ‘CAT’ क्या बला है। असल में 80 के दशक में पंजाब में कट्टरवादी आतंकवाद हावी था। उस दौरान खालिस्तानी कट्टरपंथ अपने चरम पर था। 90 के दशक के शुरुआत में कई खालिस्तानी आतंकियों ने पुलिस के दबाव में आकर खुद को मुखबिर बना लिया और पुलिस के गुप्त अभियानों में उनकी मदद कर के मुख्यधारा की ज़िंदगी में वापसी की। उन्हें ही ‘CAT’ कहा गया। इस घटना में भी अब खालिस्तानी एंगल सामने आ रहा है।
‘New Indian’ ने पंजाब पुलिस के सूत्रों के हवाले से ये भी जानकारी दी है कि कपूरथला के निजामपुर गुरुद्वारा का सेवादार अमरजीत सिंह कमिश्नर रैंक के एक पुलिस अधिकारी का भी करीबी है, जिसे ‘शिरोमणि अकाली दल (SAD)’ और कॉन्ग्रेस के शासनकाल में मोहाली और लुधियाना में मनचाही पोस्टिंग मिली थी। इस घटना के बाद भी उसने उक्त पुलिस अधिकारी से 3 बार सम्पर्क किया। कपूरथला जालंधर पुलिस जोन में आता है। पंजाब पुलिस इन संदिग्ध कॉल्स का विवरण जुटाने में नाकाम रही है।
Kapurthala gurudwara caretaker Amarjit Singh was a frequent visitor To Pakistan
— Rohan Dua (@rohanduaT02) December 22, 2021
His calls to Pakistan & movement under lens
He could produce no evidence to support sacrilege claim pic.twitter.com/0J1oNKI8k0
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसके फोन कॉल रिकार्ड्स से लेकर पासपोर्ट डिटेल्स तक की जाँच की जा रही है। उसने पूछताछ में बताया है कि बतौर CAT कमांडो काम करते हुए वो कुछ पुलिस अधिकारियों के सम्पर्क में आया था। इस मामले में हत्या की FIR दर्ज की जा सकती है। उसके मोबाइल फोन को भी जब्त कर लिया गया है। मृतक के गर्दन, कमर और पाँव पर कटने के 8 गहरे निशान पोस्टमॉर्टम में मिले। पुलिस जब मौके पर पहुँची थी, तब तक मृतक जीवित था और तलवार लिए भीड़ उसे घेरे हुई थी। ‘बेअदबी’ के अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं।
जब सेवादार ने उस व्यक्ति को देखा, तो उसने भागने की कोशिश की और अंततः सेवादारों ने उसे पकड़ लिया। उस व्यक्ति की उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच में थी, जिसे गुरुद्वारा परिसर के एक कमरे में रखा गया था। पुलिस को उसे हिरासत में नहीं लेने नहीं दिया गया। और गुस्साई भीड़ ने उसे पीट-पीट कर मार डाला। पुलिस ने बताया था कि मृतक को एक सेवादार (स्वयंसेवक) ने भूतल पर स्थित रसोई में उसे रोटियाँ खाते हुए देखा था। गुरुद्वारा इंचार्ज को पुलिस का आना पसंद नहीं है और वह इलाके में भी पुलिस की मौजूदगी पर आपत्ति जताते रहे हैं।