Monday, July 14, 2025
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रमजान के महीने में मस्जिदों में 5 वक़्त की नमाज पर कर्नाटक सरकार ने लगाया बैन, अजान और लाउडस्पीकर भी रहेंगे प्रतिबंधित

हाल ही में केंद्र सरकार ने भी 24 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान के महीने के लिए लोगों से अपील की है कि लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों एवं सोशल डिस्टेंन्सिंग का पूरी ईमानदारी से पालन करें। साथ ही इस दौरान अपने-अपने घरों पर ही नमाज पढ़ें।

देशव्यापी बन्द के बीच कर्नाटक सरकार ने रमजान के दौरान मस्जिदों में पढ़ी जाने वाली 5 बार की सामूहिक नमाज पर रोक लगा दी है। नमाज प्रतिबंध पर राज्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, वक्फ और हज विभाग ने कहा है कि नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों के कर्मचारियों द्वारा किसी भी सार्वजनिक स्थान का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

दरअसल, देशव्यापी बन्द के बीच ही 23 अप्रैल-23 मई तक रमजान (Ramadan) आने वाला है। इसी वजह से कर्नाटक सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा रमजान के दौरान दावत-ए-सहरी और इफ्तार पार्टी पर भी पूरी तरह से सरकार द्वारा प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। इसके अलावा अजान भी कम आवाज में होगी और लाउडस्पीकर पर भी रोक लगाई गई है।

हाल ही में केंद्र सरकार ने भी 24 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान के महीने के लिए लोगों से अपील की है कि लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों एवं सोशल डिस्टेंन्सिंग का पूरी ईमानदारी से पालन करें। साथ ही इस दौरान अपने-अपने घरों पर ही नमाज पढ़ें और नमाज प्रतिबंध आदि का पालन करें।

कर्नाटक सरकार की यह रोक मस्जिद के अलावा दरगाह और इमामबाड़ों में सामूहिक आयोजनों पर भी लागू है। आदेश में कहा गया है कि धीमी आवाज में अजान दी जा सकेगी। मस्जिद परिसर में मोहल्‍लों में वितरण के लिए किसी खाद्य सामग्री को तैयार नहीं किया जाएगा। इसके अलावा मस्जिद और दरगाह के आसपास कोई खाने की दुकान लगाने की भी इजाजत नहीं होगी। ऐसा न करने पर या सरकारी आदेश का उल्‍लंघन करने वाले के खिलाफ वक्‍फ ऐक्‍ट 1995 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में पिछले 12 घंटे के अंदर 34 नए केस आए हैं। अब तक प्रदेश में 313 लोगों के अंदर संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसमें से 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 82 लोग डिस्चार्ज हो चुके हैं।

यह भी देखा गया है कि देशभर में लोगों ने सामूहिक नमाज पढ़ने के लिए कई बार लॉकडाउन के नियमों का उलंघन किया है। जिस कारण आने वाला रमजान का महीना चिंता का विषय बन गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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