सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 16 मार्च, 2022 को हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। कहा कि वह होली की छुट्टी के बाद कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका अधिवक्ता संजय हेगड़े और देवदत्त कामत के माध्यम से दायर की गई है। इससे पहले हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है और स्कूल व कॉलेज में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध के राज्य सरकार के निर्णय को बरकरार रखा था।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील संजय हेगडे ने चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख करते हुए जल्द सुनवाई की गुहार लगाई। हेगड़े ने कहा, “अत्यावश्यक यह है कि कई लड़कियाँ हैं जिन्हें कॉलेजों में जाना है। कृपया मामले की सुनवाई सोमवार 21 मार्च को करें।”
चीफ जस्टिस रमण ने कहा, “दूसरों ने भी इस मामले का उल्लेख किया है। हम होली की छुट्टियों के बाद मामले को सूचीबद्ध करने पर विचार करेंगे।” हालाँकि, चीफ जस्टिस ने सुनवाई के लिए कोई तारीख निर्धारित नहीं की है।
कर्नाटक में बंद का फ़तवा
वहीं दूसरी ओर अमीर-ए-शरीयत कर्नाटक, मौलाना सगीर अहमद खान रशदी ने हिजाब से संबंधित उच्च न्यायालय के फैसले पर दुख व्यक्त करते हुए गुरुवार (17 मार्च, 2022) को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है।
एक वीडियो संदेश में, रशदी ने कहा, “मैं सभी मुसलमानों से अनुरोध करता हूँ कि वे यहाँ पढ़े गए फतवे को ध्यान से सुनें और इसे सख्ती से लागू करें। हिजाब को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के दुखद आदेश के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कल 17 मार्च को पूरे कर्नाटक राज्य में पूरे दिन के लिए पूर्ण बंद रहेगा। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के हर वर्ग से बंद में भाग लेने की अपील की।”
“इसे सफल बनाएँ और शासकों को बताएँ कि धार्मिक प्रथाओं का पालन करते हुए शिक्षा प्राप्त करना संभव है। हम न्यायप्रिय लोगों और मिल्लत-ए-इस्लामिया से भी बंद का पालन करने का अनुरोध करते हैं।”
उडुपी एवं शिवमोगा में कक्षाओं का बहिष्कार
वहीं एक दूसरे मामले में उडुपी में गवर्नमेंट प्री यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की छह मुस्लिम छात्राओं ने कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति माँगने वाली उनकी याचिका को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के एक दिन बाद बुधवार को भी कक्षाओं में नहीं आईं। छात्राएँ अपने स्टैंड पर अड़ी रहीं कि वे बिना स्कार्फ के कॉलेज में प्रवेश नहीं करेंगी और कानूनी रूप से केस लड़ेंगी।
जब दूसरी प्री-यूनिवर्सिटी कक्षाओं की प्रारंभिक परीक्षा चल रही थी, तब वे अनुपस्थित थे।
शिवमोग्गा के कमला नेहरू कॉलेज में, जहाँ सबसे पहले भी हिजाब को लेकर हंगामा हो चुका है, वहाँ 15 लड़कियाँ यह कहकर घर लौट आईं कि वे बिना हिजाब पहने कॉलेज में प्रवेश नहीं करेंगी। बता दें कि जिला मुख्यालय का यह वही शहर है जहाँ हाल ही में बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी, जिससे तनाव पैदा हो गया था।
यहाँ 15 लड़कियाँ बुर्का और हिजाब के साथ क्लास करने पहुँची थीं लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने प्रवेश पर रोक लगा दी और उन्होंने भी बहिष्कार करते हुए कक्षाओं में नहीं जाने का फैसला किया। उनमें से एक ने कहा कि हिजाब उनका मजहबी अधिकार और पहचान है और वे इसके बिना कॉलेज में प्रवेश नहीं कर सकतीं।
गौरतलब है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपने 129-पृष्ठ के आदेश में कहा कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और राज्य सरकार के 5 फरवरी के आदेश को बरकरार रखा है जो परिसर में किसी भी कपड़े के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है जो शांति, सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकता है।
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जे एम खाजी की पूर्ण पीठ का गठन तब किया गया जब तटीय जिला मुख्यालय शहर उडुपी के कुछ छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और शैक्षणिक संस्थानों की कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति माँगी थी।