सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने गुरुवार (15 सितंबर 2022) को सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने भीमराव अंबेडकर का जिक्र किया था। उन्होंने कहा, “अंबेडकर का बयान एकतरफा और पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। अब इस तरह की चीजों को भारत में नहीं दोहराया जा सकता है।”
मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ से कहा, “भीमराव अंबेडकर का बयान महान है, लेकिन यह एक आपत्तिजनक बयान भी है। यह ऐसा नहीं है, जिसे भारत में दोहराया जाना चाहिए। यह पूरी तरह से पक्षपाती बयान है।” इस पर जस्टिस धूलिया ने कहा, “डॉ अंबेडकर ने उस समय के संदर्भ में यह टिप्पणी की थी।”
कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा, “हाई कोर्ट द्वारा की गई कई टिप्पणियों ने समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया और अन्य धर्मों को इस्लाम के बारे में भ्रामक जानकारी दी।” गोंजाल्विस के अनुसार:
“हाई कोर्ट का फैसला बहुसंख्यक समुदाय से जुड़ा है, जहाँ अल्पसंख्यक दृष्टिकोण को आंशिक रूप से देखा गया। इसमें संवैधानिक स्वतंत्रता नहीं है। फैसले में चौंकाने वाले तथ्य हैं, जो आहत करते हैं। हिजाब को भी सिख पगड़ी और कृपाण की तरह संरक्षण मिलना चाहिए।”
Gonsalves : The wrong equation of hijab with law and order problem is a shocking formulation.#Hijab #SupremeCourt
— Live Law (@LiveLawIndia) September 15, 2022
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने गोंजाल्विस से कहा कि कोर्ट को हर केस का फैसला उसके सेटअप के आधार पर करना होता है। इस केस में मामला यह था कि क्या यह (हिजाब) एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है। हाई कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अपना फैसला सुनाया है। दलील देने का सवाल यह था कि क्या इन लड़कियों ने विवाद से पहले हिजाब पहन रखा था।
सुप्रीम कोर्ट के पीठ की इस टिप्पणी पर वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने जवाब दिया कि पूछा जाने वाला सवाल यह नहीं है कि कुछ लड़कियों ने हिजाब पहना था या नहीं। सवाल यह है कि क्या हिजाब इस्लाम का एक हिस्सा है, तो इसका जवाब है कि यह निश्चित रूप से है। लाखों लड़कियाँ इसे पहनती हैं। वे इसे जरूरी मानती हैं।
गोंजाल्विस ने हाई कोर्ट के फैसले को आहत करने वाला बताते हुए उन टिप्पणियों का भी उल्लेख किया, जिसमें हिजाब पहनने पर जोर देना महिलाओं की आजादी के खिलाफ बताया गया है। उन्होंने कहा:
“यह न्याय की भाषा नहीं है। यह कोई निर्णय नहीं है, जिसे पारित किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट का फैसला अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सम्मानजनक नहीं है। यह एकतरफा दृष्टिकोण था। इस निर्णय को रद्द कर हाई कोर्ट की एक अलग पीठ को वापस भेजा जाना चाहिए।”
पर्दा प्रथा पर अंबेडकर की टिप्पणी
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का भी जिक्र किया था। अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर रोक को सही ठहराते हुए पर्दा प्रथा पर अंबेडकर की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा था:
“पर्दा प्रथा पर उनकी वह राय हिजाब के मसले पर भी लागू होती है। पर्दा, हिजाब जैसी चीजें किसी भी समुदाय में हों तो उस पर बहस हो सकती है। इससे महिलाओं की आजादी प्रभावित होती है। यह संविधान की उस भावना के खिलाफ है, जो सभी को समान अवसर प्रदान करने, सार्वजनिक जीवन में हिस्सा लेने और पॉजिटिव सेक्युलरिज्म की बात करती है।”
हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट का फैसला
बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट में 14 मार्च को हिजाब मामले में फैसला आया था। इसमें कहा गया था कि छात्राएँ तय यूनिफॉर्म को पहन कर आने से इनकार नहीं कर सकती हैं। इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएँ डालकर चुनौती दी गई है।