Monday, March 31, 2025
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‘कोई मिनी-मिडी में स्कूल आना चाहे तो उसे आने दें क्या’ : कर्नाटक बुर्का विवाद पर SC का सवाल, जस्टिस ने कहा- पगड़ी और हिजाब एक नहीं

बेंच ने मुख्य याचिकाकर्ता के वकील से कहा, "आप हिजाब या स्कार्फ पहनने के हकदार हो सकते हैं, लेकिन क्या आप एक यूनिफॉर्म निर्धारित जगह पर इस अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं?"

कर्नाटक के हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केस की सुनवाई की तारीख 7 सितंबर 2022 तय की। इससे पहले कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि क्या स्कूल में छात्र कुछ भी पहन सकते हैं जो उनकी इच्छा हो और क्या मजहबी अभ्यासों को स्कूल से अलग नहीं रखना चाहिए?

जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धुलिया ने मुख्य याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े से पूछा,

“क्या छात्र मिनी, मिडी जो चाहें उसे पहनकर स्कूल में आ सकते हैं। आपके पास धार्मिक अधिकार हो सकता है। पर ये अधिकार क्या शैक्षणिक संस्थानों के भीतर भी ला सकते हैं जहाँ यूनिफॉर्म निर्धारित की गई हों?”

बेंच ने कहा, “आप हिजाब या स्कार्फ पहनने के हकदार हो सकते हैं, लेकिन क्या एक यूनिफॉर्म निर्धारित जगह पर इस अधिकार का लाना ठीक है?

सुप्रीम कोर्ट के सवालों पर हेगड़े ने उत्तर देने की बजाय कहा, “क्या किसी को सिर्फ इसलिए कॉलेज से निकाला जा सकता है क्योंकि उसने तय यूनिफॉर्म कोड का पालन नहीं किया, ये उचित है क्या?” उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा राज्य के कानून में कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी की कोई मान्यता नहीं है जबकि यही कमेटी ड्रेस कोड तय करती है।

हेगड़े की दलील पर एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया, “डेवलपमेंट कमेटी यूनिफॉर्म निर्धारित करती है क्योंकि राज्य सरकार ने उन्हें अधिकार दे रखा है। इस कमेटी में शिक्षक, पेरेंट्स, स्थानीय विधायक होते हैं। मुस्लिम कॉलेज में भी यूनिफॉर्म वहाँ की कमेटी तय करती है।”

वहीं, जस्टिस गुप्ता ने हेगड़े की बात सुन कहा कहा कि पब्लिक प्लेस पर ड्रेस कोड लागू होता ही है। एक महिला वकील बीते दिनों जींस पहनकर आ गईं थीं, उन्हें भी तुरंत मना किया है। इसी तरह गोल्फ कोर्स का भी अपना ड्रेस कोड होता है। इसके बाद कोर्ट ने कहा, “हिजाब का जो पूरा विवाद है वो धार्मिक नहीं है। केस की अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी।”

मालूम हो कि इस सुनवाई में हिजाब को उचित ठहराने के लिए पगड़ी और तिलक पर भी वकील राजीव धवन ने प्रश्न खड़े किए। हालाँकि जस्टिस गुप्ता ने कहा, “पगड़ी को हिजाब के समान नहीं कहा जा सकता, वह धार्मिक नहीं होती। इसे राजशाही दरबारों में पहना जाता था। मेरे दादा जी कानून की प्रेक्टिस करते हुए उसे पहनते थे। इसकी तुलना हिजाब से मत कीजिए।”

हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था?

बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट में 14 मार्च को हाईकोर्ट का फैसला आया था। इसमें कहा गया था कि छात्राएँ तय यूनिफॉर्म को पहनकर आने से मना नहीं कर सकती हैं। इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएँ डालकर चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन, कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और संजय हेगड़े पक्ष को रख रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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