कर्नाटक में कोलार के सरकारी स्कूल में विद्यार्थियों को नमाज पढ़ने की अनुमति जिस प्रधानाध्यापिका ने दी थी, उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। यह घटना मुलबगल सोमेस्वरा पलाया बाले चंगप्पा सरकारी कन्नड़ मॉडल हायर प्राइमरी स्कूल (Mulbagal Someswara Palaya Bale Changappa Government Kannada Model Higher Primary School) की थी। प्रधानाध्यापिका का नाम उमा देवी है।
सरकारी स्कूल में नमाज क्यों? इस मामले को लेकर कोलार के जिलाधिकारी उमेश कुमार ने विस्तृत रिपोर्ट प्रशासन से मँगवाई थी। मामले की जाँच कर रहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी गिरीजेश्वरी देवी ने प्रधानाध्यापिका उमा देवी को नमाज प्रकरण में सस्पेंड किया। स्कूल के भीतर विद्यार्थियों के द्वारा नमाज शुक्रवार (21 जनवरी 2022) को पढ़ी गई थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी गिरीजेश्वरी देवी ने बताया कि जाँच के लिए स्कूल में चार सदस्यीय टीम भेजी गई थी। जाँच में यह पाया गया कि प्रधानाध्यापिका ने शुक्रवार को स्कूल में छात्रों को नमाज अदा करने की अनुमति देकर गलती की है। इस फैसले के पीछे तर्क देते हुए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि मुस्लिम छात्रों को ब्रेक के समय नमाज की अनुमति दी जाती है लेकिन स्कूल परिसर में नमाज की अनुमति नहीं है। सरकारी स्कूलों में किसी भी प्रकार की धार्मिक प्रार्थना करने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया गया है।
जाँच रिपोर्ट में कहा गया, “प्रधानाध्यापिका ने स्कूल में नमाज करवाने के अपने फैसले के बचाव में तर्क दिए हैं।” प्रधानाध्यापिका उमा देवी ने पहले बताया था कि उन्हें जानकारी नहीं थी कि स्कूल में नमाज हो रही है। हालाँकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूल के एक कमरे में नमाज की अनुमति उन्होंने दी थी ताकि अधिक से अधिक मुस्लिम छात्रों को स्कूल में शामिल किया जा सके।
After Namaz on roads,parks now Namaz in classroom in kolar Karnataka. Next what Bakra Eid in schools? pic.twitter.com/8tkuWQ5Wkm
— ATUL (@atulahuja_) January 24, 2022
यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। वीडियो के आधार पर प्रधानाध्यापिका उमा देवी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की जा रही थी। इस मामले में हिन्दू संगठनों ने भी विरोध दर्ज करवाया था।
बाले चंगप्पा सरकारी कन्नड़ मॉडल हायर प्राइमरी स्कूल में लगभग 400 छात्र हैं। इनमें 165 छात्र मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। डिप्टी डायरेक्टर ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन रेवाना सिद्दप्पा ने इस मामले की जाँच कर के रिपोर्ट सौंपी थी। निलंबन की कार्रवाई उनकी ही रिपोर्ट पर हुई है।
गौरतलब है कि कुछ छात्रों ने क्लास के दौरान बाहर जा कर नमाज़ पढ़ने की अनुमति माँगी थी। इस अनुमति को देने के बजाय प्रधानाध्यापिका ने खुद ही उन्हें स्कूल के अंदर नमाज़ पढ़ने के लिए कह दिया। जब हिन्दू संगठनों ने उनसे इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कोई जानकारी होने से मना कर दिया था। साथ ही खुद वहाँ न होने की बात कही थी। इसके बाद मामले की शिकायत बड़े अधिकारियों से की गई थी।