तमिलनाडु के बाद अब कर्नाटक के एक गाँव पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक दिया है। यहाँ की 1200 एकड़ (लगभग 2000 बीघा) जमीन पर शाह अमीनुद्दीन दरगाह ने अपना हक जताया है। राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार ने किसानों को नोटिस भेजा है। विजयपुरा जिले के टिकोटा तालुक स्थित होनवाड़ा गाँव के किसानों ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को इसकी शिकायत मंत्री एमबी पाटिल से की।
किसानों ने मंत्री को बताया कि उन्हें नोटिस मिला है, जिसमें कहा गया है कि उनकी ज़मीनें वक्फ बोर्ड की हैं। किसानों का दावा है कि अधिकारी इस क्षेत्र को शाह अमीनुद्दीन दरगाह से जुड़ी मुस्लिमों की मजहबी संस्था के रूप में नामित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह नोटिस तहसीलदार द्वारा भेजी गई है। उसमें पुराने सरकारी रिकॉर्ड का हवाला देते हुए ज़मीनें वक्फ बोर्ड की बताई गई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, आवास, वक्फ और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री जमीर अहमद खान ने इस महीने की शुरुआत में वक्फ अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में वक्फ भूमि पर ‘अतिक्रमण’ को लेकर चर्चा की गई थी। इन चर्चाओं के बाद अधिकारियों ने ‘अवैध अतिक्रमण’ को हटाने का प्रयास किया और इसके तहत यह विवादास्पद नोटिस भेजा गया है।
EXCLUSIVE BREAKING:
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) October 25, 2024
Is there a move to grab hundreds of acres of land by Waqf Board in Vijayapura district of Karnataka just days ahead of Parliament taking up the WAQF Amendment Bill?
Vijapura district farmers make startling disclosure to @harishupadhya
They claim that… pic.twitter.com/9BQq0HryAX
होनवाड़ा ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष सुनील शंकरप्पा तुडीगल ने कहा, “नोटिस में कहा गया है कि यह ज़मीन शाह अमीनुद्दीन दरगाह की है, लेकिन यह दरगाह सदियों से अस्तित्व में नहीं है, जबकि पीढ़ियों से हमारे परिवार इन ज़मीनों के मालिक हैं। लगभग 41 किसानों को नोटिस मिले हैं। उनसे स्वामित्व का कागजात देने के लिए कहा गया है। अगर सरकार नोटिस वापस नहीं लेती है तो हम विरोध प्रदर्शन करेंगे।”
वक्फ बोर्ड का दावा किया कि ये नोटिस 1974 के गजट की घोषणा पर आधारित है। विजयपुरा वक्फ बोर्ड की अधिकारी तबस्सुम ने कहा, “भूमि को राज्य सरकार द्वारा वक्फ संपत्ति के रूप में चिह्नित किया गया था और इसे गजट में दर्ज किया गया था। हालाँकि, कुछ नोटिस गलती से किसानों को भेज दिए गए थे। अगर उनके पास वैध भूमि रिकॉर्ड हैं तो वक्फ बोर्ड उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा।”
नोटिस मिलने के बाद किसानों की नींद हराम हो गई है। वे तनाव में आ गए हैं और अब उनके सामने जीवन-यापन की समस्या खड़ी हो गई है। इसको देखते हुए उन्होंने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। होनवाड़ा के किसानों ने घोषणा की है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने न्याय मिलने तक अपना संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है।
एक अन्य चिंतित किसान ने कहा, “हमें अभी तक कोई न्याय नहीं मिला है। जिला प्रशासन चुपचाप हमारी जमीन छीनने का काम कर रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमारे पास विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। हमारी जमीन हमारी आजीविका है और हम इसे किसी भी हालत में किसी को छीनने नहीं देंगे।”
बढ़ते असंतोष को देखते कर्नाटक के जिला प्रभारी मंत्री एमबी पाटिल ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को संबोधित करते हुए किसानों को आश्वासन दिया कि वक्फ से संबंधित कोई भी निजी भूमि या संपत्ति प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी भूमि को गलत तरीके से वक्फ संपत्ति के रूप में चिह्नित किया गया है तो इसे ठीक करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँगे।
पाटिल ने कहा, “मैंने पहले ही जिला प्रशासन के साथ इस पर चर्चा की है। किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक बैठक आयोजित की जाएगी।” पाटिल ने किसानों से शांत रहने का आग्रह किया और वादा किया कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी। इन आश्वासनों के बावजूद किसानों में इस मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है।
कर्नाटक भाजपा ने राज्य सरकार पर वक्फ बोर्ड की कार्रवाई का समर्थन करने का आरोप लगाया है। भाजपा ने अपने पोस्ट में कहा, “कॉन्ग्रेस सरकार के प्रोत्साहन पर वक्फ बोर्ड अब किसानों की जमीन हड़पने की कोशिश कर रहा है। यह तुष्टिकरण की राजनीति के अलावा और कुछ नहीं है।” पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वक्फ अधिनियम में बदलाव करना चाहते हैं, जिसका कॉन्ग्रेस ने विरोध किया है।
ಇಷ್ಟು ದಿನ ಸರ್ಕಾರಿ ಜಮೀನು, ಆಸ್ತಿಗಳಿಗೆ ಕಣ್ಣು ಹಾಕುತ್ತಿದ್ದ ವಕ್ಫ್ ಬೋರ್ಡ್ ಇದೀಗ ರೈತರ ಜಮೀನನ್ನೂ ಕಬಳಿಸಲು ಹೊರಟಿದೆ.
— BJP Karnataka (@BJP4Karnataka) October 21, 2024
ಒಂದು ಕಡೆ ಪ್ರಧಾನಿ ಶ್ರೀ @narendramodi ಅವರ ಎನ್ಡಿಎ ಸರ್ಕಾರ ವಕ್ಫ್ ಕಾಯಿದೆಗೆ ತಿದ್ದುಪಡಿ ಮಾಡಲು ಹೊರಟಿದ್ದರೆ, ತುಷ್ಟೀಕರಣ ರಾಜಕೀಯಕ್ಕಾಗಿ @INCIndia ಇದನ್ನು ವಿರೋಧಿಸುತ್ತಿದೆ.
ಮತ್ತೊಂದು ಕಡೆ… https://t.co/9VlBQSDJpJ
भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कॉन्ग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “वैध दस्तावेजों के साथ उनकी 1,500 एकड़ से अधिक पुश्तैनी कृषि भूमि पर वक्फ बोर्ड ने एकतरफा दावा किया है, जिससे इन किसानों की आजीविका और पीढ़ियों से चली आ रही संपत्ति के अधिकार खतरे में पड़ गए हैं।”
उन्होंने कहा, “कॉन्ग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड को देश भर में भूमि पर दावा करने की बेलगाम शक्ति दी है। 1995 और 2013 में कॉन्ग्रेस सरकारों ने वक्फ बोर्ड को त्वरित जाँच के बाद किसी भी भूमि को वक्फ घोषित करने, अंतिम अधिकार के साथ अपने स्वयं के न्यायाधिकरण के माध्यम से फैसला करने और धारा 54 के तहत अतिक्रमण हटाने के लिए अनियंत्रित शक्तियाँ दी थीं।”
तेजस्वी सूर्या ने कहा, “मोदी 3.0 सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर जेपीसी के माध्यम से सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम न्याय और स्थायी समाधान के लिए ऐसे मामलों को समिति के ध्यान में ला रहे हैं। किसानों के हित की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी अपनी जमीन से वंचित न हो, मामलों को उच्च न्यायालय में लड़ेंगे। अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
Interacted with farmers of Honvada village, Tikota Taluk, Vijayapura District this morning.
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) October 25, 2024
Over 1,500 acres of their ancestral agricultural land with valid documents have been unilaterally claimed by the Waqf Board, threatening these farmers livelihoods and generational… pic.twitter.com/OnHsoGVPWf
इस बीच एमबी पाटिल ने कहा, “अगर किसानों के पास वैध स्वामित्व रिकॉर्ड हैं तो उनकी ज़मीन प्रभावित नहीं होगी।” बढ़ते विवाद ने वक्फ संपत्ति प्रबंधन में अधिक खुलेपन और भूमि मालिकों के अधिकारों की रक्षा को रेखांकित किया है। सरकार को किसानों के अधिकारों की रक्षा करने और वक्फ भूमि के प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी रणनीति प्रदान करने के लिए जल्दी से कार्रवाई करनी चाहिए।
हिंदुओं के पूरे गाँव को ही वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था
यह पहली बार नहीं कि वक्फ बोर्ड ने इस तरह का दावा किया है। इससे पहले सितंबर 2022 में तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने हिंदुओं के पूरे गाँव और 1100 साल पुराने मंदिर पर दावा ठोक दिया था। तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने त्रिची के नजदीक स्थित तिरुचेंथुरई गाँव को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था। जब राजगोपाल नाम के व्यक्ति ने अपनी जमीन बेचने का प्रयास किया तो यह मामला समाने आया था।
राजगोपाल जब अपनी जमीन बेचने के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस पहुँचे तो उन्हें पता चला कि जिस जमीन को बेचने के बारे में वह सोच रहे हैं वह उनकी है ही नहीं बल्कि, जमीन वक्फ हो चुकी है और अब उसका मालिक वक्फ बोर्ड है। इतना ही नहीं, सारे गाँव वालों की जमीन ही वक्फ संपत्ति घोषित हो चुकी थी। इसके बाद यह मामला राष्ट्रीय सुर्खी बनी थी।
वक्फ बोर्ड ने 5 स्टार होटल पर ठोक दिया दावा
इसी तरह का मामला अप्रैल 2024 में हैदराबाद से आया था। तेलंगाना वक्फ बोर्ड ने राजधानी के एक नामी 5 स्टार होटल मैरियट को ही अपनी जागीर घोषित कर दिया था। हालाँकि, हाई कोर्ट ने उसके इस मंसूबे को धाराशायी कर दिया था। दरअसल, साल 1964 में अब्दुल गफूर नाम के एक व्यक्ति ने तब वायसराय नाम से चर्चित इस होटल पर अपना हक जताते हुए मुकदमा कर दिया था।
मुकदमे में वक्फ अधिनियम 1954 का हवाला दिया गया था, जिसकी वजह से होटल मैरियट की सम्पत्ति विवादित घोषित हो गई थी। लगभग 50 वर्षों तक वक्फ बोर्ड ने यह मामला कानूनी पेचीदगियों में उलझाए रखा। साल 2014 में एक बार फिर से तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड होटल मैरियट के खिलाफ सक्रिय हुआ। मामला हाईकोर्ट में पहुँचा तो अंतिम फैसला होटल मैरियट के पक्ष में आया।
कॉन्ग्रेस ने वक्फ को दिए असीमित अधिकार
यहाँ बताना जरूरी है कि साल 1954 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया। इसके बाद इसका केंद्रीकरण हुआ। वक्फ एक्ट 1954 वक्फ की संपत्तियों के रखरखाव का काम करता था। इसके बाद से इसमें कई बार संशोधन हुआ। साल 2013 में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने बेसिक वक्फ़ एक्ट में संशोधन करके वक्फ बोर्डों को और अधिकार दिए थे।
दरअसल, वक्फ अरबी भाषा का शब्द है और इसका अर्थ संपत्ति को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना है। इस्लाम में में वक्फ उस संपत्ति को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले लोगों द्वारा जकात के रूप में दान की जाती है। ये धन-संपत्ति सिर्फ मुस्लिमों के हित या इस्लाम के प्रसार-प्रसार के लिए काम में लाया जा सकता है। ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है।
वक्फ के पास 9.4 लाख एकड़ संपत्ति
सूत्रों ने बताया कि मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और शिया एवं बोहरा जैसे विभिन्न फिरकों की ओर से मौजूदा कानून में बदलाव की माँग की गई थी। संशोधन लाने की तैयारी 2024 के लोकसभा चुनावों से काफी पहले ही शुरू हो गई थी। सूत्र ने यह भी कहा कि ओमान, सऊदी अरब जैसे किसी भी इस्लामी देश में इस तरह की इकाई को इतने अधिकार नहीं दिए गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों के वक्फ़ बोर्डों के पास इस समय करीब 8.7 लाख संपत्तियाँ हैं। इन संपत्तियों का क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्य में वक्फ बोर्डों की इस शक्ति के दुरुपयोग का संज्ञान लिया था। वक्फ बोर्डों द्वारा किसी भी संपत्ति पर दावा करने पर अधिकांश राज्यों में इन संपत्ति के सर्वे में देरी होती थी।
इसके बाद केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया था। वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील सिर्फ कोर्ट के पास हो सकती है। ऐसी अपीलों पर फैसले के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है। कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है। वहीं हाईकोर्ट में PIL के अलावा अपील का कोई प्रावधान नहीं है।