जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में सरपंच अजय पंडिता की हत्या के बाद डर और खौफ का माहौल है। खबर है कि कश्मीरी पंडितों ने एक बार फिर घाटी से पलायन शुरू कर दिया है।
इंडिया टुडे के रिपोर्टर सुनील भट्ट की रिपोर्ट के अनुसार अब तक करीब 50 पंच-सरपंच घाटी छोड़कर जम्मू आ चुके हैं। यह दावा ऑल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने की है।
अनिल शर्मा ने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया कि अजय पंडिता की मौत के बाद उन्हें कई सरपंचों के कॉल आ रहे हैं। उनमें काफी डर है। अनिल ने कहा कि अब तक उनके 19 साथी इस बर्बरता का शिकार हो चुके हैं।
वे कहते हैं कि उन्होंने कई बार पंच-सरपंचों के लिए सुरक्षा माँगी थी। लेकिन समय रहते सुनवाई नहीं हुई। अनिल शर्मा बताते हैं कि उनकी जानकारी के अनुसार अब तक 50 से ज्यादा कश्मीरी पंडित पंच-सरपंच घाटी छोड़कर जम्मू आ गए हैं। उनमें अजय पंडिता की मौत से काफी डर है।
Shocking. Over 50 Sarpanch belonging to Kashmiri Pandit community have fled Kashmir valley after the brutal killing of Sarpanch Ajay Pandita in Anantnag. Why isn’t the Governnent providing them security? This is an absolute failure. Not done. @sunilJbhat pic.twitter.com/RmkTwygy0Z
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) June 11, 2020
उनके मुताबिक, इस घटना से केवल कश्मीरी पंडित नहीं घबराए हुए, बल्कि अल्पसंख्यक सिख समुदाय के सरपंच भी काफी डरे हुए हैं। इसी कारण वह जम्मू-कश्मीर एलजी और गृह मंत्री अमित शाह से माँग करते हैं कि उन्हें सुरक्षा मुहैया कराया जाए।
मीडिया चैनल से बात में उन्होंने अलगाववादियों को सुरक्षा मुहैया कराए जाने को लेकर अपनी नाराजगी जताई और बार-बार कहने के बावजूद पंचों को सुरक्षा न मिलने पर शिकायत की। उन्होंने कहा कि इस समय पंचों में ऐसा डर है कि उनकी माँग बस यही है कि उन्हें सुरक्षा दी जाए। वरना वह अपने-अपने पद से त्यागपत्र देने को तैयार हैं।
अनिल शर्मा के अलावा पुलवामा के एक सरपंच मनोज पंडिता ने इंडिया टुडे को बताया, “अजय पंडिता हमारे बहादुर साथी थे। हम उनकी हत्या से काफी हतप्रभ हैं। हमें अपनी जिंदगी का भी डर है। इसलिए हम घाटी छोड़ जम्मू आए हैं।”
इसके अलावा घाटी छोड़कर जम्मू आ चुकी एक महिला पंचायत सदस्य ने बताया, “मैं व्यक्तिगत काम से कुछ हफ्ते पहले जम्मू आई थी। लेकिन अब अजय पंडिता की हत्या के बाद, मैं घाटी नहीं लौटूँगी। प्रशासन हमें सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहा है।”
उल्लेखनीय है कि 90 के दशक में इस्लामिक बर्बरता के कारण साढ़े 3 लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ने पर मजबूर हो गए थे। आज हिंदू सरपंच की मौत ने घाटी में रह रहे सैंकड़ो हिंदुओं के मन में फिर से उस डर को व्याप्त कर दिया है। इसके कारण उन्हें पलायन के अलावा कोई और विकल्प नहीं दिख रहा।
बता दें, 8 जून को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के लोकभवन लरकीपोरा में सरपंच अजय पंडिता की गोली मारकर हत्या की गई थी। पुलिस ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि सोमवार (08 जून, 2020) की शाम करीब 6 बजे कुछ आतंकवादियों ने 40 वर्षीय सरपंच अजय पंडिता उर्फ भारती को गोली मार दी। घटना को अंजाम देकर आतंकवादी मौके से फरार हो गए थे। घटना को उस समय अंजाम दिया गया था कि जब सरपंच अपने बागान में गए थे।