केरल के पलक्कड़ (Palakkad) जिला जज कलाम पाशा फिर से विवादों में हैं। उन पर मोहिनीअट्टम की प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉक्टर नीना प्रसाद का कार्यक्रम रुकवाने का आरोप है। घटना शनिवार (19 मार्च 2022) शाम की है, जब प्रसाद पलक्कड के सरकारी मोयन एलपी स्कूल में मंचन कर रहीं थी। बताया जाता है कि कार्यक्रम रोके जाने के बाद नीना प्रसाद की आँखों में आँसू आ गए औऱ उन्होंने इसे अपने कैरियर का सबसे कड़वा अनुभव करार दिया।
रिपोर्टों में कहा गया है कि कमाल पाशा सरकारी मोयन लोअर प्राइमरी स्कूल के पास रहते हैं। स्कूल में नीना प्रसाद का शो शनिवार शाम 8:30 बजे होना था। जज का कहना है कि यह शो उनके लिए परेशानी भरा था। इसी कारण उन्होंने इसे रोकने को कहा। जिला जज का आदेश मिलते ही पुलिस कार्यक्रम स्थल पर पहुँच गई और उसने घंटे भर के ‘सख्यम’ कार्यक्रम को रोक दिया। इसमें श्रीकृष्ण और अर्जुन के संबंधों को दर्शाया गया था। कार्यक्रम रोके जाने पर डॉ. नीना प्रसाद की आँखों से आँसू निकल आए। यहीं नहीं वरिष्ठ नृत्यांगना और उनकी टीम को स्टेज पर अपमानित भी किया गया।
Palakkad District Judge Kalam Pasha stopped a Mohiniyattam performance of noted dancer Dr. Neena Prasad at Government Moyan LP School, Palakkad, on Saturday evening. Living behind the school compound, the judge was ruffled by the dance show. 1/2 pic.twitter.com/LcML9M98wr
— Great Ayilyam Thirunal (@ramjikr) March 22, 2022
इसे कड़वा अनुभव बताते हुए डॉ. प्रसाद ने कहा, “यह मेरे नृत्य कैरियर का सबसे कड़वा अनुभव था। यह न केवल मेरे लिए बल्कि उन साथी कलाकारों के लिए भी अपमानजनक अनुभव था।” प्रसिद्ध कलाकार ने जज कलाम पाशा पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इस शो के लिए डांस और कोरियोग्राफी की तैयारी में घंटों का समय दिया था। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा सोलो परफॉर्मेंस था, जिसके लिए मैंने काफी समय दिया था। इसे वॉयलिन, मृदंगम औऱ एडक्का जैसे शांत वाद्ययंत्रों के साथ किया गया था।”
गौरतलब है कि इस शो का आयोजन शेखरीपुरम ग्रैंडशाला ने किया था, जहाँ श्रीचित्रन एमजे के द्वारा लिखी गई किताब इतिहासंगले थेदी का विमोचन भी किया गया। इस घटना के बाद जस्टिस कलाम पाशा पर ‘सांस्कृतिक असहिष्णुता’ का आरोप लगाते हुए पुरोगमना कला साहित्य संघम के अध्यक्ष शाजी एन करुण और महासचिव अशोकन चारुविल ने सोमवार को लोगों से इसका विरोध करने का आह्वान किया। साहित्य संघ ने स्पष्ट कहा कि राज्य अपनी कला और संस्कृति का गला न घोटे।
उन्होंने कहा, “नौकरशाहों और न्यायधीशों की तुलना में केरल के लोग कलाकारों को अधिक सम्मान और महत्व देते हैं। अब वक्त आ गया है कि हमें इस बात को याद करना चाहिए के इस देश के एक प्रधानमंत्री ने एक कलाकार (एमएस सुब्बुलक्ष्मी) को एक बड़ा पद दिया था।” वहीं पुलिस ने सफाई देते हुए कहा है कि उसके पास जज के आदेश का पालन करने अलावा दूसरा विकल्प ही नहीं था।
पहले भी विवादों में रहे हैं जज कलाम पाशा
जज कलाम पाशा पहले भी विवादों से घिरे रहे हैं। पिछले साल ही पाशा पर उनकी बीवी ने उसे ‘ट्रिपल तलाक’ देने का आरोप लगाया था। पाशा की बीवी ने जज के खिलाफ कार्रवाई की माँग करते हुए केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि साल 2018 में एक लेटर के जरिए कलाम पाशा ने उन्हें तीन तलाक दे दिया था।
बाद में एक अन्य पत्र में टाइपिंग मिस्टेक होने की बात कही गई। इसमें बताया गया था कि तीन तलाक देने की असली तारीख 1 मार्च, 2017 थी। इतना ही नहीं बीवी ने जस्टिस पाशा और उनके भाई पर तलाक से मना करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने का आरोप भी लगाया था। खास बात ये है कि कलाम पाशा के भाई बी कमाल पाशा केरल हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं।