नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का समर्थन करना किसी को कितना महँगा पड़ सकता है, इसका उदाहरण कल एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए सामने आया है। सोशल मीडिया पर CAA (The Citizenship Amendment Act, 2019) का समर्थन करने वाले लगातार उन्हें होने वाली असुविधाओं के बारे में बात कर रहे हैं। जैसे कि यदि आप केरल में रहकर CAA का विरोध नहीं करते हैं तो आपको डॉक्टर या अस्पताल इलाज नहीं देगा। ख़ास बात यह है कि ऐसे मामले सामने आने पर कोई भी नेता ऐसे में आपकी मदद के लिए आगे आने को तैयार नहीं दिखाई दे रहा है।
हाल ही में केरल के ही एक डॉक्टर को सिर्फ इस वजह से नौकरी से निकाल दिया गया क्योंकि वह CAA के समर्थन में सरकार और कानून के साथ खड़ा था। ज्ञात हो कि इससे पहले भी केरल में ही एक डॉक्टर इस्लामिक जिहादियों की नजरों में सिर्फ CAA का समर्थन करने की वजह से आ चुके हैं। यह इसी तरह का दूसरा प्रकरण सामने आया है।
ट्विटर पर @vedvyazz नाम से ट्विटर अकाउंट चलाने वाले एक डॉक्टर ने अपनी कहानी लिखी है कि किस तरह से उनकी पूरी पहचान और उनके कार्यस्थल से लेकर उसके घर तक की गोपनीय जानकारी को कुछ CAA विरोधियों द्वारा सार्वजनिक कर दिया गया और आखिर में उन्हें नौकरी से निकाले जाने के बाद डर के कारण अपने ही पैतृक शहर से भागने को मजबूर कर दिया गया।
VedVyazz ने कई ट्वीट्स एक साथ कर के अपनी पूरी कहानी को लिखा है। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, “अप्रैल में मैं पलक्कड़ केरल में एक नए अस्पताल में नौकरी के लिए आया था। मेरे पुरखों ने पलक्कड़ में ही जीवन बिताया है। और मेरे पिता इस बात से खुश थे कि जिस जगह को छोड़कर हमारे पूर्वज आए थे, मैं वहाँ वापस जा रहा हूँ।”
VedVyazz के सभी ट्वीट्स को आप यहाँ पढ़ सकते हैं, जिनका कि इस रिपोर्ट में हिंदी में अनुवाद किया गया है –
Important Thread
— VedVyazz (@vedvyazz) January 22, 2020
In April I moved to palakkad Kerala from Delhi since I was offered a new job in a brand new hospital!
My fathers ancestry is in palakkad and my parents were overjoyed that after several of our generations who left palakkad ages ago, I’ll be the one returning!
“स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं के लिए पलक्कड़ (केरल) में लोगों के पास पहले बस दो ही विकल्प हुआ करते थे, या तो वो कोयम्बटूर जाएँ या फिर त्रिसूर जाएँ। इस नए अस्पताल को इसीलिए खोला गया था ताकि स्थानीय लोगों को यह सुविधा मिल सके।”
“….इस अस्पताल में मेरी नौकरी ICU में लगी थी। व्यक्तिगत तौर पर मैं वैचारिक रूप से बहुत ज्यादा मुखर हूँ। इसलिए जब CAA विरोधी माहौल शुरू हुआ तो मैं भी ट्विटर पर CAA के समर्थन में अपनी बात लिखता रहा। जैसा कि आतंकवाद से पीड़ित देश में और जहाँ सीमाओं से अवैध घुसपैठिए घुस जाते हों, मैंने भी ऐसे घुसपैठियों को निकाल दिए जाने की इस पहल का समर्थन किया।”
“इस दौरान @yehlog नाम के एक ट्विटर हैंडल ने मेरी सारी जानकारी, मेरा वास्तविक नाम, मैं कहाँ काम करता हूँ आदि सार्वजानिक कर दीं और मुझे रातों-रात एक ऐसा आदमी घोषित कर दिया गया जो कि मुस्लिमों के खून का प्यासा हो।”
During such an argument on twitter my personal details, with regard to where I worked, my name, designation was revealed by handle a handle called @yehlog and overnight I was labelled as someone who’s baying for Muslim genocide! pic.twitter.com/aDpGtmhNZS
— VedVyazz (@vedvyazz) January 22, 2020
“यह हैरान करने वाला था क्योंकि मैं पहले भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए भी लिख चुका हूँ। मेरे प्रबंधन को ऐसे ई-मेल भेजे गए कि आपके संस्थान में एक नरसंहार करने वाला कट्टर डॉक्टर काम करता है, जो कि मुस्लिमों के स्वास्थ्य से समझौता कर सकता है।”
“अब अस्पताल के प्रबंधन को लगता है कि मैंने अपने ट्वीट के जरिए (जहाँ कि मैंने किसी धर्म का जिक्र ना कर के सिर्फ घुसपैठियों को निकालने की बात कही है) उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया है। और मुझे चौबीस घंटों के अंदर नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया गया।”
The management felt that I’ve caused them a significant amount of disrepute on account of my tweets (where I’ve not mentioned any religion and have only asked for the removal of illegal immigrants) , and asked that I resign within 24hrs pic.twitter.com/62VcwQWDrG
— VedVyazz (@vedvyazz) January 22, 2020
“आप अपने घर को सिर्फ तीन सूटकेस में फिट नहीं कर सकते। इसलिए सिर्फ तीन घंटों के अंदर मुझे अपने पूर्वजों का शहर इस तरह से छोड़कर भागना पड़ा जैसे कोई चोर उस अपराध के लिए भागता है, जो कि उसने किया ही ना हो।”
VedVyazz ने लिखा है कि उन्हें ICU में कुछ गंभीर रूप से बीमार लोगों के उपचार को छोड़कर फ़ौरन जाना पड़ा और अपनी जानकारी सर्वजनिक हो जाने के बाद उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट को भी डिएक्टिवेट कर दिया। उन्होंने लिखा है कि ऐसा उन्होंने कायरतापूर्वक नहीं बल्कि अपनी गोपनीयता सार्वजनिक कर दिए जाने के डर से किया।
“मुझे नौकरी से निकाल दिए जाने की खबर उन लोगों तक पहुँच गई है, जो कि ऐसा चाहते थे और वो इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर जश्न मना रहे हैं। हालाँकि जिसने वास्तव में कुछ खोया है, वो ऐसा संस्थान और ऐसी जगह है, जो पहले से ही कम स्टाफ की समस्या से गुजर रहा है और फिर उसे एक कर्मठ डॉक्टर को नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया गया।”
इसके आगे VedVyazz ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए लिखा कि सबसे हास्यास्पद बात तो यह है कि एक आदमी को अपने पूर्वजों की जगह को चौबीस घंटों के भीतर सिर्फ इस वजह से छोड़ना पड़ रहा है क्योंकि वह भारत में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ बनाए गए कानून पर सरकार का समर्थन कर रहा था।
इस पूरी घटना पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए VedVyazz ने लिखा है कि वह एक चेतावनी देना चाहते हैं कि वह नरसंहार के दोषी हैं या नहीं लेकिन वह एक नौसिखिया होने के दोषी जरूर हैं। उन्होंने लिखा है- “नौसिखिया, इसलिए क्योंकि मैं यह यकीन करता था कि अपने विचारों को लेकर मुखर होने में कोई हानि नहीं है।”
VedVyazz ने लिखा है कि यहाँ ऐसे संगठन हैं, जो ऐसे डॉक्टर्स को तलाश रहे हैं जो सरकार के समर्थन में हैं और राजनीतिक मुद्दों पर लिखते हैं। मैं पहला शिकार नहीं हूँ और मैं अंतिम नहीं हो सकता हूँ! कुछ लोग कड़ी मेहनत करने वाले ऐसे पेशेवरों की जानकारी उजागर करने के लिए व्याकुल हैं, जो अपने जीवन को संकट में डालते हैं। समय के साथ हमने उनकी वास्तविक पहचान और इरादे को उजागर करना शुरू कर दिया! कुछ कहानियों को बताना पड़ता है, कुछ चुप्पियों को तोड़ना पड़ता है। हमारी लड़ाई अभी शुरू हुई है! जय हिन्द!”
इसके बाद जब कुछ लोगों ने ट्विटर पर VedVyazz के समर्थन में केरल के तिरुअनंतपुरम से कॉन्ग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर से मदद माँगनी चाही, तो शशि थरूर ने यह कहकर किनारा कर लिया कि यह उस संस्थान का व्यक्तिगत निर्णय है।
Abhijit, as you know, I stood up for you when you were imprisoned. The state has no business abusing its power. But I see no basis for intervening with a private hospital making a decision on employment in its own interests. He should pursue a claim for unfair dismissal in court.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 22, 2020
ट्वीट के जवाब में शशि थरूर ने लिखा- “मुझे एक निजी अस्पताल द्वारा एक कर्मचारी के सम्बन्ध में लिए गए निर्णय पर हस्तक्षेप करने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है। उसे अनैतिक रूप से निकाले जाने के खिलाफ कोर्ट जाना चाहिए।”