हरियाणा के करनाल में खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे जाने का मामला सामने आया है। ये नारे डीएवी स्कूल और दयाल सिंह कॉलेज की दीवारों पर लिखे गए थे। इससे पहले पंजाब के संगरूर में भी काली माता मंदिर की दीवार पर खालिस्तान समर्थक नारे लिखे मिले थे।
करनाल के एसपी गंगा राम पुनिया ने बताया कि डीएवी स्कूल और दयाल सिंह कॉलेज के सामने की दीवार पर खालिस्तान के संबंध में कुछ नारे लिखे थे। सूचना मिलने पर पुलिस की टीम मौके पर पहुँची और घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाई गई। इसके बाद खालिस्तानी नारे को मिटा दिया गया।
Haryana | Some unknown persons had written some slogans regarding Khalistan on the wall in front of DAV School and Dyal Singh College in Karnal. The police team reached the spot and videography and photography was done: Ganga Ram Punia, SP Karnal pic.twitter.com/0yPv0RMBMx
— ANI (@ANI) June 20, 2022
पुलिस ने कहा कि थाना सिविल लाइन में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धारा 153A, 120B और UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी है।
A case has been registered against unknown persons in Police Station Civil Lines under sections 153A, 120B and UAPA. The matter is being investigated: Ganga Ram Punia, SP Karnal, Haryana
— ANI (@ANI) June 20, 2022
वहीं संगरूर में ये नारे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दौरे से पहले लिखे मिले थे। संगरूर में चुनाव आचार संहिता भी लागू है। 23 जून 2022 को यहाँ उपचुनाव के लिए मतदान होना है। इससे पहले पंजाब के जालंधर में जालंधर शक्ति पीठ, देवी तालाब मंदिर के पास दीवारों पर खालिस्तान समर्थक नारे लिखे पाए गए थे। इस महीने की शुरुआत में, पंजाब के फरीदकोट में एक सेशन कोर्ट के जज के आवास की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक नारे लिखे गए थे। पिछले महीने, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भी राज्य विधानसभा की दीवारों और गेट पर खालिस्तानी झंडे बाँधे गए थे और साथ ही नारे लिखे गए थे।
इतना ही नहीं ऑपरेशन ब्लूस्टार की 38वीं बरसी पर भी स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान समर्थक नारे भी लगे थे। बताया गया कि कट्टरपंथी सिख संगठनों और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के समर्थकों ने नारेबाजी की थी। युवकों ने बैनर और तख्तियों पर ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ लिखा हुआ था और जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहन रखी थी। इसके अतिरिक्त किसान आंदोलन के दौरान भी ऐसी अलगाववादी घटनाएँ देखने को मिली थी।