कोलकाता की एक अदालत ने वर्ष 2011 में जहरीली शराब पीने से हुई 172 लोगों की मौत के मामले में मुख्य आरोपित खोड़ा बादशाह उर्फ नूर इस्लाम फकीर को सोमवार (2 अगस्त, 2021) को उम्रकैद की सजा सुनाई। अलीपुर जिला सत्र न्यायालय ने बादशाह उर्फ नूर इस्लाम फाकीर को हत्या का दोषी करार दिया। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि बादशाह की मृत्यु होने तक सजा जारी रहेगी और वह जेल में ही रहेगा। खोड़ा बादशाह को लोगों को जहर देने का भी दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि दोनों सजा एक साथ चलेंगी।
अभियोजन ने अदालत के समक्ष बताया कि 14 दिसंबर 2011 को बादशाह द्वारा बेची गई जहरीली शराब पीने से दक्षिण 24 परगना जिले के मगराहट, उस्थी और मंदिर बाजार में रहने वाले कम से कम 172 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग अंधेपन जैसे स्थायी विकलांगता के शिकार हुए थे। बादशाह ने बेगुनाह होने का दावा करते हुए कहा था कि वह ऐसा कोई व्यापार नहीं करता था।
आपराधिक जाँच विभाग (CID) ने पाया कि मिथाइल अल्कोहल और कुछ जहरीले रसायनों का इस्तेमाल अवैध शराब को और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए किया गया था, जिससे शराब विषाक्त हो गई। अपने कई सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद आत्मसमर्पण करने वाला फकीर 2012 से न्यायिक हिरासत में है।
शनिवार (31 जुलाई, 2021) को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पुष्पल सतपती ने उन्हें दोषी करार दिया, जिन्होंने सोमवार तक सजा सुरक्षित रखी। फकीर के वकील, राम्पदा जाना ने कहा, “मेरे मुवक्किल ने अदालत को बताया कि व्यापार अन्य लोगों द्वारा चलाया जाता था और वह सीधे तौर पर उसमें शामिल नहीं था। हम इस आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।” वहीं, लोक अभियोजक तमल मुखर्जी ने कहा, “आदेश ने समाज को एक कड़ा संदेश दिया है।”
उल्लेखनीय है कि 2018 में अलीपुर अदालत ने फकीर की पत्नी शकीला बीबी, अयूब अली लश्कर, जियासुद्दीन लश्कर, खैरुन्निसा बेवा, मोइनुद्दीन गाज़ी और रबीउल लश्कर को बरी कर दिया, लेकिन चार अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
बता दें कि राज्य में साल 2011 में ममता बनर्जी के कॉन्ग्रेस के साथ सरकार बनाने के कुछ महीनों बाद ही जहरीली शराब कांड हुआ था। ममता बनर्जी ने 34 सालों तक बंगाल पर राज करने वाले वाम मोर्चे को सत्ता से बेदखल कर सरकार बनाया था। उन्होंने प्रत्येक पीड़ित के परिजन को 2-2 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की थी।
इससे वामपंथी नेताओं ने एक राजनीतिक बहस छेड़ दी और आरोप लगाया गया कि प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों के लिए धन का राजनीतिक कारणों से दुरुपयोग किया जा रहा है। वहीं, तृणमूल कॉन्ग्रेस ने आरोप लगाया था कि शराब की घटना माकपा की करतूत थी।