Monday, December 23, 2024
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कभी वैक्सीन को भाजपा का बताया तो कभी असुरक्षित: मिलिए 12 ‘कोविडियट्स’ से जिन्होंने किया लोगों को जमकर गुमराह

उन लोगों पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है जिन्होंने संक्रमण की इस गंभीर समस्या में भी अपना प्रोपेगंडा चलाए रखा। वैक्सीन के खिलाफ दुष्प्रचार किया और खुद ही वैक्सीन ले लिया। इनमें नेता, पत्रकार और कई अन्य ऐसे प्रतिनिधि शामिल हैं जिन्हें बड़ी संख्या में लोग फॉलो करते हैं। जब टीकाकरण शुरू हुआ तो इन लोगों ने वैक्सीन का डोज लिया और फ्री में वैक्सीन उपलब्ध कराने की माँग करने लगे।

भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। कई राज्यों में यह संक्रमण गंभीर होता जा रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ गया है और चिकित्सा सुविधाओं में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इस बीच भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया है। कई चरणों में शुरू हुए इस टीकाकरण कार्यक्रम में विभिन्न स्तरों पर लोगों को टीका लगाया गया। अभी तक 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण का टीका लगाया जा रहा था लेकिन 1 मई 2021 से 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी वयस्कों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम को चालू कर दिया गया।

इन सब के बीच उन लोगों पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है जिन्होंने संक्रमण की इस गंभीर समस्या में भी अपना प्रोपेगंडा चलाए रखा। इनमें नेता, पत्रकार और कई अन्य ऐसे प्रतिनिधि शामिल हैं जिन्हें बड़ी संख्या में लोग फॉलो करते हैं। इन्होंने वैक्सीन को लेकर लोगों में डर फैलाया, उन्हें गुमराह किया, वैक्सीन की दक्षता पर प्रश्न खड़े किए और जब टीकाकरण शुरू हुआ तो इन लोगों ने वैक्सीन का डोज लिया और फ्री में वैक्सीन उपलब्ध कराने की माँग करने लगे। ट्विटर यूजर @moronhumor के ट्विटर थ्रेड में इन प्रोपेगंडाबाजों की पूरी जानकारी दी गई है।

इन्होंने तो वैक्सीन की खुराक ली लेकिन पीछे छोड़ दिए कई प्रश्न जो आज भी वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में शंका पैदा करते हैं।

समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने 3 जनवरी 2021 को कहा था, “यह भाजपा की वैक्सीन है, हम नहीं लेंगे। जब अपनी सरकार आएगी तब अपनी वैक्सीन भी ली जाएगी।“ अखिलेश यादव जो कि मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, उन्होंने वैक्सीन पर सवाल उठाए और उसे भाजपा की वैक्सीन कहा। बाद में आलोचना होने पर उन्होंने अपने सुर बदले और कहा कि सरकार जल्दी तय करे टीकाकरण की तारीख।

पत्रकार संदीप चौधरी ने 6 जनवरी 2021 को कहा कि जब तक तीसरे चरण का ट्रायल पूरा नहीं होता और वैक्सीन की दक्षता साबित नहीं होती तब तक वह वैक्सीन की खुराक नहीं लेंगे। लेकिन उन्हीं संदीप चौधरी ने 28 अप्रैल 2021 को कहा कि टीका उनका अधिकार है और उन्हें यह मुफ्त में मिलना चाहिए।

कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने वैक्सीन की सुरक्षा और अन्य मुद्दों पर तंज कसते, मजाक उड़ाते कई कार्टून बनाए। उन्होंने अपने कार्टूनों के माध्यम से वैक्सीन की सुरक्षा और दक्षता पर कटाक्ष किया लेकिन अंततः 18 अप्रैल 2021 को वैक्सीन की पहली खुराक ली।

वैक्सीन पर सतीश आचार्य द्वारा बनाए गए कार्टून
सतीश आचार्य की ट्विटर पोस्ट का स्क्रीनशॉट

बजाज ऑटोमोबाइल के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज ने कहा कि वह वैक्सीन के विरोधी नहीं हैं लेकिन एक नई वैक्सीन पर उनके विचार बीच के हैं अर्थात वो वैक्सीन से उत्पन्न होने वाले खतरे पर नजर रखेंगे। बजाज ने तो कोरोनावायरस के संक्रमण के लक्षणों को भी वैक्सीन पर प्राथमिकता दे दी और उसकी तुलना भारतीय सड़कों से की जहाँ दुर्घटना की दर भी बहुत ज्यादा है।

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव ने 10 जनवरी 2021 को कहा था कि छत्तीसगढ़ में टीकाकरण के लिए कोवैक्सीन के उपयोग को वह समर्थन नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की दक्षता और सुरक्षा साबित होने तक वैक्सीन का उपयोग असुरक्षित है।

कॉन्ग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने वैक्सीन की दक्षता और सुरक्षा पर प्रश्न उठाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, उनके स्वास्थ्य मंत्री, उनके कैबिनेट मंत्री और उनके मुख्यमंत्री पहले क्यों वैक्सीन की खुराक नहीं ले रहे हैं।

जबकि यह सबको पता था कि टीकाकरण का एक प्रोटोकॉल बनाया गया है जिसके तहत पहले फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मी, वृद्ध और बीमार लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। उसके बाद बाकी लोगों के लिए वैक्सीन की खुराक उपलब्ध हो पाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस प्रोटोकॉल का पालन किया और अपना नंबर आने पर वैक्सीन की खुराक ली। लेकिन रणदीप सुरजेवाला जैसे लोगों ने अपना प्रोपेगंडा फैला दिया था।

कॉन्ग्रेस के ही मनीष तिवारी ने 5 जनवरी 2021 को भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सरकार कुछ राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते 130 करोड़ भारतीयों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती। वैक्सीन पर उन्होंने कहा था कि जिस पर लगातार प्रश्न उठ रहे हैं उस वैक्सीन को स्वेच्छा से कौन लगवाएगा।

जहाँ एक ओर भारत के वैज्ञानिक और शोधकर्ता लगातार मेहनत करके एक वैक्सीन बनाते हैं वहाँ शशि थरूर जैसे नेता प्रोपेगंडा के तहत स्वदेशी वैक्सीन पर सवाल उठाते हैं। 3 जनवरी 2021 की अपने ट्वीट में शशि थरूर ने कहा था कि कोवैक्सीन को अप्रूवल देना खतरनाक है। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से इस विषय पर स्पष्टीकरण माँगा था।

पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी उन चुनिंदा लोगों में थीं जिन्होंने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन पर सीधे-सीधे प्रश्न उठाए थे। चतुर्वेदी ने सीधे तौर पर कहा था कि उन्हें भारत बायोटेक पर कोई भरोसा नहीं है और वह कोवैक्सीन नहीं लेंगी। लेकिन 8 अप्रैल 2021 को इन्हीं पत्रकार महोदया ने मोदी सरकार से वैक्सीन की माँग की।

पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी के ट्वीट का स्क्रीनशॉट
चतुर्वेदी ने ट्वीट में कहा कि वह कोवैक्सीन की खुराक नहीं लेंगी

वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने तो यहाँ तक कह दिया था कि प्राकृतिक रूप से ही खत्म हो रहे कोरोना वायरस संक्रमण के बाद भी निजी वैक्सीन कंपनियों को 35,000 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। भूषण ने यह कहा कि यह पैसे निजी कंपनियों को दिए जा सकते हैं लेकिन गरीब मजदूरों और किसानों को नहीं।

प्रशांत भूषण के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

एनसीपी नेता नवाब मालिक ने कहा था कि फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हो गया है लेकिन लोगों के मन में अभी भी शंका है। इसलिए प्रधानमंत्री को आगे आकार पहले वैक्सीन लेनी चाहिए। हालाँकि यह शंका उनकी खुद की थी जिसे उन्होंने लोगों का नाम देकर अपना प्रोपेगंडा चलाया।

नवाब मलिक का बयान

AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने वैक्सीन पर राजनीति करने वालों और प्रोपेगंडा फैलाने वालों के क्लब में शामिल होने के लिए एक मध्यम मार्ग अपनाया। उन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड पर प्रश्न उठाए और प्रधानमंत्री से यह प्रश्न किया कि उन्होंने कोवैक्सीन की खुराक क्यों ली? मतलब प्रधानमंत्री पहले टीका न लगवाएं तो समस्या और टीका लगवा लें तो यह समस्या कि दूसरा वाला टीका क्यों नहीं लिया।

असदुद्दीन ओवैसी की मध्यमार्गी राजनीति

कुल मिलाकर यही वो लोग थे जिनके कारण देश में वैक्सीन को लेकर दुष्प्रचार हुआ। कॉन्ग्रेस की मशीनरी ने इस दुष्प्रचार में बड़ा योगदान दिया। ये लोगों के बीच घुले-मिले रहे और चर्चाओं में ही वैक्सीन पर दुष्प्रचार करते रहे। यही कारण है कि आज भी वैक्सीन पर लोगों की राय स्पष्ट नहीं है लेकिन अब जब करोड़ों लोग वैक्सीन की खुराक ले रहे हैं तो लोगों में अपने आप वैक्सीन से जुड़ा हुआ भ्रम दूर हो रहा है और लोग बड़ी सँख्या में स्वयं आगे आकर वैक्सीन की खुराक ले रहे हैं।   

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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