मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला में चल रहा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का सर्वे पूरा हो गया है। इस सर्वे में ASI को कई हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों समेत हजारों अवशेष मिले हैं। ASI के इस सर्वे की रिपोर्ट अब कोर्ट को सौंपी जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 98 दिन चले इस सर्वे में ASI को भोजशाला परिसर से 1710 अवशेष बरामद हुए हैं। ASI ने यह अवशेष प्राप्त करने के लिए परिसर में 24 जगह खुदाई की। इस सर्वे में अभी तक भोजशाला परिसर से 39 मूर्तियाँ भी मिल चुकी हैं। इन मूर्तियों को साफ करके इनकी पहचान की जा रही है।
सर्वे में मिली मूर्तियाँ वाग्देवी (सरस्वती), महिषासुर मर्दिनी, भगवान गणेश, हनुमान, ब्रह्मा, कृष्णजी और भगवान हनुमान की हैं। इनमें से कुछ मूर्तियाँ अच्छी अवस्था में हैं जबकि कुछ खंडित भी हैं। ब्रह्मा जी की मूर्ति अच्छी अवस्था में है, जबकि देवी प्रतिमा खंडित मिली है। सर्वे में ढाँचे के कई स्तम्भ और लिखित शिलालेख भी पाए गए हैं।
भोजशाला में मार्च महीने से चल रहा ASI का सर्वे अब खत्म हो गया है। यह सर्वे 98 दिन चला है। पहले ASI को कोर्ट से 42 दिन सर्वे की अनुमति मिली थी, जबकि बाद में इसे 56 दिन और बढ़ा दिया गया था। अब इस सर्वे की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
ASI अपनी रिपोर्ट में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार (GPR), शिलालेखों के अनुवाद और विशेषज्ञों की राय समेत तमाम अवशेषों की जानकारी कोर्ट के सामने रखेगी। ASI के सर्वे के दौरान यहाँ कार्बन डेटिंग भी की गई है, इसकी अलग से रिपोर्ट तैयार होगी। ASI के सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष ने दावा किया है कि इसमें कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हुआ है।
ASI के सर्वे के पूरा होने के बाद भी भोजशाला को पर्यटकों के लिए बंद रखा जाएगा। भोजशाला में मंगलवार को हिन्दू पक्ष को पूजा करने की अनुमति दी गई है। जबकि शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष यहाँ नमाज पढ़ेगा। कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई, 2024 को है।
मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित विवादित भोजशाला में ASI सर्वे को लेकर 11 मार्च, 2024 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने की बात कही थी। कोर्ट ने आधुनिक तकनीक से यहाँ सच्चाई पता लगाने को कहा था।
गौरतलब है कि भोजशाला विवाद बहुत पुराना विवाद है। हिंदू पक्ष का मत है कि ये माता सरस्वती का मंदिर है जिसकी स्थापना राजा भोज ने सन् 1000-1055 के मध्य कराई थी। सदियों पहले मुसलमान आक्रांताओं ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहाँ मौलाना कमालुद्दीन (जिस पर तमाम हिंदुओं को छल-कपट से मुस्लिम बनाने के आरोप हैं) की मजार बना दी थी।
इसके बाद यहाँ मुस्लिमों का आना जाना शुरू हो गया और अब इसे नमाज के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हालाँकि हिंदू पक्ष का कहना है कि ये उनका मंदिर ही है क्योंकि आज भी इसके खंभों पर देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे साफ दिखते हैं। इसके अलावा दीवारों पर ऐसी नक्काशी है जिसमें भगवान विष्णु के कूर्मावतार के बारे में दो श्लोक हैं।