Friday, November 22, 2024
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छत्रपति शिवाजी महाराज के किले की जमीन पर चल रहा है मदरसा, हिंदू संगठनों के विरोध के बाद जागा प्रशासन: ग्राउंड पर ऑपइंडिया की पड़ताल

"यह सीधे तौर पर 'लैंड जिहाद' का मामला है। पवनगढ़ और पन्हालगढ़ छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाए गए ऐतिहासिक किले हैं। इन लोगों को यहाँ मदरसा बनाने की अनुमति किसने दी, यह एक बड़ा सवाल है।"

महाराष्ट्र का कोल्हापुर शहर अपनी विशाल सांस्कृतिक विरासत, हिंदू मंदिरों और छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाए गए ऐतिहासिक किलों के लिए मशहूर है। कोल्हापुर में प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर और पहाड़ चोटी पर बने ज्योतिबा मंदिर जैसे कई हिंदू मंदिरों हैं। इन सभी मंदिरों में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आते हैं। लेकिन, ऐतिहासिक महत्व होने के बाद भी यहाँ के पवनगढ़ और पन्हालगढ़ जैसे क्षेत्रों को आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसे में गैर-हिंदुओं को कब्जा करने के लिए यह जगह सबसे बेहतर दिखाई देती है।

ऐसी ही एक घटना छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा साल 1673 में बनवाए गए पवनगढ़ किले से सामने आई है। स्थानीय हिंदुओं का आरोप है कि इस किले के क्षेत्र में स्थित सरकारी जमीन पर ‘मदरसा अर्बिया ज़िनातुल-कुरान’ नामक मदरसा ‘अवैध तरीके से’ बनाया गया है। बताया जा रहा की इस मदरसे को सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1860 के तहत रजिस्टर्ड भी किया गया है।

‘मदरसा अर्बिया ज़िनातुल-कुरान’

बड़ी बात यह है कि मदरसे में आने वाले छात्र स्थानीय नहीं हैं। ये दिल्ली, बिहार और पश्चिम बंगाल समेत देश के अन्य हिस्सों से आकर यहाँ रह रहे हैं। इस मामले में ‘बजरंग दल’ ने जिला और राज्य सरकार को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा गया था, “पवनगढ़ के ऐतिहासिक किले पर बना मदरसा अवैध है। यहाँ पढ़ने वाले छात्र महाराष्ट्र के नहीं हैं। इस तरह के अवैध कब्जों से किले का ऐतिहासिक महत्व खराब हो रहा है। कई मुस्लिमों ने किले पर अपना घर भी बना लिया है। हम इस तरह के अवैध कब्जे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग करते हैं। साथ ही ऐतिहासिक किले की पवित्रता बनाए रखने के लिए मदरसे समेत अन्य अवैध निर्माण को हटाने की भी माँग करते हैं।”

‘बजरंग दल’ द्वारा जनवरी 2023 में लिखा गया पत्र

इसके बाद जिला प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए जाँच के बाद कहा है कि ‘मदरसा अर्बिया ज़िनातुल-कुरान’ सरकारी जमीन पर बनाया गया है। पन्हालगढ़ की तहसीलदार मानवी शिंदे ने ऑपइंडिया से हुई खास बातचीत में कहा है, “यह सरकारी बंजर भूमि है जो सरकार के नियंत्रण में आती है। हमने मामले की जाँच शुरू कर दी है। किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।”

पवनगढ़ और हिंदू मंदिरों का इतिहास

पवनगढ़ का किला छत्रपति शिवाजी महाराज ने साल 1673 में पन्हालगढ़ के मुख्य किले के साथ बनावाया था। इस किले में कब्जे के उद्देश्य से अंग्रेजी आक्रांताओं ने भी यहाँ हमला किया था। पन्हालगढ़ किले की रक्षा के लिए तीन खड़ी चट्टान के साथ प्रवेश द्वार था। इनमें से दो चट्टानों को साल 1844 में हुए आक्रमण के दौरान अंग्रेजों ने नष्ट कर दिया था। इसके बाद पन्हालगढ़ के किले को भी ध्वस्त कर दिया गया था। आज यह पूरी जमीन सरकार के नियंत्रण में आती है। पवनगढ़ किले और पन्हालगढ़ किले के बीच एक छोटी सी खाई है। यह खाई इन दोनों किलों को अलग करती है। वर्तमान समय में पन्हाला शहर में करीब 4200 लोग रहते हैं।

किले की मुख्य रक्षा के लिए यहाँ करीब 25 फीट ऊँची एक चटपटी चट्टान है। पवनगढ़ किले पर मौजूद चट्टानों में खूबसूरती से उकेरे गए कई प्राचीन हिंदू मंदिरों को देखना आकर्षण का केंद्र रहा है। समय-समय पर यहाँ के शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, नरसिम्हा मंदिर और लक्ष्मी मंदिर में देवताओं की पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

पवनगढ़ पर बना भगवान शिव का प्राचीन मंदिर

इसी साल फरवरी में, पावनगढ़ पर बने पुराने शिव मंदिर में हिंदुओं ने महाशिवरात्रि के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया था। चूँकि यह मंदिर मदरसे से महज 45-50 मीटर की दूरी पर ही है, इसलिए हिंदुओं का कहना है कि किसी भी समस्या से बचने के लिए यह कार्यक्रम पुलिस की सुरक्षा में आयोजित किया गया था।

मदरसे में रहते हैं 40 बच्चे

इस मामले का पूरा सच जानने के लिए ऑपइंडिया की टीम ने पवनगढ़ किले का दौरा किया। यहाँ पता चला कि इस क्षेत्र में कई मुस्लिम परिवार रहते हैं। इन लोगों ने भगवान शिव के प्राचीन मंदिर के आसपास अपने घर बना लिए हैं। किले के दक्षिणी द्वार पर एक मस्जिद भी बनाई गई है। स्थानीय हिंदुओं का कहना है कि मस्जिद भी अवैध तरीके से कब्जा कर मार्कण्डेय ऋषि की प्राचीन गुफा पर बनाई गई है।

‘मदरसा अर्बिया ज़िनातुल-कुरान’

इस मदरसे के संचालकों से बात करने पर पता चला कि मदरसा सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत रजिस्टर्ड है। मदरसे के अधिकारियों ने इसके सरकारी जमीन पर बनाए जाने के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा, “यह एक रजिस्टर्ड मदरसा है और यह पूरी तरह से वैध है। मदरसा बहुत पुराना है। किसी भी प्रकार से सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं किया गया। हम इसे यहाँ पिछले 50 सालों से चला रहे हैं।”

ऑपइंडिया ने मदरसे के यूसुफ मुजावर और भाई दाऊद से भी बात की। इन लोगों का कहना है कि मदरसे का रजिस्ट्रेशन साल 1979 में कराया गया था। तब से ही यह पवनगढ़ पर बना हुआ है। अन्य जानकारियाँ हासिल करने की कोशिश में हमारे सामने आया कि यहाँ करीब 40 नाबालिग बच्चे पढ़ते हैं। इन 40 में से कोई भी लड़का कोल्हापुर या महाराष्ट्र का नहीं है।

मदरसे में शिक्षक अरबी और कुरान के अलावा कुछ और भाषा नहीं पढ़ाते

सूत्रों का कहना है कि इस मदरसे में छात्रों को इस्लामी जीवन शैली और केवल अरबी भाषा ही सिखाई जाती है। हिंदी, अंग्रेजी जैसी कोई अन्य भाषा, यहाँ तक कि स्थानीय भाषा मराठी भी नहीं पढ़ाई जाती है। मदरसे से ज्यादे यूसुफ मुजावर का कहना है, “करीब 40 छात्र यहाँ रहते हैं। मदरसे से जुड़े कुछ बड़े लोग संसाधनों से हमारी मदद करते हैं। यहाँ तीन शिक्षक पढ़ाते हैं। ये सभी राज्य के बाहर के हैं। यहाँ पढ़ने वाले छात्र अनाथ हैं और हम सिर्फ बुनियादी जरूरतों के साथ उनकी सेवा कर रहे हैं।”

मदरसे के रजिस्ट्रेशन के बारे में पूछने पर युसूफ ने कहा कि रजिस्ट्रेशन अब तक नहीं किया गया था। अब्बा की मृत्यु के कारण इसमें देरी हुई। हालाँकि, उसके भाई दाऊद ने कहा कि मदरसा शिक्षा विभाग के तहत रजिस्टर्ड है और इसे  वैध जमीन पर बनाया गया है। इसके बाद ऑपइंडिया की टीम की मदरसे के कार्यालय में बैठने के लिए कहा गया। वहाँ मदरसे का रजिस्ट्रेशन सार्टिफिकेट दिखाया गया। इस रजिस्ट्रेशन के अनुसार, मदरसे को साल 1969 में सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1860 के तहत सोसायटी के रूप में रजिस्टर्ड किया गया है।

मदरसे के छात्रों ने कहा- हमें अच्छा खाना मिलता है, अरबी ही पढ़ाई जाती है

इसी दौरान ऑपइंडिया ने मदरसे के एक कर्मचारी से यहाँ पढ़ने वाले बच्चों की सेहत के बारे में सवाल किया। इसके बाद यह भी पूछा कि क्या इन बच्चों को यहाँ लाने के लिए इनके माता-पिता से अनुमति ली जाती है। इस पर कर्मचारी ने दावा करते हुए कहा है कि हाँ, बच्चों के माता-पिता की अनुमति से ही बच्चों को यहाँ लाया जाता है।

यह बेहद दिलचस्प है कि इससे पहले मदरसा चलाने वाले यूसुफ़ ने कहा था कि यहाँ अनाथ बच्चों को पढ़ाई कराई जा रही है। लेकिन वहीं कर्मचारी माँ-बाप से बात करने की बात कह रहा है। ऑपइंडिया को मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों का एक वीडियो भी मिला है। वीडियो में छात्रों ने पुष्टि की है कि उन्हें केवल अरबी ही सिखाई जा रही है।

कोल्हापुर पुलिस ने लिया संज्ञान, कहा- जाँच जारी है

बताया जा रहा है कि कोल्हापुर पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए पन्हाला पुलिस को मामले को तुरंत देखने का निर्देश दिया है। कोल्हापुर पुलिस द्वारा 17 जुलाई को किए गए ट्वीट में कहा गया, “इस संबंध में, पन्हाला पुलिस स्टेशन को उचित कार्रवाई करने के लिए सूचित किया गया है।”

कोल्हापुर पुलिस द्वारा किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट

इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए 20 जुलाई को ऑपइंडिया ने कोल्हापुर पुलिस से भी संपर्क किया गया था। इस पूरे मामले को देख रहे अधिकारी गणेश पाटिल ने कहा कि मामले की जाँच चल रही है। पुलिस का कहना है, “यह मामला हाल ही में सामने आया है। सोशल मीडिया पर कुछ लोग पोस्ट कर रहे हैं कि मदरसा अवैध है। लेकिन यह अभी तक साबित नहीं हुआ है कि वैध या अवैध। पुलिस ने मामले की जाँच के निर्देश दिए हैं और जाँच जारी है। जमीन की माप की गई है। रिपोर्ट सामने होने के बाद ही सब कुछ स्पष्ट होगा।”

तहसीलदार ने की सरकारी जमीन की पुष्टि, कहा- जमीन मापी गई, टीएलआर रिपोर्ट का इंतजार

ऑपइंडिया ने इस मामले में तहसीलदार मानवी शिंदे से भी बात की। उन्होंने कहा है, ‘मामला 17 जुलाई को हमारे संज्ञान में आया था। कार्यालय ने तुरंत जमीन की नाम की है। हालाँकि, रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। यदि निर्माण अवैध मिला तो कार्रवाई होगी। जब हमने 17 जुलाई को पूछताछ की, तो मदरसा के सदस्यों ने हमारा सहयोग किया और कहा कि अगर कोई अवैधता साबित होती है तो वे मदरसा हटा देंगे।” हालाँकि, शिंदे ने इस बात की पुष्टि की दस कि जिस भूमि पर मदरसा बनाया गया है, वह एक सरकारी बंजर भूमि है और सरकार के नियंत्रण में आती है।

तहसीलदार कार्यालय, पन्हाला

सीधे तौर पर ‘लैंड जिहाद’ का मामला: बजरंग दल

ऑपइंडिया से खास बातचीत में ‘बजरंग दल’ के जिला अध्यक्ष सुरेश रोकड़े ने कहा है कि पवनगढ़ के ऐतिहासिक किले पर किसी भी तरह के अवैध अतिक्रमण को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है, “यह सीधे तौर पर ‘लैंड जिहाद’ का मामला है। पवनगढ़ और पन्हालगढ़ छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाए गए ऐतिहासिक किले हैं। इन लोगों को यहाँ मदरसा बनाने की अनुमति किसने दी, यह एक बड़ा सवाल है। मदरसा बंजर जमीन सर्वेक्षण संख्या 128 पर बनाया गया है जो सरकारी नियंत्रण में आता है। मदरसा कानूनी रूप से नहीं बनाया गया है।”

उन्होंने आगे कहा है, “हमने इस साल जनवरी में इस तरह के अवैध अतिक्रमण को हटाने की माँग करते हुए पत्र दिया था। लेकिन, इस मामले में विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हमने मामले पर दो बार फॉलोअप करने की कोशिश की, लेकिन हमें बताया गया कि मामले में जाँच चल रही है। यहाँ का हिंदू मंदिर वन विभाग की जमीन पर है और मदरसा इसके करीब बंजर जमीन पर है। यहाँ लगभग 40 छात्र पढ़ते हैं और कोई भी महाराष्ट्र से नहीं है।”

इसके अलावा, यहाँ मुस्लिमों ने रूफिंग शीट वाले कई घर बना लिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि घर बनाने के लिए अनुमति नहीं ली गई है।

पवनगढ़ के दक्षिणी द्वार के किनारे पर बनी दरगाह (दाएँ), रूफिंग शीट से बना घर (बाएँ) 

ऑपइंडिया ने ग्राउंड रिपोर्ट में क्या पाया:

पवनगढ़ किले के दौरे पर ऑपइंडिया ने पाया कि मदरसा, ‘मदरसा अरबी ज़िनातुल-कुरान’ रजिस्टर्ड है। लेकिन, सरकारी जमीन पर रूफिंग शीट का उपयोग कर इसे बनाया गया है। मदरसा संचालकों के विरोधाभासी बयान भी कई तरह के सवाल खड़े करते हैं। एक अधिकारी ने कहा है कि यहाँ पढ़ने वाले बच्चे अनाथ हैं। वहीं दूसरे ने कहा कि इन बच्चों को यहाँ लाने के लिए उनके माता-पिता से अनुमति ली गई थी। मदरसे के एक अधिकारी ने कहा कि मदरसा चलाने के लिए अनुमति ली गई थी।

वहीं दूसरे ने कहा कि अब्बा की मृत्यु के चलते अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जमीन की माप रिपोर्ट आने से पहले ही तहसीलदार ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि मदरसा सरकारी जमीन में बना है।

नोट: इस मामले से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज, ऑडियो व वीडियो रिकॉर्डिंग ऑपइंडिया के पास उपलब्ध है।

(ये लेख मूल रूप से OpIndia पर अंग्रेजी में प्रकाशित की गई है, जिसे आप यहाँ क्लिक कर के पढ़ सकते हैं। आकाश शर्मा नयन ने इसका हिंदी में अनुवाद किया है।)

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Siddhi Somani
Siddhi Somani
Siddhi is known for her satirical and factual hand in Social and Political writing. After completing her PG-Masters in Journalism, she did a PG course in Politics. The author meanwhile is also exploring her hand in analytics and statistics. (Twitter- @sidis28)

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