Thursday, April 25, 2024
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महाराष्ट्र के इंस्पेक्टर ने कीर्तन के बीच नारद मुनि के आसन को किया अपवित्र, बाद में इकलौते बेटे की शपथ खा माँगी माफी

वारकरी संप्रदाय के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “इंस्पेक्टर केके पाटिल ने अपने इकलौते पुत्र की शपथ ली और कहा कि वह वास्तव में नहीं जानते थे कि यह नारद मुनि का पवित्र आसन है। केके पाटिल साहब ही हैं, जिन्होंने सुनिश्चित किया है कि हमारी लड़कियाँ सुरक्षित रहें।”

महाराष्ट्र (Maharashtra) में एक पुलिस अधिकारी ने हिंदू देवता (Hindu God) का अपमान करने के बाद अपने इकलौते बेटे की शपथ खाकर माफी माँगी है। महाराष्ट्र के चालीसगाँव सिटी थाने के पुलिस इंस्पेक्टर केके पाटिल ने 27 अप्रैल 2022 की रात सप्तश्रृंगी देवी मंदिर के पास आयोजित एक वारकरी संप्रदाय के कीर्तन में नारद मुनि के पवित्र स्थान का अनादर किया था। इंस्पेक्टर वहाँ रात के 10 बजने के कारण आयोजकों से लाउडस्पीकर बंद करने के लिए कहने गए थे।

पुलिस इंस्पेक्टर केके पाटिल (फोटो साभार: ट्विटर)

अगले दिन इस घटना की जानकारी जैसे ही लोगों को लगी, हिंदुओं और विशेषकर वारकरी संप्रदाय के अनुयायियों में पुलिस निरीक्षक के खिलाफ रोष फैल गया। चालीसगाँव में अपने कार्यकाल के दौरान केके पाटिल की उत्कृष्ट सेवाओं को देखते हुए भाजपा के स्थानीय MLC मंगेश चव्हाण ने हस्तक्षेप किया और पाटिल ने अपनी गलती के लिए माफी माँगी। इस दौरान पाटिल ने कहा कि उनसे अनजाने में भूल हो गई है।

महाराष्ट्र का वारकरी संप्रदाय और इसकी कीर्तन परंपरा 13वीं शताब्दी की है। 7वीं सदी से चली आ रही इस परंपरा को श्रद्धालु आज भी निभाते हैं। ऐसा ही एक कीर्तन महाराष्ट्र के चालीसगाँव शहर के हनुमानसिंह राजपूत नगर क्षेत्र में सप्तश्रृंगी देवी मंदिर के समक्ष 27 अप्रैल 2022 की शाम को आयोजित किया गया था। रात करीब 10:15 बजे जब चालीसगाँव शहर के पुलिस निरीक्षक केके पाटिल नगत रोड इलाके में गश्त कर रहे थे तो उन्होंने कीर्तन स्थल पर लगे लाउडस्पीकर से आवाजें सुनीं। चूँकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकरों का उपयोग प्रतिबंधित है, इसलिए वह आयोजकों से लाउडस्पीकर बंद करने को कहने के लिए कीर्तन स्थल पर गए।

वारकरी संप्रदाय के स्थानीय वयोवृद्ध सदस्यों ने पुलिस निरीक्षक केके पाटिल को माफ कर दिया और एक अधिकारी के रूप में उनके अच्छे कार्यों की सराहना की। (फोटो साभार: ट्विटर)

केके पाटिल आयोजकों को निर्देश देने के लिए जैसे ही मंच पर गए, वहाँ रखे नारद मुनि के पवित्र आसन पर बिना जूते उतारे चले गए। पाटिल के अनुसार, वह इस तथ्य से अनजान थे कि वारकरी कीर्तन कार्यक्रम के मंच पर नारद मुनि का आसन होता है। माना जाता है कि हिंदू देवताओं और भगवान विष्णु कीर्तन करने वाले वे पहले व्यक्ति हैं।

इस घटना की खबर फैलते ही स्थानीय हिंदुओं में आक्रोश फैल गया। राज्य के विभिन्न हिस्सों से वारकरी संप्रदाय के लोग चालीसगाँव में संपर्क करने लगे। कई हिंदू संगठनों ने भी स्थानीय भारतीय जनता पार्टी के MLC मंगेश चव्हाण से संपर्क किया और उन्हें घटना की जानकारी दी। इसके बाद चव्हाण ने हालात को देखते हुए इसे संभालने की पहल शुरू कर दी।

मंगेश चव्हाण ने अंत्योदय जनसेवा कार्यालय में वारकरी संप्रदाय के महत्वपूर्ण सदस्यों और पुलिस निरीक्षक की बैठक बुलाई। वहाँ भगवान पांडुरंग और महाराज शिवाजी की मूर्तियों के सामने पुलिस निरीक्षक केके पाटिल ने ‘अनजाने में हुई गलती’ के लिए माफी माँगी। पाटिल ने कहा, “मैं भी एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखता हूँ, जो वारकरी परंपरा को मानता है लेकिन दुर्भाग्य से मैं वारकरी कीर्तन में नारद मुनि के आसन से अनजान था। जब मैं उस इलाके में गश्त कर रहा था तो रात के 10:15 बज चुके थे। इसलिए जब लाउडस्पीकर की आवाज सुनी तो मैं कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए वहाँ गया। मैं अपनी पुलिस वर्दी में था। मैं उसी के साथ मंच पर गया और इसलिए मेरे द्वारा अनजाने में यह कृत्य हुआ है। इसके लिए मैं माफी माँगता हूँ।”

एमएलसी मंगेश चव्हाण ने कहा, “हालांकि इंस्पेक्टर केके पाटिल के इस कृत्य से हिंदुओं और विशेषकर वारकरियों की भावनाओं को ठेस पहुँची है, लेकिन यह घटना सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि उन्हें नारद मुनि की पवित्र आसन का महत्व नहीं पता था। वारकरी संप्रदाय एक भक्ति परंपरा है, जो सभी को क्षमा करने के लिए जानी जाती है। अनजाने में हुए अपमान और समाज में आक्रोश के कारण केके पाटिल साहब ने खुद माफी माँगने की परिपक्वता दिखाई।”

मंगेश चव्हाण ने आगे कहा, “जब से केके पाटिल चालीसगाँव थाने में आए हैं, तब से इलाके में अवैध गतिविधियाँ कम हो गई हैं। उन्होंने यहाँ क्राइम रेट पर नजर रखी। सड़कों पर घूम रहे आवारा और स्थानीय लड़कियों को छेड़ने वाले अब पुलिस और उनके अनुशासन से डरे हुए हैं। यह सब इसलिए हो सका, क्योंकि केके पाटिल बहुत ही तत्परता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। यह सब सिर्फ एक स्थानीय एमएलसी के रूप में मैं उनकी प्रशंसा करने के लिए नहीं कह रहा हूँ, वास्तव में हम सभी ने इस परिवर्तन को देखा है। वारकरी संप्रदाय के सदस्यों ने भी इस बात पर ध्यान दिया है। जब आप अपना कर्तव्य बखूबी निभा रहे होते हैं, तो अनजाने में ऐसा कुछ हो जाता है। मैं सभी वारकरियों से अपील करता हूँ कि इस अच्छे अधिकारी को माफ कर दें, जो वास्तव में समाज के लिए अच्छा कर रहा है। मैं सभी से अनुरोध करता हूँ कि इस घटना को किसी भी अवांछित रंग में न रंगें और सद्भाव बनाए रखें।”

स्थानीय वारकरी संप्रदाय के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “वारकरियों के आक्रोश को देखते हुए इंस्पेक्टर केके पाटिल ने एमएलसी मंगेश चव्हाण और वारकरी संप्रदाय सहित अन्य वरिष्ठ सदस्यों की उपस्थिति में अपनी गलती के लिए माफी माँगी। उन्होंने अपने इकलौते पुत्र की शपथ ली और कहा कि वह वास्तव में नहीं जानते थे कि यह नारद मुनि का पवित्र आसन है। उन्होंने क्षमा करने के लिए कहा। इस शहर के लिए अब तक किए गए उनके अच्छे कार्यों की हम सराहना करते हैं। यह केके पाटिल साहब ही हैं, जिन्होंने सुनिश्चित किया है कि हमारी लड़कियाँ सुरक्षित रहें।”

अन्य सभी वारकरी और कीर्तन में शामिल लोग भी इस बात से सहमत थे कि केके पाटिल ने ही साप्ताहिक कीर्तन और सप्ताह भर चलने वाले कीर्तन दोनों का फिर से आयोजन करने के लिए प्रेरित किया था, क्योंकि ये पारंपरिक कार्यक्रम COVID-19 महामारी के दौरान बंद कर दिए गए थे। एमएलसी मंगेश चव्हाण ने अपने ट्विटर हैंडल से पूरी घटना को साझा किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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