Sunday, November 24, 2024
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एनसीपी MLA के करीबी ने ₹500 के लिए पालघर के आदिवासी को बनाया ‘गुलाम’: पिटाई से अपमानित कालू पवार ने लगाई फाँसी

बेटे के अंतिम संस्कार का कर्ज चुकाने के लिए कोर्डे बीते कई महीने से पवार से अपने खेत में काम करवा रहा था। पवार की पत्नी सावित्रा ने अपनी शिकायत में खुलासा किया कि कोर्डे उनके पति को कर्ज लेने के समय से ही परेशान कर रहा था। पवार को कोर्डे के खेत में काम करने और मवेशियों को चराने के लिए ले जाने के लिए कहा गया था।

महाराष्ट्र के पालघर जिले एनसीपी विधायक सुनील भुसारा के करीबी रामदास अंबु कोर्डे के खिलाफ एक आदिवासी को महज 500 रुपए के लिए गुलाम बनाने का मामला दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के मोखाड़ा के रहने वाले आदिवासी कालू पवार ने कोर्डे के शोषण से तंग आकर पिछले महीने जुलाई में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

दरअसल, कालू पवार के 13 साल के बेटे का निधन हो गया था, जिसके अंतिम संस्कार के लिए उसने रामदास कोर्डे से 500 रुपए उधार लिए थे। पिछले साल उसका बेटा दीवाली के आसपास ही लापता हो गया था और पास के ही गाँव में वह रहस्यमय हालत में मृत पाया गया था। बेटे के अंतिम संस्कार का कर्ज चुकाने के लिए कोर्डे बीते कई महीने से पवार से अपने खेत में काम करवा रहा था। पवार की पत्नी सावित्रा ने अपनी शिकायत में खुलासा किया कि कोर्डे उनके पति को कर्ज लेने के समय से ही परेशान कर रहा था। पवार को कोर्डे के खेत में काम करने और मवेशियों को चराने के लिए ले जाने के लिए कहा गया था।

सावित्रा ने कहा, “दत्तू का अंतिम संस्कार करने के बाद, मेरे पति ने कोर्डे के खेत में काम करना शुरू कर दिया, लेकिन कोई दैनिक वेतन तय नहीं किया गया था। वह (कोर्डे) मेरे पति को सुबह केवल एक भाखरी और रात को भोजन देते थे। जब भी मेरे पति मजदूरी माँगते थे तो उन्हें मारने की धमकियाँ दी जाती थीं।”

पवार ने कोर्डे के खेत और घर में दोनों जगह काम किया। वह इस साल जून और जुलाई के महीने में लगातार कोर्डे के यहाँ काम करता था। इस बीच 10 व 11 जुलाई को बीमार होने के कारण केवल दो दिन आरोपित के यहाँ काम पर नहीं जा सका। हालाँकि, 12 जुलाई को ठीक होने के बाद पवार जब कोर्डे के घर गया तो उसने उसकी बेइज्जती करने के साथ उसे पीटा भी। इसी अपमान को नहीं सह पाने के कारण पवार ने आत्महत्या कर ली।

जिस दिन पवार ने फाँसी लगाई, उस दिन उनकी पत्नी भिवंडी में काम पर गई थीं, जबकि उनकी 16 साल की बेटियाँ धनश्री और 12 साल की दुर्गा अपने मामा के घर गई थीं। दफनाए जाने से पहले करीब 12 घंटे तक पवार का शव लटका रहा। हैरानी की बात यह है कि कोर्डे पवार की मौत की खबर सुनने के बाद उसके गाँव भी गया था, लेकिन उसने पुलिस को इसकी जानकारी तक नहीं दी।

सामाजिक कार्यकर्ता पवार के लिए लड़े

राज्य में आदिवासियों के कल्याण के लिए संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता विवेक पंडित ने पवार के दुर्भाग्यपूर्ण निधन पर संज्ञान लिया। इस मामले को उठाते हुए पंडित ने 4 अगस्त को पुलिस पर इस बात के लिए दबाव बनाया कि वो पवार के शव को जमीन बाहर निकाले, ताकि उसे पोस्टमार्टम के लिए मुंबई के जे जे अस्पताल भेजा जा सके।

पवार के गाँव पहुँचे सामाजिक कार्यकर्ता विवेक पंडित (साभार: मिड डे)

पंडित ने कोर्डे पर कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोपित को लेकर कहा, “वह (कोर्डे) भी महादेव कोली समाज का एक आदिवासी है, लेकिन वह इलाके में दूसरों का शोषण कर रहा है।” रिपोर्ट्स के जरिए पता चला है कि पंडित ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए एक महीना तक संघर्ष किया है।

कोर्डे को बचाने की कोशिश कर रहे एनसीपी विधायक

आदिवासी योजनाओं की स्थिति की जाँच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित पैनल के अध्यक्ष विवेक पंडित ने मिड-डे को दिए एक साक्षात्कार में खुलासा किया, “कोर्डे विधायक भुसारा के दाहिने हाथ हैं। इसीलिए भुसारा ने पुलिस पर उनके आदमी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने के लिए दबाव बना रहे थे।”

उन्होंने कहा, “इस केस में एफआईआर दर्ज कराने से रोकने के लिए भुसारा ने मुझे बुलाया था। हालाँकि, एक महीने की भागदौड़ के बाद आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।”

इस बीच विधायक भुसारा ने इन सभी आऱोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “कोर्डे के खिलाफ प्राथमिकी फर्जी है। अगर इस तरह की प्राथमिकी दर्ज की जाती है, तो एक समय आएगा जब किसी भी आदिवासी को खेत में काम करने के लिए नहीं बुलाया जाएगा।” वहीं पुलिस को कार्रवाई करने से रोकने के आरोपों को लेकर भुसारा का कहना है कि उन्होंने केवल पुलिस को कोर्डे के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले मामले की जाँच करने के लिए कहा था।

वहीं, मोखाड़ा थाना प्रभारी सतीश गवई ने कहा है, “हमने आरोपित कोर्डे के खिलाफ आईपीसी की धारा 374 (गैरकानूनी अनिवार्य श्रम) और बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम की धारा 17 और 18 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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