दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे कथित किसान आंदोलन में माओवादियों की घुसपैठ को लेकर आशंका बहुत समय से जताई जा रही थी। अब वे खुल कर सामने आ गए हैं। माओवादियों ने पूरे प्रदर्शन को समर्थन का ऐलान किया है।
तीन अलग-अलग माओवादी संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी करके पूरे प्रोटेस्ट के प्रति एकजुटता दिखाई है। इस बयान में अपील की गई है कि तीन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन को जारी रखा जाए।
प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने कहा कि देश भर में किसानों का आंदोलन ब्रिटिश भारत के रॉलेट एक्ट के विरोध की याद दिलाता है। ब्रिटिश काल से अब के समय की तुलना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साम्राज्यवादी दलाल कहा।
Now the outlawed Maoists extend their support to the farmers’ protest @NewIndianXpress @TheMornStandard pic.twitter.com/Y87rtAmTCv
— Ejaz Kaiser (@KaiserEjaz) February 1, 2021
अभय ने आरोप लगाया “केंद्र सरकार किसानों की दलीलों के प्रति अपना अड़ियल रवैया दिखा रही है।” इस बयान में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2021) के मौके पर हुई हिंसक ट्रैक्टर परेड रैली का पुरजोर और गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया है। इसमें कहा गया कि परेड वाले दिन किसानों के मार्ग में जान-बूझकर बैरिकेडिंग की गई थी। आँसू गैस छोड़े गए थे और लाठी चार्ज किया गया।
कानून-व्यवस्था के बिगड़ने के लिए माओवादियों ने पुलिस को जिम्मेदार बताया है। साथ ही दीप सिंधू और लख्खा जैसे लोगों को भाजपा का एजेंट कहा है। यह भी आरोप लगाया कि किसानों को लाल किले की ओर जान-बूझकर बढ़ने दिया गया।
किसान नेताओं पर हुए मुकदमों को इस बयान में ‘ब्राह्मणी हिंदूत्व फासीवादी मोदी सरकार के षड्यंत्रकारी प्लॉन’ का हिस्सा कहा गया है। बयान में पीएम मोदी को पाखंडी, जुमलेबाज तक बताया गया है। उन्हें साम्राज्यवादी और दलाल कॉर्पोरेट घरानों का प्रधान सेवक बताकर किसानों से अपील की गई कि इस लड़ाई को लंबा लड़ें।
क्रांतिकारी आदिवासी महिला संगठन दंडकारण्य की प्रमुख रानीता हिचमी और दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संगठन के विजय मरकाम ने भी कानूनों को वापस लेने की माँग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘ये कानून कॉर्पोरेट कंपनियों का पक्ष लेंगे’। साथ ही यह भी दावा किया कि इससे देश की 80 प्रतिशत जनता प्रभावित होगी।
बता दें कि इससे पूर्व में कई बार ऐसे कयास लगाए गए थे इस कथित किसान आंदोलन को वामपंथियों द्वारा हाईजैक किया जा चुका है, जहाँ कभी दिल्ली दंगों की साजिश रचने वालों की तस्वीर दिख रही थी, कभी भीमा कोरेगाँव हिंसा का षड्यंत्र रचने वालों की। हालाँकि, किसान नेता इस बात से इनकार करते रहे और इसे अपनी लड़ाई बताते रहे। कुछ समय पहले समाचार चैनल ‘इंडिया टीवी’ पर प्रसारित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों का विरोध एक स्वत: आंदोलन नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के खिलाफ वामपंथी संगठनों द्वारा सावधानीपूर्वक रची गई साजिश है।