कोरोना वायरस के ख़तरे को देखते हुए कई मंदिरों ने अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं ताकि लोगों की भीड़ न जुटे और इस महामारी का फैलाव बंद हो। कई मंदिरों ने सरकार को वित्तीय सहायता दी है तो कई समाजसेवा के माध्यम से राहत कार्य करने में लगे हुए हैं। ऐसे में एक जगह का वीडियो आया है, जहाँ पुलिस ने एक मस्जिद में जाकर मौलवी से आग्रह किया कि वो मस्जिद के माइक से कोरोना के ख़तरों के प्रति लोगों को आगाह करें। पुलिस का कहना था कि मस्जिद के अनाउंसमेंट को काफ़ी लोग सुनते हैं, ऐसे में इससे लोग जागरूक होंगे।
जब मौलवी से पुलिस ने कोरोना के ख़तरों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मस्जिद से अनाउंस करने को कहा तो मौलवी ने पहले तो दावा किया कि वो अपने स्तर से जो सही समझ रहा है, वो कर रहा है। फिर उसने उलटा पुलिस से ही सवाल दागा कि आपलोग 15-20 आदमी एक साथ आए हैं, अगर यहाँ हम भी भीड़ जुटा लें तो क्या परेशानी है? उसने दावा किया कि अगर आपलोगों को कोरोना नहीं होगा तो हमलोगों को भी नहीं होगा। वो उलटा पुलिस-प्रशासन के लोगों को ही सिखाता रहा।
प्रशासन का कहना था कि मौलवी माइक से अनाउन्स करें कि सभी लोग अपने घरों से ही अल्लाह को याद करें और नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में न आएँ, ताकि भीड़ न जुटे। इटली तक का भी उदाहरण दिया गया, जहाँ इस वैश्विक महामारी ने तबाही मचाई है। मौलवी ने दावा किया कि पूरे साल तो नमाज होती है, जब तब कण्ट्रोल हो जाता है तो अब कैसे नहीं होगा? साथ ही उसने मस्जिद आने वाले लोगों को रोकने से भी इनकार कर दिया।
पुलिस ने मौलाना को समझाया कि पहले कुछ दिनों में तो किसी को कोरोना हो भी तो इसके लक्षण पता नहीं चलते, इसीलिए ये पता करना मुश्किल हो जाता है कि कौन संक्रमित है और कौन नहीं। मौलवी ने दावा किया कि अल्लाह का घर बंद नहीं होगा और मस्जिद में आने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं रोका जाएगा। साथ ही मौलाना के साथियों ने भी दावा किया कि मौलाना लगातार लोगों में जागरूकता फैलाते हुए कह रहे हैं कि वो मोहल्ले में इकट्ठे न हों, भीड़ न जुटाएँ। उसने दावा किया कि वो डेटोल वगैरह से सफाई भी करवा रहे हैं।
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— VWakening 👁️ (@Vivek_Gaur) March 29, 2020
मौलाना ने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर ज़रूरत से ज्यादा बंद का इस्तेमाल हुआ तो वो सबके लिए भारी हो जाएगा। मौलाना ने यह भी दावा किया कि कमजोरों पर जो जुल्म हुआ है, वही सब पर भारी पड़ रहा है। उसने पुलिस का सहयोग करने से इनकार कर दिया और उन्हें मस्जिद से बेरंग लौटना पड़ा।