Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाजनाबालिग पत्नी, शारीरिक संबंध, बच्चा भी... मेघालय हाईकोर्ट ने 'धमकी या जोर-जबरदस्ती नहीं' तर्क...

नाबालिग पत्नी, शारीरिक संबंध, बच्चा भी… मेघालय हाईकोर्ट ने ‘धमकी या जोर-जबरदस्ती नहीं’ तर्क के साथ रद्द की पॉक्सो में दर्ज FIR

आरोपित के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि याचिकाकर्ता और पीड़िता पति-पत्नी हैं। इस मामले में पीड़िता ने CrPC की धारा 161 और 164 के तहत अपना बयान दर्ज करा चुकी है। नाबालिग और उसका परिवार ने कार्रवाई को बंद करने का आग्रह किया था।

मेघालय हाईकोर्ट ने एक फैसले में पॉक्सो (POCSO) के तहत आपराधिक कार्रवाई और दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। कोर्ट का कहना है कि नाबालिग लड़की आरोपित व्यक्ति के साथ पत्नी के रूप में रह रही है और उसने एक बच्चे को भी जन्म दिया है।

उच्च न्यायालय के जस्टिस डब्ल्यू डिंगदोह (W Diengdoh) ने अपने फैसले में कहा कि पति-पत्नी के रूप में रहते हुए आपसी सहमति से एक वयस्क व्यक्ति द्वारा एक नाबालिग लड़की के साथ बनाए गए शारीरिक संबंध के मामले बेहद जटिल होते हैं, खासकर जब दोनों के बच्चे हो गए हों।

कोर्ट ने कहा कि उस दौरान पत्नी की उम्र 18 साल से कम थी। इसलिए वह POCSO ऐक्ट की धारा 2(1)(d) के अनुसार ‘बच्चे’ की परिभाषा के अंतर्गत आती है। कोर्ट ने आगे कहा कि बच्चा होने और अपनी सहमति देने में असमर्थ होने के कारण आरोपित पति द्वारा बनाए गए शारीरिक संबंधों के लिए उसे रेप के अपराध में दंडित करने पर विचार किया गया।

कोर्ट ने आगे कहा, हालाँकि इसे यौन हमले के रूप में तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि आरोपित पति ने पीड़िता पत्नी को ना ही धमकी दी और ना ही कोई यौन हमला या शारीरिक नुकसान पहुँचाने की कोशिश नहीं की।

लाइव लॉ के अनुसार, इस बात पर बल देते हुए न्यायालय ने Cr.P.C की धारा 482 में प्रदत्त अपनी असाधारण शक्ति का प्रयोग करते हुए कोर्ट ने न्याय सुनिश्चित करने के लिए FIR और आरोपित पति पर चलाए जा रहे आपराधिक मुकदमे को रद्द करने का निर्णय है।

क्या है मामला

आरोपित और पीड़िता पति-पत्नी हैं और अपने रिलेशनशिप के दौरान पीड़िता गर्भवती हो गई थी। जब आरोपित अपनी पत्नी की जाँच कराने के लिए उसे लेकर अस्पताल पहुँचा तो डॉक्टरों प्रेग्नेंसी की पुष्टि की। इस दौरान पीड़िता की उम्र 17 साल थी। पीड़िता को नाबालिग देखकर अस्पताल ने इस बारे में पुलिस को सूचना दे दी।

इसके बाद पुलिस ने पति के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया। इसके बाद आरोपित पति मेघालय हाईकोर्ट पहुँचा और पाॉक्सो के तहत उसके खिलाफ चलाए जा रहे आपराधिक मुकदमे को रद्द करने की माँग वाली याचिका दी।

इस मामले में आरोपित के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि याचिकाकर्ता और पीड़िता पति-पत्नी हैं। इस मामले में पीड़िता ने CrPC की धारा 161 और 164 के तहत अपना बयान दर्ज करा चुकी है। उधर नाबालिग की माँ ने कहा कि दोनों पति-पत्नी हैं और दोनों का एक बच्चा है। इस मामले में ना ही नाबालिग और ना ही परिवार कोई कार्रवाई चाहता है।

कोर्ट में यह भी तर्क दिया गया कि दोनों ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और स्थानीय परंपरा के अनुसार स्वेच्छा से पति-पत्नी के रूप में दोनों साथ रहते थे। इस वजह से दोनों को एक बच्चा भी हो गया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जनसंख्या 13.8 लाख, आधार कार्ड बने 14.53 लाख… बांग्लादेशियों की घुसपैठ के लिए बदनाम झारखंड में एक और ‘कमाल’, रिपोर्ट में दावा- 5 जिलों...

भाजपा की रिपोर्ट में सामने आया था कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़त 20% से 123% तक हुई है।

केरल के सरकारी स्कूल में मन रहा था क्रिसमस, हिंदू कार्यकर्ताओं ने पूछा- जन्माष्टमी क्यों नहीं मनाते: टीचरों ने लगाया अभद्रता का आरोप, पुलिस...

केरल के एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस मनाए जाने पर कुछ हिन्दू कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए। इसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
- विज्ञापन -