मेवात में लगी आग में कट्टरपंथी तत्व अब तक हाथ सेंक रहे हैं। 6 लोग मारे जा चुके हैं, दर्जनों लोग घायल हैं। 93 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। 176 गिरफ्तार हुए हैं। हजारों की संख्या में विस्थापन हुआ है। ये सबकुछ 31 जुलाई को हिंदू समाज की शोभायात्रा पर हुए हमले के बाद से हो रहा है। जिसमें स्थानीय मुसलमान तो शामिल थे ही, बाहर से विशेष तौर पर हमलावर भी आए हुए थे।
नूहं में ये सबकुछ इतने प्लान्ड तरीके से अंजाम दिया गया है कि हमलावर अब विक्टिम बन चुके हैं और विक्टिम बहुसंख्यकों को कोई पूछ ही नहीं रहा है। इस बीच, इंडिया टुडे की एसआईटी टीम ने अंडर कवर ऑपरेशन को अंजाम दिया और स्थानीय मुसलमानों से बातचीत की, जिसमें नूहं के सरपंच एसोसिएशन के मुखिया ने साफ तौर पर बताया कि हिंसा में शामिल लोग उनके भी गांव के हैं।
कैमरे पर लूट, दंगे की गवाही
इंडिया टुडे के मोहम्मद हिज्बुल्लाह की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में सरपंच एसोसिएशन के मुखिया रफीक ने कैमरे पर इस बात को स्वीकार किया है कि लूट में भी और हिंदुओं पर हमले में भी उनके गाँव के लोग शामिल हैं। उनकी उम्र 25 साल, 30 साल, 22 साल, 20 साल है। उसके बाद से वो सभी फरार हैं।
रफीक ने कहा कि 7 लोग इन सब कामों में शामिल हैं, उन्हें हम बचाएँगे नहीं, बल्कि पुलिस को सौंप देंगे। हालाँकि लोगों का नाम उन्होंने लिया नहीं है। आप इंडिया टुडे की रिपोर्ट में इसे खुद 7.00 मिनट के बाद देख सकते हैं।
वहीं, एक अन्य स्थानीय व्यक्ति और दंगों के आई विटनेस इरफान ने कहा कि स्थानीय लोगों के साथ तनाव हुआ ही था कि राजस्थान और हरियाणा के फिरोजपुर झिरका से आए हमलावरों ने पिकअप से यात्रा में चल रही गाड़ी में टक्कर मारी। कई गाड़ियाँ आई थी, और उनके ऐसा करने के बाद ही लड़ाई शुरू हो गई। उन्होंने बाकायदा टी-प्वॉइंट को इसके लिए चुना और हमलों को अंजाम दिया।
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पहाड़ियों पर आम लोगों के साथ छिपे हैं दंगाई
इस रिपोर्ट में ये भी दिखाया गया है कि अरावली की पहाड़ियाँ दंगाइयों के लिए किले की तरह काम कर रही है। वो वहाँ पर बैठकर पुलिस के मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं। पुलिस की गाड़ियों को देखते ही वो तितर-बितर हो जाते हैं। इस समय अरावली की पहाड़ियों पर 500 से ज्यादा लोग छिपे हैं। इसमें कुछ स्थानीय ग्रामीण भी हैं, जो पुलिस से छिपे हैं, तो बड़ी संख्या में दंगाई भी। अब ये पुलिस का काम है कि वो ‘मासूम लोगों’ की पहचान करे।