केंद्र सरकार लक्षद्वीप के विकास पर ₹3600 करोड़ से अधिक खर्च करेगी। दरअसल, केंद्र सरकार इसके अलग-अलग द्वीपों में विभिन्न तरह की सुविधाएँ विकसित की करेगी। इससे भारतीय टूरिस्ट बिना विदेश गए ही अपने देश में सुंदर समुद्री तटों का आनंद उठा सकेंगे। केंद्र सरकार लक्षद्वीप को टूरिस्ट हब में बदलने की कोशिश में लगी हुई है।
इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार लक्षद्वीप समूह में शामिल कवरत्ती, अगात्ति, अन्द्रोथ, कदामत और कल्पेनी द्वीप को विकसित करेगी। इन पोर्ट पर रोड बनाई जाएगी और हर तरह की सुविधाएँ विकसित की जाएँगी। यहाँ हवाई सुविधाओं का भी विकास किया जाएगा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार लक्षद्वीप को सागरमाला परियोजना के तहत विकसित करेगी। इस विकास में लगने वाले फंड को सागरमाला परियोजना के फंड से लिया जाएगा। लक्षद्वीप के विकास के लिए कुल 13 प्रोजेक्ट सरकार ने चुने हैं। इन प्रोजेक्ट के जरिए लक्षद्वीप समूह के 36 द्वीपों की तस्वीर बदलेगी।
रिपोर्ट बताती है कि सरकार कदामत द्वीप पर सर्वाधिक ₹1034 करोड़ खर्च करेगी। यह फंड पोर्ट और बीच के विकास में लगाया जाएगा। इसके अलावा, कल्पेनी द्वीप पर ₹804 करोड़ का खर्चा होगा। अन्द्रोथ द्वीप को ₹762 करोड़ से विकसित किया जाएगा। मिनिकॉय और कवरत्ती द्वीप को भी बड़ी धनराशि विकास के लिए दी गई है।
इससे पहले भी सरकार कह चुकी है कि वह लक्षदीप में हवाई सुविधाओं को बढ़ावा देगी, जिससे भारत भर से टूरिस्ट यहाँ आएँ। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लक्षद्वीप का दौरा किया था। इसके बाद देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी भारतीय द्वीपों के विकास को लेकर बात की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लक्षद्वीप की सुन्दरता को दिखाते हुए फोटो भी डाली थी।
इन फोटो को देखकर मालदीव की मुइज्जू सरकार के तत्कालीन मंत्रियों ने भारत और पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद भारत में मालदीव के बॉयकॉट को लेकर अभियान चला था। इसके बाद से भारत और मालदीव के सम्बन्धों में खटास दिख रही है। मालदीव वर्तमान में चीन की कठपुतली बना हुआ है और उसके राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू लगातार भारत विरोधी भावनाओं को हवा देते रहे हैं।