एक ऐसा शैक्षिक संस्थान, जो देश के 5 सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में आता हो, वहाँ के छात्रों को अगर किसी बाहरी चीज से दिक्कत आए तो क्या सरकार और स्थानीय प्रशासन का फर्ज नहीं बनता कि वो उसे दूर करे? IIT बॉम्बे में ऐसा ही हो रहा है, जहाँ छात्रों ने कैम्पस से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक मस्जिद से बजते भोंपू को लेकर समस्या जताई है। छात्रों का कहना है कि मस्जिद के लाउडस्पीकर से आती आवाज़ के कारण वो पढ़ नहीं पाते।
इस समस्या के बारे में अधिक जानने के लिए हमने IIT बॉम्बे के ही एक वरिष्ठ छात्र से बातचीत की। उन्होंने बताया कि दिन भर में कम से कम 5 बार मस्जिद के लाउडस्पीकर से अजान की आवाज़ आती है और ये समस्या कई हॉस्टलों में है। उन्होंने कहा कि जब एक-डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित किसी मस्जिद से आवाज़ आ रही है, तो इसका मतलब है कि माइक काफी तेज़ आवाज़ में बजाया जा रहा है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के भी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।
आगे बढ़ने से पहले एक बार वहाँ का नक्शा समझ लेते हैं। पवई झील (Powai Lake) के आसपास कई हॉस्टल मौजूद हैं। हॉस्टल्स से कुछ ही दूरी पर ‘Renaissance Mumbai Convention Centre’ नामक हॉस्टल स्थित है। वहाँ आपको हॉस्टल 12, 13, 14, 7 और 5 दिख जाएँगे। छात्रों का कहना है कि मस्जिद के लाउडस्पीकर की आवाज़ गूँजने की समस्या से ये सभी हॉस्टल जूझ रहे हैं। उन्हें पढ़ने-लिखने में परेशानी हो रही है।
अब बात करते हैं मस्जिद की। जिस मस्जिद की आवाज़ के कारण छात्रों को परेशानी हो रही है, उसका नाम है – ‘चाँद शाह वली सुन्नी मस्जिद’, जहाँ का रास्ता ‘दरगाह रोड’ से होकर जाता है। वहाँ चाँद शाह वली के नाम पर दरगाह, होटल और दुकानें भी स्थित हैं। हॉस्टल 12 से उक्त मस्जिद की दूरी करीब एक किलोमीटर है,जबकि हॉस्टल 13 तक 1.1 किलोमीटर। इस तरह ये 15-20 मिनट का पैदल रास्ता है।
उक्त छात्र ने हमें ये भी बताया कि खासकर जुमे के दिन उन्हें ज्यादा परेशानी होती है, क्योंकि उस दिन पूरे दिनभर विभिन्न कार्यक्रम होते रहते हैं और उसकी आवाज़ें गूँजती रहती हैं। कभी-कभी तो रात को भी तेज़ आवाज़ में माइक बजाए जाते हैं। उस क्षेत्र के आसपास जितने भी छात्र रहते हैं, उन्हें खासकर मस्जिद से आने वाली माइक की तेज आवाज़ से ज्यादा परेशानी है। ये हाल देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक का है।
छात्र ने बताया कि इस बात की शिकायत पिछले कई वर्षों से की जाती रही है। उनका कहना है कि स्टूडेंट वेलफेयर के डीन से शिकायत की गई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि चूँकि ये मामला संस्थान के कैम्पस से बाहर की है, इसीलिए इस मामले में निदेशक या कुलपति से ही शिकायत की जा सकती है। लेकिन, छात्रों की दिक्कत ये है कि उन तक बात पहुँचाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
मुंबई पुलिस से सितंबर, 2018 में ट्विटर पर की गई थी शिकायत
हमने एक छात्र से बात की, जिसने ट्विटर पर मुंबई पुलिस को टैग कर के इस मामले की शिकायत की थी। ये ट्वीट आज नहीं, सितम्बर 2018 में ही की गई थी। उक्त छात्र ने बताया कि मस्जिद के माइक का वॉल्यूम कभी भी बढ़ा दिया जाता है। मुंबई पुलिस सोशल मीडिया पर खासी सक्रिय है और अक्सर मीम्स के जरिए अपनी बात रखती आई है, ऐसे में हमने उक्त छात्र से पूछा कि क्या इस शिकायत का कोई जवाब आया?
जवाब चौंकाने वाला था। छात्र ने बताया कि मुंबई पुलिस ने उस ट्वीट के जवाब में लोकेशन भेजने को कहा। जब लोकेशन भेजी गई तो उन्होंने अपना ट्वीट ही डिलीट कर दिया। छात्र ने कहा कि उसने इसका जरा भी अंदाज़ा नहीं था कि पुलिस अपना ट्वीट डिलीट कर देगी, इसीलिए उसने इसका कोई स्क्रीनशॉट वगैरह नहीं लिया। उसने बताया कि कई जूनियर छात्र भी इस आवाज़ से परेशान हैं और समाधान खोज रहे हैं।
शिकायत करने की प्रक्रिया जटिल होने के कारण समस्या आ रही हैं। एक छात्र ने बताया, “हम प्रशासन में जाएँ। पुलिस से शिकायत करें। फिर हार्ड कॉपी और मेल द्वारा संस्थान के उच्चाधिकारियों को शिकायत करें। उन्हें बार-बार इसकी याद दिलाएँ। पढ़ाई के साथ-साथ ये सब कैसे होगा? इतनी भाग-दौड़ कौन करेगा?” सवाल जायज है, क्योंकि अधिकतर छात्र तो स्थानीय भी नहीं हैं। वो देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं।
वास्तव में, समस्या एक मस्जिद नहीं है। वहाँ एक और मस्जिद है, जहाँ से माइक पर ऐसी ही तेज़ आवाज़ें आती हैं। IIT बॉम्बे के मार्किट गेट से कुछ दूरी पर भी एक ‘सुन्नी जामा मस्जिद’ है, जिसके लाउडस्पीकर की आवाज़ से छात्रों को समस्या है। संस्थान के कैम्पस से इस मस्जिद की दूरी आधा किलोमीटर भी नहीं है। वहाँ कुछ डिपार्टमेंट भी हैं। छात्रों का कहना है कि काँच से घिरे होने के बावजूद माइक की तेज़ आवाज़ उन्हें डिस्टर्ब करती है।
याद दिलातें चलें कि मुंबई पुलिस गणेश चतुर्थी के समय वॉल्यूम कम रखने की अपील करना नहीं भूलती। 2018 की एक ट्वीट में उसने गणेश जी की फोटो लगा कर लिखा था कि आप जब भी वॉल्यूम बढ़ा रहे हैं तो आप किसी की शांतिपूर्ण सेलब्रेशन की प्रार्थना को नीचा दिखा रहे हैं। साथ ही ‘से नो टू नॉइज़ पॉल्यूशन’ का हैशटैग भी लगाया गया था। साथ ही एक उद्धरण लिखा था – “प्रार्थनाएँ हमेशा शांत होती हैं, आपके हृदय में एकदम गहरी।”
Every time you increase the volume, someone’s prayer for a peaceful celebration is let down #SayNoToNoisePollution pic.twitter.com/7NmWA0Y5A4
— Mumbai Police (@MumbaiPolice) September 16, 2018
ऑपइंडिया ने इस मामले में पुलिस का पक्ष जानने के लिए पोवाई पुलिस थाने के इंस्पेक्टर (क्राइम) दिलीप गजानन धामुनसे से बात की, जिन्होंने बताया कि वो छुट्टी पर हैं। उन्होंने पुलिस चौकी पर कॉल करने को कहा, लेकिन वेबसाइट पर दिए गए दोनों टेलीफोन नंबरों पर पूरी घंटी जाने के बावजूद किसी ने जवाब नहीं दिया। IIT बॉम्बे के DSW उर्जित यजनिक के दफ्तर में कॉल करने पर भी किसी ने रिसीव नहीं किया।
मई 2020 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि मस्जिद में लाउडस्पीकर्स बजाना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है और न ही ये संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत आता है। हाईकोर्ट ने कहा था कि अज़ान तो इस्लाम का अभिन्न अंग है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान नहीं। अनुच्छेद-35 के तहत मूलभूत अधिकारों की श्रेणी में भी ये नहीं आता है। बावजूद इसके काफी तेज़ आवाज़ में अजान होने की खबरें अक्सर सामने आती हैं।
CAA विरोधी आंदोलन के दौरान हमने बताया था कि कैसे वहाँ उन छात्रों का ब्रेनवाश किया जा रहा था, जो राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखते। राजनीति से दूर रहने वाले प्रोफेसरों को बरगला कर उनका हस्ताक्षर ले लिया जा रहा था और उसे आईआईटी बॉम्बे का विचार बना कर पेश किया जा रहा था। शाहीनबाग़ में शुरू हुए प्रदर्शन के बाद आईआईटी बॉम्बे के सोशियोलॉजी विभाग के छात्र केंद्र सरकार के विरोध में ज्यादा सक्रिय रहे थे।