एक तरफ़ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद को भाजपा से बड़ा ‘गौभक्त’ साबित करने में लगे हैं, और दूसरी तरफ़ उनकी पुलिस के कर्मचारी गाँधी जी के कटआउट के साथ छेड़-छाड़ में किसी और को न पकड़ पाने पर अब मन्दिर के पुजारियों को मामले में फँसाने की कोशिश कर रहे हैं। गाँधीजी के कट-आउट पर लिखे ‘राष्ट्रद्रोही’ से लक्ष्मण बाग़ मन्दिर के पुजारियों की लिखावट मिलाने के लिए उनसे बार-बार ‘राष्ट्रद्रोही’ लिखने को कहा जा रहा है। मीडिया की खबरों के अनुसार अब तक 6 पन्ने भर कर उनसे यही शब्द लिखवाया जा चुका है, और इससे व्यथित पुजारियों के अन्न-जल त्यागने की भी खबर आ रही है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्थित मेमोरियल में से राष्ट्रपिता गाँधी जी की चिता की राख चोरी कर ली गई थी। इतना ही नहीं, चोरों ने उनके पोस्टर पर ‘राष्ट्रद्रोही’ भी लिख दिया। ‘बापू’ के उपनाम से प्रख्यात रहे गाँधी जी की चिता की राख को लक्ष्मण बाग स्थित बापू भवन में रखा गया था, जहाँ ये घटना हुई। बापू भवन का निर्माण 1948 में किया गया था और तब से ही लक्ष्मण बाग ट्रस्ट इसकी देखभाल करता रहा है।
कलश था ही नहीं, तो चोरी कैसे हुआ?
एक तरफ़ स्थानीय कॉन्ग्रेस नेताओं ने अज्ञात लोगों के खिलाफ़ राष्ट्रद्रोह जैसी संगीन धारा में मामला दर्ज कराया हुआ है, और दूसरी ओर पुजारियों का कहना है कि जिस कथित अस्थि-कलश के पीछे यह सब कवायद हो रही है, पिछले कई वर्षों के अपने मन्दिर प्रवास के दौरान उन्होंने वह कलश कभी देखा ही नहीं। यह दावा करने वाले एक-दो नहीं, पाँच पंडित हैं।
और-तो-और, कॉन्ग्रेस नेताओं की मूल तहरीर में तो अस्थि कलश का ज़िक्र था भी नहीं। नई दुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक बिछिया थाने में पहली शिकायत केवल गाँधी जी की तस्वीर पर ‘राष्ट्रद्रोही’ लिखने को लेकर हुई थी। उसके दो घंटे बाद जाकर शहर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष गुरमीत सिंह ने थाना प्रभारी को पत्र देकर अस्थि-कलश चोरी की बात कही।
मन्दिर में 40 साल से सेवाएँ दे रहे एक पुजारी और पूजा पाठ प्रभारी पंडित दीनानाथ शास्त्री के मुताबिक कलश यहाँ आया अवश्य था, लेकिन श्रद्धांजलि अर्पित होने के बाद कलश वापस इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) चला गया था।
लिखावट का नमूना आखिर कितना चाहिए?
मन्दिर के पुजारियों का आरोप है कि रोज़ाना उन्हें बुलाकर नए सिरे से कोरे कागज़ पर ‘राष्ट्रद्रोही’ लिखवाया जाता है। अब तक 6 पन्ने भरे जा चुके हैं। थाने के पुलिस वालों का कहना है कि यह लिखावट के नमूने के लिए किया जा रहा है।
खाना-पीना छोड़ा तो पहुँचे आईजी-एसपी
यह विडम्बना की ही बात है कि जिन मोहनदास करमचन्द गाँधी की तस्वीर पर ‘राष्ट्रद्रोही’ लिखने का आरोप लगाकर पुजारियों का उत्पीड़न हो रहा है, उन्हीं की तरह पुजारियों को अनशन भी करना पड़ रहा है। जब आरोपित पुजारियों ने खाना-पीना छोड़ दिया तो आईजी चंचल शेखर, एसपी आबिद खान, डीआईजी अविनाश श्रीवास्तव उनसे मिलने पहुँचे। तब ही जाकर पुजारियों को प्रशासन की तरफ़ से निष्पक्षता का आश्वासन भी मिला।