एक बार अमिताभ बच्चन ने अपनी नाक़ामयाबियों से परेशान होकर अपने पिता और कवि हरिवंश राय बच्चन से सवाल किया कि उन्होंने अमिताभ को क्यों पैदा किया? जिसे सुनने के बाद उनके पिता काफ़ी परेशान हुए, उन्हें समझ नहीं आया कि आख़िर अमिताभ की बात का वो किस तरह जवाब दें। लेकिन, फिर उन्होंने अमिताभ की इसी बात पर ‘नई लीक’ नाम से एक कविता लिखी।
उस कविता की आख़िर की कुछ लाइनें इस तरह थी, ‘जिंदगी और ज़माने की कशमकश पहले भी थी, आज भी है शायद ज़्यादा कल भी होगी, शायद और ज़्यादा…तुम ही नई लीक रखना, अपने बेटों से पूछकर उन्हें पैदा करना।’
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हरिवंश बच्चन द्वारा लिखी गई यह कविता भले ही उन्होंने अमिताभ के सवाल पर लिखी हो। लेकिन इस कविता की प्रसांगिकता आज भी उतनी ही है। क्योंकि आज भी बच्चों ने अपने संघर्षों और नाक़ामयाबी को छुपाने के लिए नए-नए तर्कों को जन्म देना शुरू कर दिया है
जी हाँ, अभी तक आप सुनते आएँ होंगे कि लोग डिप्रेशन में जाने के बाद अक़्सर अपनी ज़िदगी को कोसते हैं। कुछ चुप रहना शुरू कर देते हैं तो कुछ अकेले रहना शुरू कर देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी कोई ऐसा शख़्स देखा है जो बिन बात के ही अपने पैदा होने पर नाराज़ हो कि वो कोर्ट तक अपने माँ-बाप की शिक़ायत लेकर पहुँचने की सोचे।
अगर आपका जवाब नहीं है, तो मुंबई में रहने वाले (Raphael Samuel) के बारे में आपके लिए जानना बेहद ज़रूरी है। रैफेल एक एंटी नैटालिस्ट हैं। इनका कहना है कि वो अपने माता-पिता पर कोर्ट में मुक़दमा चलवाने की माँग करने की सोच रहे हैं क्योंकि उन्होंने बिना रैफेल की सहमति जाने उसे जन्म दिया।
बता दें एंटि नैटालिस्म विचारों की एक ऐसी धरातल है जहाँ तर्क दिया जाता है कि नैतिक रूप से लोगों को पैदा करना बेहद गलत है। इसके दिए जाने वाले तर्क में माना जाता है कि बच्चे के जन्म से न केवल उसकी मुसीबतें बढ़ती हैं बल्कि धरती के संसाधनों पर भी भार बढ़ता है। इसलिए, इंसानों को मेहरबानी करके बच्चे पैदा करने बंद कर देने चाहिए।
सैम्यूल ने फेसबुक पर लिखते हुए कहा है कि वो अपने माता-पिता को बहुत प्रेम करते हैं लेकिन वो उसे इस दुनिया में सिर्फ़ अपने सुख और खुशी के लिए लेकर आए हैं। हालाँकि इस पोस्ट को फेसबुक से डिलीट कर दिया गया है लेकिन एंटीनैटालिस्म से जुड़े बाकी के पोस्ट उनकी टाइमलाइन पर है? जिसमें उन्होंने सवाल किया है कि why must i suffer? Why must i work?
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सोशल मीडिया पर सैम्यूल द्वारा किए जा रहे यह सवाल कई लोगों को मज़ाक जैसे भी लग रहे हैं और कई लोग इसे बेवकूफ़ी भी कह रहे हैं। लेकिन इस पर उनकी माँ द्वारा भी प्रतिक्रिया आई है। वो कहती हैं कि अगर उनका बेटा वाज़िब तर्क़ों के साथ कोर्ट में उनसे सवाल करेगा कि हम उसके पैदा होने से पहले उसकी सहमति कैसे जान सकते थे तो वो अपनी ग़लती को ज़रूर मान लेंगी।
धरती के प्रति अपनी फ़िक्र दिखाना एक बेहद जायज़ बात है। लेकिन, इसे आधार बनाते हुए जन-विरोधी हो जाना बिलकुल भी ठीक नहीं है। प्रजनन एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे दुनिया निरंतर आगे चलती रहती है। यह बेहद बेफकूफ़ाना तर्क़ है कि बिना मेरी मर्ज़ी के जाने मुझे जन्म क्यों दिया गया। जो व्यक्ति ख़ुद को एंटी नैटालिस्ट बताकर धरती की और उसके संसाधनों के प्रति फ़िक्र दिखा सकता है। उसे इतनी समझ नहीं होगी क्या कि जन्म से पहले किसी की मर्ज़ी के बारे में कैसे जाना जा सकता है?
इंटरनेट पर आई आज इस ख़बर को पढ़कर ऐसा लगा कि वाकई इंसान उसी लीक पर चलने की ठाने बैठा है, जहाँ पर इस तर्क़ पर ज़ोर दिया जाता है, कि जब कुछ कर न पाओ तो सवाल खड़े कर दो… आज रैफेल ने अपने माँ-बाप को लेकर ऐसी बात सोशल मीडिया पर शेयर की है कल को उनसे प्रभावित होकर चार बच्चे और कोर्ट का रास्ता अपना लेंगे। कुछ दिन बाद यह स्थिति आ जाएगी कि बच्चे अपनी नाक़ामयाबियों पर माँ-बाप को कोर्ट तक ले जाएँगे और अपराधियों की जगह सिर्फ़ माँ-बाप ही कठघरे में नज़र आएँगे।