Monday, November 25, 2024
Homeदेश-समाजमुंबई की हालत कब्रिस्तानों से: नहीं मिल रही शवों को दफनाने की जगह, 1...

मुंबई की हालत कब्रिस्तानों से: नहीं मिल रही शवों को दफनाने की जगह, 1 कब्र में 2 शव दफनाने के निर्देश

"सामान्य केस में कब्र को दोबारा इस्तेमाल कर लेते हैं लेकिन कोविड संक्रमित शवों के लिए ऐसा नहीं है। हम उस जगह को दोबारा कम से कम 5 सालों के लिए यूज नहीं कर सकते, ये सबसे बड़ी चिंता है।"

मुंबई में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतें इतनी ज्यादा हैं कि अब कब्रिस्तान में शव दफनाने के लिए जगह तक नहीं बची। स्थानीयों को जहाँ चिंता ये है कि जिन जगह पर कोरोना संक्रमितों को दफनाया गया है, वह उसका इस्तेमाल कम से कम 4-5 साल तक नहीं कर सकेंगे। वहीं मृतक के रिश्तेदारों को कल्बादेवी में बने बड़े कब्रिस्तान जाने की सलाह दी जा रही है।

महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने कब्रिस्तान में कम जगह देखते हुए निर्देश दिए हैं कि शवों को 20 फुट अंदर गाड़ा जाए। ताकि एक जगह पर दो शव दफन हो सकें।

बड़ा कब्रिस्तान के प्रबंधन ने जगह की कमी पर बताया कि मुंबई में यह सबसे बड़ा कब्रिस्तान है। उन्होंने इसे 7 भाग में बाँटा है। इनमें 3 का इस्तेमाल सामान्य शवों के लिए हो रहा है बाकी सबका सिर्फ़ कोविड संक्रमित शवों के लिए है।

मिड डे रिपोर्ट के अनुसार, जुमा मस्जिद और बॉम्बे ट्रस्ट के अध्यक्ष शोएब खातिब ने बताया, “अब तक लगभग एक हजार से अधिक COVID शवों को यहाँ दफनाया गया है। इनमें 125 पिछले महीने दफन किए गए हैं। हमारे पास अब तक जगह की कोई कमी नहीं हुई।”

खातिब कहते हैं, “सामान्य केस में कब्र को दोबारा इस्तेमाल कर लेते हैं लेकिन कोविड संक्रमित शवों के लिए ऐसा नहीं है। हम उस जगह को दोबारा कम से कम 5 सालों के लिए यूज नहीं कर सकते, ये सबसे बड़ी चिंता है।”

मुंबई के मुस्लिम बहुल गोवांडी में ये समस्या तेजी से बढ़ रही है। देवनर सुन्नी मुस्लिम कब्रिस्तान के अध्यक्ष अब्दुल रहमान करीमुल्लाह शाह का कहना है कि उनके इलाके में 10-15 लाख मुस्लिम हैं। बावजूद इसके वह वही स्थान इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे 50 हजार की तादाद होने पर करते थे। रफीक नगर में आवंटित किए गए दूसरे कब्रिस्तान का भी यही हाल है।

शाह का कहना है कि दूसरा कब्रिस्तान उन्हें पिछले साल मिला था। उसमें 200 से ज्यादा शव दफनाने के लिए जगह थी लेकिन अब हालात हाथ से निकल रहे हैं। उन्होंने कब्रिस्तान में ओपन स्पेस की माँग की है।

वहीं महीम सुन्नी कब्रिस्तान वाले सिर्फ 3 किलोमीटर रेडियस के दायरे में आने वाले लोगों को कब्रिस्तान में जगह दे रहे हैं, वो भी सिर्फ अस्पताल और पुलिस की इजाजत से। कब्रिस्तान के अध्यक्ष सुहेल कहते हैं, “हम किसी को मना नहीं कर रहे। हम दूसरे कब्रिस्तान में भी जगह की मदद कर रहे हैं।” 

खंडवानी कहते हैं, “हम शवों को दफनाने के लिए सरकार और WHO की गाइडलाइन फॉलो कर रहे हैं। लेकिन कहीं भी ऐसी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि एक कब्र में दो शव दफना सकते हैं। हमने इस संबंध में सरकार को कुछ सुझाव देने के लिए पत्र लिखा है। अभी जवाब आना बाकी है।”

इसी प्रकार वर्सोवा मुस्लिम कब्रिस्तान का प्रबंधन संभालने वाले ट्रस्ट का कहना है कि वो सारी जगह कोविड संक्रमित शवों के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते। अपनी ओर से वह कोविड शवों को सरकार के दिशा-निर्देश के मुताबिक दफनाने के लिए सब प्रयास कर रहे हैं।

यही हालत बांद्रा के नौपाड़ा कब्रिस्तान की भी है। वहाँ के ट्रस्टी बहलूल कहते हैं, “हम कोविड शवों को दफना रहे थे। लेकिन पिछले साल एक मुस्लिम के मलाड़ में दाह संस्कार से मुस्लिम पैनिक हो गए। अब हमने जगह की कमी के कारण शव लेने बंद कर दिए हैं। हम कोशिश करते हैं कि जहाँ जगह हो, वहाँ शव को दफना दिया जाए।”

गौरतलब है कि कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य भारत में महाराष्ट्र है। वहाँ की हालत इस समय बहुत खराब है। बुधवार को वहाँ 985 मौतें हुई और 63309 लोग पॉजिटिव पाए गए। अब तक कुल 44,77, 394 लोग यहाँ संक्रमित हो चुके हैं। मुंबई में सिर्फ़ 24 घंटे में 102 मौतें हुई और 7, 503 नए मामले आए। ऐसे में कब्रिस्तान में कोविड शवों के कारण जो समस्या देखनी पड़ रही है, उस पर वरिष्ठ पत्रकार इकबाल ममदानी ने सरकार से पॉलिसी लाने की माँग की है।

उन्होंने कहा, “मुस्लिम नेताओं को कम से कम ये सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग अपने प्रियजनों के शव को ढंग से दफना पाएँ। मुंबई में कई कब्रिस्तान हैं लेकिन लोग वैधता में फँसे हैं। कुछ को सरकार के फंड का भी इंतजार है। ” 

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

उत्तराखंड की जिस सुरंग में फँसे थे 41 श्रमिक, वहाँ अब ‘बाबा बौखनाग’ का मेला: जानिए कौन हैं वे देवता जिनके सामने सिर झुकाने...

उत्तराखंड में सिल्क्यारा सुरंग में हादसे वाली जगह पर एक वर्ष बाद बाबा बौखनाग का मेला लगा है। इसमें अर्नाल्ड डिक्स भी बुलाए गए हैं।

जुमे पर रची गई थी संभल हिंसा की साजिश: सपा MP जियाउर्रहमान बर्क और MLA इकबाल महमूद के बेटे पर FIR, जामा मस्जिद का...

संभल पुलिस ने रविवार को हुई हिंसा के मामले में कुल 7 FIR दर्ज की है। यह हिंसा 2 थानाक्षेत्रों में फैली थी जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
- विज्ञापन -