उत्तराखंड के रुद्रपुर (लालपुर) में मुस्लिमों के लिए अलग से विशेष कॉलोनी बन रही है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस संबंध में पैम्पलेट बाँटते हुए उत्तर प्रदेश के बहेड़ी और रामपुर के बिलासपुर में भी प्रचार हो रहा है। इन पोस्टरों में लिखा है कि रुद्रपुर के ग्राम लालपुर में पहली बार मुस्लिम कॉलोनी काटी जा रही है, जिसकी बुकिंग कथित तौर पर सिर्फ मजहब विशेष के लोग कर सकेंगे। इन पोस्टरों में बताया गया है कि यहाँ 1 हजार से 2 हजार स्क्वायर फीट के प्लॉट उपलब्ध हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि 50 वर्ग गज का प्लॉट सिर्फ ढाई लाख रुपए में मिलेगा।
Muslim only colony in Rudrapur, Uttarakhand
— Dr. Charsi (@CharsiLonda) October 19, 2021
Congratulations @Samar_Indra Ji, @gadhwalitendua Ji pic.twitter.com/Ztv3M8JkJB
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, बहेड़ी और बिलासपुर के साथ ही जिले में भी कॉलोनी बनने का प्रचार किया गया है। बुकिंग के लिए होटल कॉरबेट इन का पता दिया गया है जो कि जनता इंटर कॉलेज के पास है। स्थानीय इन खबरों के बाद विरोध कर रहे हैं। उनका पूछना है मजहब और जाति के नाम पर कॉलोनी कैसे बन सकती है। इस मामले पर जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष दिवाकर पांडे ने कहा लोकतंत्र में किसी को जाति, धर्म के नाम पर कॉलोनी बनाने का हक नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।
मालूम हो कि जब ऑपइंडिया को इस पोस्टर की जानकारी हुई तो हमने इसपे दिए नंबरों पर कॉल किया। एक नंबर मिला नहीं और दूसरे पर किसी नादिर से बात हुई। नादिर ने बताया कि वो कमीशन के आधार पर काम करते हैं। उनके बॉस ने 3 एकड़ जमीन खरीदी थी श्मशान घाट के पास कि वो उसे मुस्लिमों को बेच सकें। लेकिन ये तरीका काम नहीं आया तो उन्होंने जमीन बिजनेसमैन को दे दी ताकि वो फैक्ट्री लगा सके। पोस्टर 4 माह पुराने हैं।
गौरतलब है कि इलाके में हुए डेमोग्राफिक चेंज को लेकर प्रशासन पहले ही चेतावनी दे चुका है। सीमावर्ती इलाकों में एक मजहब विशेष की जनसंख्या बढ़ने के कारण अलर्ट भी जारी हुआ है। बताया जा रहा है कि ऊधम सिंह नगर में मुस्लिमों के बसने और जमीन खरीदने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
एसपी क्राइम मिथिलेश सिंह ने मीडिया को बताया कि ये मामला संज्ञान में आया है। जाँच कराई जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर कालोनाइजर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। डीडीए उपाध्यक्ष हरीश चंद्र कांडपाल ने भी कहा कि संप्रदाय विशेष के नाम पर कॉलोनी व प्लाटिंग का किसी को अधिकार नहीं है। उन्होंने किसी को ऐसी अनुमति भी नहीं दी है। कालोनाइजर से सभी दस्तावेज तलब किए जाएँगे।
बता दें कि इससे पहले नैनीताल के विभिन्न क्षेत्रों में मुस्लिमों का दखल बढ़ने की खबर मीडिया में आई थी। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नितिन कार्की ने इस डेमोग्राफिक बदलाव के संबंध में आगाह करते हुए कुछ दिनों पहले ही जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था। घोड़ा, टैक्सी, नौका संचालन, टूरिस्ट गाइडिंग, होटलों इत्यादि को लीज में लेने में मुस्लिम समुदाय का दखल बढ़ता दिखा था। इनमें से अधिकतर खास कर के रामपुर, दडिय़ाल, स्वार, मुरादाबाद, बिजनौर और सहारनपुर के रहने वाले हैं।
सीमावर्ती इलाकों में होने वाले डेमोग्राफिक चेंज पर सुरक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि नेपाल की सीमा से सटे क्षेत्रों में हो रहे ये बदलाव सामान्य नहीं है। इसी स्थिति के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसी ने साल की शुरुआत में गृह मंत्रालय को रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि कौन से इलाके संवेदनशील हैं और कौन से अतिसंवेदनशील हैं। हैरानी की बात यह है कि जिन जिलों के नाम रिपोर्ट में दिए गए थे वहाँ हुआ डेमोग्राफिक चेंज कोई हाल-फिलहाल का नहीं है बल्कि साल 2011 में हुए जातिगत जनगणना में वहाँ मजहब विशेष की आबादी में 2.5 गुना वृद्धि दर्ज की गई थी।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों के अलावा उत्तर प्रदेश में भी कई क्षेत्रों को लेकर अलर्ट जारी हुआ था। इसका कारण था कि पिछले 2 साल के अंदर बहराइच, बस्ती व गोरखपुर मंडल से लगी नेपाल सीमा पर वहाँ 400 से अधिक मजहबी शिक्षण संस्थान और मजहबी स्थल खुले, जिसकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में दी थी।