अभिनेता नसीरुद्दीन शाह एक बार फिर से बाहर निकले हैं। उन्होंने इस बार नरसंहार का डर दिखाते हुए गृह युद्ध की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि देश में सब कुछ मुस्लिमों को भयभीत करने के लिए हो रहा है, जहाँ सत्ताधारी दल ने अलगाववाद को बढ़ावा दे रहा है और औरंगजेब को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने लखीमपुर खीरी की घटना के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ का इस्तीफा न लिए जाने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वो डरने वाले नहीं हैं।
नसीरुद्दीन शाह ने ‘The Wire’ के करण थापर से बात करते हुए कहा कि उन्होंने तो अपनी ज़िन्दगी जी ली है, लेकिन औ अपने बच्चों को लेकर डरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में एक पुलिस इंस्पेक्टर की मौत से ज्यादा एक गाय के मरने को मुद्दा बनाया जाता है, जो त्रासद है। उन्होंने कहा कि उनकी फिल्मों ‘अ वेडनेस्डे (2008)’ और ‘सरफ़रोश (1999)’ के अलावा लाहौर में उनके दिए बयान कि उन्हें वहाँ घर जैसा महसूस हो रहा है, को लेकर उन पर निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने ‘धर्म संसद’ पर निशाना साधते हुए इसे गृहयुद्ध की धमकी बताया।
उन्होंने कहा कि ‘हम 20 करोड़’ भारत को अपना घर मानते हैं और हमारी कई पीढ़ियाँ यहाँ रहीं। उन्होंने कहा कि कवियों और कॉमेडियनों को ऐसे चुटकुलों के लिए गिरफ्तार किया जा रहा है, जो उन्होंने कहा ही नहीं। उन्होंने कहा कि इन लोगों को पता नहीं है कि वो बात क्या कह रहे हैं। उन्होंने इस पर आपत्ति जताई कि मुगलों के कथित अत्याचार को हाईलाइट किया जा रहा है, बल्कि उन्होंने कला, संस्कृति, संगीत और साहित्य से लेकर कई इमारतें भारत में बनवाईं।
उन्होंने दावा किया कि मुग़ल इस भारत का निर्माण करने आए थे। उन्होंने कहा कि भड़काऊ बयान देने वाले गिरफ्तार होने या नहीं, ये इस पर निर्भर करता है कि पुलिस को कौन आदेश दे रहा है। उन्होंने पुलिस में मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व कम होने का दावा करते हुए कहा कि ‘किसान आंदोलन’ को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंभीर रूप से माफ़ी नहीं माँगी। उन्होंने कहा कि जितनी आशंका थीं, चीजें उनसे ज्यादा बुरी हैं और प्रधानमंत्री कैमरों के सामने अपनी ‘धार्मिक आस्था का प्रदर्शन’ करते हैं।
उन्होंने कहा कि स्थिति चिंताजनक है लेकिन कोई कुछ कर नहीं सकता। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को दूसरे दर्जे का नागरिक बना कर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों एक फोबिया फैलाने के लिए ये सब किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें ये स्वीकार नहीं करना चाहिए कि हम डर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज नेता कहते हैं कि हिन्दू-मुस्लिम साथ नहीं रह सकते, जो संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम इस देश की रक्षा कर रहे हैं, अपने परिवारों की रक्षा कर रहे।
उन्होंने कहा, “जब हिन्दुओं की जनसंख्या ज्यादा है, ये कैसे कहा जा रहा है कि हिन्दू खतरे में हैं। हमें शांति से रहने दीजिए। सिख और मुस्लिम विभाजन के दौरान एक-दूसरे के खून के प्यासे थे, जबकि आज गुरुद्वारा नमाज के लिए खुल रहा है। इस ‘नेता’ को पूजने वालों से वो आक्रोशित हैं। इसमें उनका ही भविष्य में नुकसान है। मुझे पाकिस्तान जाने को कहने वाले से मैं कहता हूँ – तुम कैलाश जाओ। उर्दू को पाकिस्तानी भाषा बताया जाता है। हिंदी में कई अरबी-फ़ारसी शब्द हैं।”
नसीरुद्दीन शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तथ्यों व सच्चाई को छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीति उनकी ज़िंदगी में इतना नीचे कभी नहीं गिरी थी। उन्होंने कहा कि हमें अपने धर्म का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में इतनी विविधता है कि उनके बच्चों ने जब समान धर्म वाले शादीशुदा जोड़े को देखा तो वो आश्चर्य से भर गए। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि आज भारत में जन्म लेने वालों का भविष्य क्या है, इसका पता नहीं।
नसीरुद्दीन शाह ने कहा,”चाहे जितना ज़हर फ़ैल जाए, मैं डर कर नहीं भागूँगा। घृणा की खेती की जा रही है। एक-दूसरे के धर्म के प्रति असहिष्णुता पैदा की जा रही है। चर्च-मस्जिद तोड़े जा रहे हैं। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई नहीं होती। सोचिए, मंदिर के साथ ये होगा तो कैसा लगेगा। मेरे ईश्वर आपके से बड़े हैं – ऐसा कहा जा रहा है। एमनेस्टी इंडिया जैसी समाज का विकास करने वाली संस्थाओं को रोका जा रहा है। चर्च में शांतिपूर्ण प्रार्थना को हिंसक भीड़ रोक रही है, जिसे ऊपर से वरदहस्त हासिल है। सुप्रीम कोर्ट आजकल सक्रिय है, जो आशा देने वाला है।”
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि फेसबुक और सभी बेहूदा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर घृणा का जश्न मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुग़ल शासन के बाद भारत के राजा-महाराजा आपस में लड़ते रहते थे, लोकतंत्र यहाँ नया है। बकौल नसीरुद्दीन शाह, पीएम मोदी ने पहले कहा था कि उन्होंने कोई पढ़ाई नहीं की हुई है लेकिन आज वो खुद को हमेशा केंद्र में रखना चाहते हैं और ‘डेमीगॉड’ बनना चाहते हैं। नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि वो दुःखी और आक्रोशित हैं, लेकिन आशा है कि कभी न कभी सब ठीक होगा क्योंकि समय चक्र में चलता है। उन्होंने कोरोना के दौरान थाली बजाने को भी ‘अन्धविश्वास’ बताते हुए इसकी आलोचना की।