राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मंगलवार (27 जुलाई) को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने विभिन्न विसंगतियों और उल्लंघनों को पाए जाने के बाद ही हर्ष मंदर से जुड़े दो बाल गृहों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। उन्होंने बताया कि दो घर जाँच के घेरे में हैं। पहला लड़कों के लिए ‘उम्मीद अमन घर’ और दूसरा लड़कियों के लिए ‘खुशी रेनबो होम’ है। हर्ष मंदर के खिलाफ फरवरी 2021 में एफआईआर दर्ज की गई थी।
एनसीपीसीआर के मुताबिक बच्चों ने बताया कि बड़े लड़कों को सीएए (CAA) के विरोध में प्रदर्शन स्थल पर भेजा गया था। वहीं, एक बच्चे ने तो यहाँ तक कह दिया कि पीएम मोदी सिर्फ हिंदुओं की सुनते हैं और पाकिस्तान से लड़ते हैं। आयोग ने कहा कि लड़कियों में से एक ने आयोग को बताया कि वह 4-5 लड़कियों के साथ सीएए के विरोध में जंतर-मंतर गई थी। उन्होंने यह भी पाया कि बड़े लड़कों को भी विरोध स्थलों पर भेजा गया था। बच्चों को विरोध के लिए भेजना किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 83(2) का उल्लंघन है।
एनसीपीसीआर ने कहा कि बच्चों को जंतर-मंतर समेत अन्य धरना स्थलों पर ले जाया गया, जो नियमों का उल्लंघन है। आयोग ने सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (सीईएस) द्वारा दायर याचिका के जवाब में अपना जवाब दिया था, जो बच्चों के घरों को चलाता है। मंदर सीईएस में निदेशक है। याचिका में उन्होंने अदालत से एनसीपीसीआर द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट को रद्द करने का अनुरोध किया है।
एनसीपीसीआर ने अपने जवाब में कहा, ”निरीक्षण के दौरान प्रथम दृष्टया किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और इसके मॉडल नियम, 2016 के कई उल्लंघन और कई अन्य अनियमितताएँ NCPCR के संज्ञान में आईं, जिनमें वित्तीय अनियमितताएँ भी शामिल थीं। संस्थान निरीक्षण दल को अपने वित्त पोषण के स्रोतों और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों का खुलासा नहीं कर रहा था।
एनसीपीसीआर ने अपने जवाब में आगे कहा कि यह कार्रवाई कलिंग राइट्स फोरम द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर की गई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि मंदर द्वारा संचालित दो घरों में केवल एक विशेष धर्म के बच्चों को रखा जा रहा था। उसने यह भी आरोप लगाया कि इसके लिए सीईएस को बहुत धन प्राप्त हुआ था, जिसका उपयोग धर्मांतरण जैसी अवैध गतिविधियों के लिए किया जा रहा था।
एनसीपीसीआर ने अपने जवाब में कई कथित उल्लंघनों का उल्लेख किया है। पहला पंजीकरण की समय सीमा समाप्त होना, अपर्याप्त स्टाफ और बुनियादी ढाँचा, बच्चों के बीच अलगाव। इसके अलावा रोजगार और पर्यटक वीजा पर विदेशी नागरिकों को घरों में स्वैच्छिक सेवाएँ देने की अनुमति देना शामिल है।
बता दें कि एनसीपीसीआर ने इस साल की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा था, ”निरीक्षण के दौरान उसने दोनों घरों में किशोर न्याय अधिनियम के कई उल्लंघन और अन्य विभिन्न अनियमितताओं को देखा, जिसमें घर पर लड़कों के यौन शोषण के मामले भी शामिल थे। वहीं, सीईएस ने आरोपों का खंडन किया है और कहा कि इसके निदेशक हर्ष मंदर की प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए ये सब आरोप लगाए जा रहे हैं।”