नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (NIMHANS) के डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ की माने तो आने वाले समय में देश में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार दुगुनी तेज़ी से बढ़ेगा और महामारी का कम्युनिटी ट्रांसमिशन भी देखने को मिलेगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (NIMHANS) में न्यूरोवायरोलॉजी के साथ ही कोविड-19 के लिए कर्नाटक विशेषज्ञ समिति में नोडल अधिकारी डॉ. वी रवि ने यह अनुमान लगाया है कि दिसंबर 2020 में भारत की आधी आबादी कोरोना महामारी से संक्रिमत हो सकती है!
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत तक लगभग 67 करोड़ भारतीयों का टेस्ट इस चीनी महामारी के लिए पॉजिटिव आएगा।
हालाँकि, विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि, इनमें से 90 प्रतिशत लोगों को ये पता भी नहीं चलगा कि उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका है। क्योंकि अधिकांश लोगों में इस वायरस के लक्षण दिखाई ही नहीं देंगे और केवल 5 प्रतिशत लोग ही इस महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। लेकिन भारत में अगर 67 करोड़ लोगों में से 5 प्रतिशत भी गंभीर रूप से बीमार पड़ गए तो ये आँकड़ा 3 करोड़ से ज्यादा होगा।
डॉ. रवि ने कहा कि “इनमें से 5 से 10% मामले ऐसे होंगे जिन्हें ऑक्सीजन के हाई फ्लो के साथ इलाज करना होगा और केवल 5% मरीजों को वेंटीलेटर के सपोर्ट की जरूरत होगी।”
उन्होंने आगे सुझाव दिया कि राज्यों को चिकित्सा से जुड़े बुनियादी ढाँचे को सुधारना होगा ताकि आने वाली गंभीर परिस्थितियों से निपटा जा सके। खासकर उन राज्यों में जहाँ ज्यादा चिकित्सा देखभाल और मेडिकल सेवाओं की आवश्यकता होती है।
मौजूदा स्थिति में देश में कोरोनावायरस मरीजों के इलाज के लिए केवल 1,30,000 बेड्स अस्पतालों में उपलब्ध हैं। वहीं ग्रामीण भारत में केवल 16,613 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें से केवल 6,733 स्वास्थ्य केंद्र 24 घंटे काम करते हैं और केवल 12,760 स्वास्थ्य केंद्रों में 4 या उससे अधिक बेड्स उपलब्ध हैं। जो की भविष्य में और घातक स्थिति पैदा कर सकती है।
अभी तक लगाए गए अनुमानों के अनुसार, इस साल के अंत तक लगभग 3.5 करोड़ लोग कोविड-19 के शिकार होंगे और इनमें से 70 लाख के करीब ग्रामीण लोग इसके चपेट में आएँगे। फिलहाल इस वक़्त भारत में ग्रामीण इलाकों से कुल 21% कोरोना वायरस के मामले सामने आए है।
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में आगाह किया था कि देश में कोरोनावायरस के मामले जून-जुलाई में चरम पर पहुँचने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा था कि मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे एक मुख्य कारण परीक्षण में वृद्धि हैं।
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, जुलाई की शुरुआत में देश में संक्रिमत लोगों के आँकड़े काफ़ी तेज़ी से बढ़ सकते है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि जुलाई के अंत तक देश में कोरोनोवायरस के मामले कम होने लगेंगे।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर के मुताबिक सितंबर से पहले कोरोना अपने चरम पर नहीं पहुँचेगा और इसके कारण अगले साल भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी तक गिरावट आ सकती है।