दिल्ली के शादीपुर इलाके में हुई नितेश चौधरी की हत्या के बाद उनकी माँ द्वारा पुलिस कार्रवाई पर असंतोष जताने की जानकारी हम पहली रिपोर्ट में आपको बता चुके हैं। हमने बताया कि कैसे पीड़ित परिवार की सुरक्षा के लिए पुलिस और पैरामिलिट्री को तैनात किया गया है। इसी क्रम में हमने आगे मृतक के अन्य परिजनों से बात की। इस दौरान हमें बताया गया कि बुरी तरह से घायल करने के बाद भी नितेश का पीछा अस्पताल तक किया गया।
साथ ही हमें यह भी बताया गया कि कैसे दिल्ली की लचर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते घायल नितेश का इलाज 12 घंटे बाद शुरू हो पाया।
घायल नितेश को कई घंटों तक नहीं मिला इलाज
नितेश की भाभी प्रवीन चौधरी ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा कि हमले के लगभग 12 घंटे बाद नितेश का इलाज शुरू हो पाया। उन्होंने हमें बताया कि हमारा परिवार कभी यहाँ के लोकल राम मनोहर लोहिया अस्पताल तो कभी सफदरजंग अस्पताल के चक्कर लगाता रहा। रोते हुए उन्होंने कहा कि तब तक काफी खून गिर चुका था और अगर समय से इलाज शुरू होता तो शायद नितेश आज जीवित होता। नितेश की भाभी ने कहा कि हम नितेश को एम्स में भी भर्ती करवाना चाह रहे थे, लेकिन वहाँ से भी हमें लौटा दिया गया।
पीड़ित परिजनों के मुताबिक, इस दौरान एम्बुलेंस और इलाज का ख़र्च खुद उन्होंने ही उठाया।
इलाज के दौरान नितेश के साथ नहीं थे पुलिसकर्मी
नितेश की भाभी ने हमें बताया कि घायल नितेश को स्थानीय राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हमारे हवाले कर के थाने के पुलिसकर्मी चले गए थे। उनके मुताबिक, इसके बाद घंटों तक वो नितेश को ले कर दिल्ली के तमाम अस्पतालों के चक्कर कई घंटों तक लगाते रहे, लेकिन उनके साथ कोई पुलिसकर्मी नहीं था। प्रवीन चौधरी के मुताबिक, इस बीच उनके साथ कुछ भी हो सकता था।
अस्पताल में भी हुआ घायल नितेश का पीछा
नितेश की भाभी के मुताबिक, इलाज़ के दौरान आरोपितों के साथियों ने उनके परिवार का अस्पताल तक पीछा किया। उनकी मानें तो नितेश के बेड के बगल में उन्होंने 2-3 संदिग्धों को मरीज के रूप में लेटे देखा तो उन्हें शक हुआ। उनके मुताबिक, संदिग्धों द्वारा वीडियो बनाया जा रहा था जिस पर उनसे पूछताछ की गई तो वो भाग निकले। प्रवीन चौधरी के अनुसार, भागने के दौरान आरोपित अपना फोन छोड़ कर गए हैं जिसमें इलाज करवाते नितेश की वीडियो बनी मिली।
आरोपितों को बेहद शातिर बताते हुए उन्होंने कहा कि तब से अब तक एक भी फोन उस नंबर पर नहीं आया है, जबकि फोन ऑन है। फिलहाल वो फोन पुलिस के कब्ज़े में बताया जा रहा है।
पहले ही हुआ था हमला और पथराव
1 साल पहले की घटना का जिक्र करते हुए नितेश के चाचा नरेश सिंह ने ऑपइंडिया से बताया कि तब साइड लेने के बहाने ऐसे ही भीड़ ने हिन्दुओं पर हमला किया था। उन्होंने बताया कि तब हमले की जगह रंजीत नगर की ही शिव चौक थी। उन्होंने कहा कि तब हिन्दुओं पर हाथों में हथियार लिए लगभग 150 मुस्लिमों की भीड़ ने पत्थरबाजी भी की थी। भीड़ नरेश सिंह ने भीड़ को रंजीत नगर की खत्ते के पास मस्जिद वाले मोहल्ले से निकलती हुई बताया।
हमलावरों में युवा, वृद्ध और बच्चे सभी
मृतक के चाचा नरेश ने हमें मस्जिद के बगल वाले मोहल्ले का जिक्र करते हुए बताया कि हिंसा के दौरान उसी क्षेत्र में भीड़ निकला करती है। उन्होंने बताया कि हमलावर भीड़ में बूढ़े, बच्चे और युवा सभी होते हैं, जिसमें 20 से 25 वर्ष के बीच वालों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। नरेश सिंह के मुताबिक, पुलिस घटना की लीपापोती करना चाहती है और असली फुटेज दिखाने से बच रही है।
नितेश के चचेरे भाई दीपक ने ऑपइंडिया से बात करते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा घटना में कम्युनल एंगल न होने के जवाब पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पुलिस से अपने भाई पर हुए हमले में शामिल हिन्दुओं के नाम पूछे हैं। पुलिस के जवाब को उन्होंने आरोपितों से साठ-गाँठ वाला बताते हुए कार्रवाई पर भी असंतोष जताया। इसी दौरान मृतक के चाचा नरेश ने भी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उस क्षेत्र की पुलिस केवल गरीबों और कमजोरों का चालान करती है। उन्होंने कहा कि रात भर बाइकों से फर्राटे भरने वाले मुस्लिम समाज के लोगों को वहाँ ट्रैफिक पुलिस वाले रोकने से भी डरते हैं।
दावा – डॉक्टर सिद्दीकी हो सकता है मास्टरमाइंड
मृतक नितेश के चचेरे भाई दीपक ने रंजीत नगर के डॉक्टर सिद्दीकी पर हमले के मास्टरमाइंड होने का शक जताया। उन्होंने कहा कि सिद्दीकी केवल नाम का डॉक्टर है बाकी उसके पास बाहर से अथाह पैसा आता है। दीपक के मुताबिक उन्हें कहीं से जानकारी मिली है कि डॉ सिद्दीकी ने ही आरोपितों की पैरवी पुलिस से की है और उसके बाद पुलिस हमारे ही मृत भाई के खिलाफ उल्टे-सीधे बयान देने लगी है। दीपक के मुताबिक, सिद्दीकी की जाँच हो तो उसके रिश्ते PFI जैसी संगठनों से निकल सकते हैं।