Saturday, July 27, 2024
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‘गोली लगने से किसान की मौत’: हरियाणा पुलिस ने आंदोलनकारी नेताओं के दावे को बताया अफवाह, अब तक 3 पुलिसकर्मियों की हो चुकी है मौत

हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की भी अपील की है। उधर निहंग किसान भी हरियाणा में बैरिकेडिंग के पास पहुँच कर उसे हटाने की कोशिश कर रहे हैं।

पंजाब से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के लिए मार्च कर गए, जिसे किसान आंदोलन 2.0′ कहा जा रहा है। ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर चले इन किसानों को हरियाणा के शम्भू और खनौरी बॉर्डर पर रोका गया है, जहाँ प्रदर्शनकारी JCB से लेकर मिट्टी खोदने वाली मशीनें तक लेकर आ गए। अब अफवाह उड़ाई जा रही है कि आंदोलन में 2 किसानों की मौत हो गई है। हालाँकि, हरियाणा पुलिस ने साफ़ कर दिया है कि आंदोलन में किसी किसान की मौत नहीं हुई है।

हरियाणा पुलिस ने कहा, “अभी तक की प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार (21 फरवरी, 2024) को ‘किसान आंदोलन’ में किसी भी किसान की मृत्यु नहीं हुई है। यह मात्र एक अफवाह है। दाता सिंह-खनौरी बॉर्डर पर 2 पुलिसकर्मियों तथा एक प्रदर्शनकारी के घायल होने की सूचना है जिनका उपचार चल रहा है।” किसान नेता किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने दावा किया था कि उनके एक साथी की इस आंदोलन में मौत हो गई है। भारी-भड़कम मशीनों के साथ किसान बॉर्डर पर जमे हुए हैं।

हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की भी अपील की है। उधर निहंग किसान भी हरियाणा में बैरिकेडिंग के पास पहुँच कर उसे हटाने की कोशिश कर रहे हैं। इधर खबर ये है कि किसान आंदोलन में ड्यूटी पर लगे एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई है। रोहतक के रहने वाले सब-इंस्पेक्टर विजय कुमार को फतेहाबाद टोहाना के पंजाब बॉर्डर क्षेत्र में गश्त की जिम्मेदारी दी गई थी। ड्यूटी के दौरान ही उनके सीने में तेज़ दर्द उठा, जिसके बाद वो घर चले गए।

हरियाणा पुलिस ने ‘किसान आंदोलन’ में किसान की मौत की अफवाहों को नकारा

मंगलवार की शाम को उनकी मौत हो गई। इस आंदोलन में पुलिसकर्मियों की मौत का ये पहला मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी 2 पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है। रोहतक के अर्बन स्टेट के रहने वाले विजय इससे पहले नूहं में तैनात थे। वहीं हरियाणा की सीमाओं पर पुलिस और किसानों में झड़प जारी है। पुलिस ने रबड़ की गोलियों का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा। किसान नेताओं का कहना है कि 25 किसान घायल भी हुए हैं। हिंसा के बावजूद वो अपने आंदोलन को शांतिपूर्ण बता रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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