मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी जून-जुलाई माह में काफी चर्चा में थी। कुछ लोग इसे सही बता रहे थे और कुछ इसे नाइंसाफी कह रहे थे। जुबैर को बेल दिलाने के लिए करीबन तीन हफ्ते काफी मशक्कत हुई थी। उनकी वकील वृंदा ग्रोवर ने यहाँ तक तर्क दिया था कि जिस अकॉउंट से शिकायत हुई है वो बेनाम है और जुबैर को फँसाने के लिए उसे प्रयोग में लाया गया। वहीं दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में कोर्ट को बताया था कि जुबैर के विरुद्ध शिकायत करने वाला कोई अंजान नहीं था। उसकी हर जानकारी उनके पास है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अब उन्हें उसी शिकायतकर्ता से जुड़ी जानकारी का पता चला है। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने बताया वृंदा ग्रोवर ने जिस ‘हनुमान भक्त’ नाम वाली @balajikijaiin आईडी को बेनाम कहा था, वह दिल्ली के एक 36 वर्षीय बिजनेसमैन का अकॉउंट था। दिल्ली पुलिस ने इस अकॉउंट से किए गए ट्वीट पर संज्ञान लेते हुए 27 जून को जुबैर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद ये आईडी 29 जून को बंद कर दी गई और 30 जून को इसे चालू किया गया। फिलहाल, अभी भी ये अकॉउंट ट्विटर की ओर सस्पेंड है।
#ExpressFrontPage | The handle currently displays the message “Account suspended”, with a line from Twitter that it “suspends accounts that violate the Twitter Rules”.https://t.co/i1JHjZls78
— The Indian Express (@IndianExpress) August 31, 2022
पुलिस ने इस ट्विटर अकॉउंट से जुड़ी जानकारी निकलवाने के लिए ट्विटर इंडिया को नोटिस भेजा था। ये बात पुलिस ने कोर्ट में बताई। पुलिस ने कहा कि नोटिस में उन्होंने कहा था कि उन्हें शिकायतकर्ता की हर डिटेल दी जाए। ट्विटर ने जैसे ही आईडी से जुड़ी पंजीकृत जानकारी और आईपी एड्रेस उन्हें दिया। पुलिस ने बिजनेसमैन को नोटिस भेजा और कहा कि वो द्वारका के IFSO कार्यालय में आकर बयान दर्ज करवाएँ।
शिकायतकर्ता, निर्देशों का पालन करते हुए कार्यालय पहुँचे। वहाँ पहले उन्होंने अपनी डिटेल्स दीं और उसके बाद यही बयान दिया कि जुबैर के ट्वीट से उनकी भावनाएँ आहत हुईं। पुलिस ने पूछताछ में पाया कि शिकायतकर्ता किसी पार्टी विशेष से नहीं है। वो अजमेर का है और दिल्ली में रहकर बिजनेस करता है।
चूँकि पुलिस के पास सारी जानकारी थी, इसलिए जब वृंदा ग्रोवर ने यह कहकर कोर्ट में जुबैर की बेल माँगी कि जिस ट्विटर से जुबैर की शिकायत हुई संदेहास्पद है। केवल उनके मुअक्किल को फँसाने के लिए उसे बनाया गया। तो, दिल्ली पुलिस ने इस पर उन्हें जवाब दिया। पुलिस की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में कहा, “वह एक सूचना देने वाला व्यक्ति था बस। वो कोई गुमनाम शिकायकर्ता नहीं है। उसकी हर जानकारी है। किसी को बिन डिटेल्स दिए ट्विटर अकॉउंट नहीं मिल जाता।”
बता दें कि जुबैर की गिरफ्तारी 2018 के एक विवादित ट्वीट पर 27 जून को हुई थी। यूपी प्रशासन ने उसके विरुद्ध जाँच के लिए एसआईटी का गठन किया था। पूछताछ में उसने माना था कि वो ट्वीट के बदले पैसा लेता था। गिरफ्तारी के लगभग तीन हफ्ते बाद 20 जुलाई उसे दिल्ली कोर्ट से बेल मिली थी। NDTV के पत्रकार श्रीनिवासन ने उसका बॉन्ड भरा था। जेल से बाहर आते ही उसने पीआर इंटरव्यू दिए थे। मगर अपने किए पर उसने कहीं माफी नहीं माँगी थी।