देश के सबसे बड़े किसान संगठनों में से एक ‘भारतीय किसान संघ’ ने लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि इसमें लिप्त लोग किसान नहीं थे। ‘भारतीय किसान संघ’ ने स्पष्ट कहा है कि ये विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग थे, जिन्होंने वामपंथी तरीकों से इस घटना को अंजाम दिया। संगठन ने कहा कि जिस तरह से लाठी-डंडों से पीट-पीट कर लोगों की निर्मम हत्या की गई, ऐसा काम किसान नहीं कर सकते।
‘भारतीय किसान संगठन’ ने कहा, “कानून हाथ में लेना, सरेआम हत्याएँ कराना… ऐसा लगता है जैसे प्रोफेशनल लोगों ने, जल्लादों ने ये कार्य किया हो। इस घटना की जितनी निंदा की जाए, कम है। इस प्रकार के कृत्यों में लिप्त लोगों को कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए। हम माँग करते हैं कि इस घटना की निष्पक्ष जाँच करा के जल्द से जल्द मृतकों के परिजनों को न्याय मिले। हम मृतकों के परिजनों के साथ संवेदना प्रकट करते हैं।”
वहीं योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 20 घंटों के भीतर पीड़ितों से बात कर के स्थिति को संभाल लिया, जिससे यहाँ गिद्धदृष्टि लगाए नेताओं को भी निराशा हाथ लगी है। बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की योजना थी और कई विपक्षी नेताओं समेत एक्टिविस्ट्स भी यहाँ पहुँच रहे थे, लेकिन प्रशासन ने स्थिति संभाल लिया। नेताओं को यहाँ आने से रोका गया, ताकि तनाव न बढ़े। FIR भी की गई। मृतकों के आश्रितों के लिए मुआवजे की घोषणा हुई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश दिया है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में RAF और SSB की दो-दो कंपनियों की तैनाती 6 अक्टूबर तक रहेगी। किसान नेताओं के साथ प्रशासन ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के समझौते का ऐलान किया। दिल्ली-NCR की सीमाएँ पहले ही बंद कर दी गई थीं। सपा समर्थकों ने राज्य भर में हिंसा की, लेकिन लखीमपुर खीरी में उन्हें टपने नहीं दिया गया। अभी भी वरिष्ठ अधिकारी वहाँ मौजूद हैं।