एक किसान हल-बैल लेकर खेत पर जाता है। दिन भर मेहनत करता है। पूरा खेत फिर भी नहीं जोत पाता है। शाम को वापस घर आता है। रात में खाता है, आराम करता है और सुबह फिर से खेत की ओर चल देता है। एक दिन उसकी मेहनत रंग लाती है। उसकी मेहनत को देख प्रकृति भी मेघ के रूप में उस पर मेहरबान होती है। फिर खेत में फसल लहलहाते हैं और उससे न सिर्फ किसान का घर चलता है बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था भी पटरी पर दौड़ती है।
जरा सोचिए, इस मेहनत के बावजूद भी अगर बारिश न हो और किसान निराश हो जाए तो क्या होगा! रोने लग जाए तो क्या होगा? और जरा सोचिए, उस रोते हुए किसान को अगर एक मजबूत कंधा मिल जाए, जो उसे ढाढस बँधाए तो क्या होगा? दूसरे उदाहरण वाला किसान संबल पाकर पहले से ज्यादा उत्साह के साथ मेहनत में जुट जाएगा जबकि पहले वाला हतोत्साहित होकर टूट जाएगा।
#WATCH PM Narendra Modi hugged and consoled ISRO Chief K Sivan after he(Sivan) broke down. #Chandrayaan2 pic.twitter.com/R1d0C4LjAh
— ANI (@ANI) September 7, 2019
चंद्रयान-2 में पूरे भारतवर्ष को जो 5% विफलता देखने को मिली है, वह दूसरे किसान की ही कहानी है। और इस ‘किसान’ को ढाढस देने आया कौन! देश का मुखिया खुद। इसरो चीफ के सिवन जब टूट रहे थे, तो उनके कंधों पर शाबासी की थपकी मिली किससे – खुद पीएम से। जब पीएम मोदी ने रोते हुए सिवन को गले लगाया तो उसमें यह संदेश छिपा था कि देश को आपकी सफलता पर गर्व है, जबकि आपकी विफलता पर वो आपके साथ और भी मजबूती के साथ खड़ा है।