Sunday, November 17, 2024
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नल्हड मंदिर से जिन्दा बचा लिए गए थे प्रदीप कुमार, घर लौटते हुए मुस्लिम भीड़ ने मार डाला: घायल चश्मदीद का दावा- बच्चे-बूढ़े सबने घेर कर मारा

मुस्लिम भीड़ को उनकी सटीक मुखबिरी कैसे हुई, जबकि वो सीधे पुलिस लाइन से निकले थे? रात के 2-3 बजे 300 की संख्या में मुस्लिम भीड़ कहाँ से आई? हिन्दू संगठन के सदस्यों को बिना पुलिस सुरक्षा के थाने से जाने क्यों दिया? - बजरंग दल के प्रदीप कुमार की हत्या के बाद कुछ सवाल जो उठने चाहिए।

हरियाणा के नूहं इलाके में सोमवार (31 जुलाई 2023) को हिन्दू जलाभिषेक यात्रा पर मुस्लिम भीड़ ने हमला किया था। इस हमले में 2 होमगार्ड सहित मिठाई बनाने वाले शक्ति सैनी और बजरंग दल के अभिषेक राजपूत की हत्या कर दी गई। अब इसी हिंसा की भेंट प्रदीप कुमार भी चढ़ गए हैं। प्रदीप कुमार नल्हड मंदिर के पास हुए हमले में सुरक्षित बचा कर नूहं पुलिस लाइन तक लाए गए थे। दंगाई शायद उनकी ताक में बैठे थे। उन्हें मंगलवार (1 अगस्त 2023) को नूहं पुलिस लाइन से घर जाने के दौरान भीड़ ने घेर कर मार डाला।

ऑपइंडिया ने प्रदीप कुमार के साथ घटना के समय मौजूद कपिल कुमार त्यागी से बात की। कपिल त्यागी को भी इस हमले में काफी चोटें आईं हैं और उनका इलाज चल रहा है। कपिल त्यागी ने हमें बताया कि वो और प्रदीप पुलिस द्वारा नल्हड मंदिर से रेस्कयू करके नूहं की पुलिस लाइन लाए गए थे। रात में काफी देर तक पुलिस लाइन में रखने के बाद सुबह होने से पहले रात के लगभग 2 से 3 बजे के बीच पुलिस ने उन्हें गुरुग्राम तक छोड़ने की बात कह कर साथ चलने को कहा। कपिल की कार स्विफ्ट डिजायर को प्रदीप ही चला रहे थे। पीछे हिन्दू संगठनों से जुड़ीं 3 महिलाएँ भी बैठी थीं, जो इन दोनों के साथ अपने-अपने घरों के लिए रवाना की गईं थीं।

कपिल ने हमें आगे बताया कि उनके वाहन के साथ हिन्दू संगठन से जुड़े लोगों की एक और अर्टिगा कार चल रही थी। इन 2 वाहनों के आगे-आगे पुलिस की जिप्सी मौजूद थी। थोड़ी दूर जाने के बाद सोहना क्षेत्र में जिप्सी में मौजूद पुलिस वालों ने आगे रास्ता क्लियर होने की बात करते हुए हिन्दू संगठन के सदस्यों को बिना सुरक्षा के आगे जाने के लिए कहा। हालाँकि कपिल के मुताबिक वो चाहते थे कि पुलिस और आगे तक उनके साथ चले लेकिन जवाब में उन्हें सीमा क्षेत्र का हवाला दिया गया।

कपिल त्यागी का दावा है कि जिस सड़क से उन्हें जाना था, वो काफी सुनसान थी। पुलिस के बिना वो थोड़ी ही दूर चले थे कि एक अपरिचित स्कॉर्पिओ तेजी से उनके आगे से निकली। जब उनकी गाड़ी 2 से 3 किलोमीटर और आगे बढ़ी तभी सड़क के दोनों तरफ मुस्लिमों की भीड़ दिखाई पड़ी। लगभग 300 की संख्या में इस भीड़ में बच्चे से लेकर बूढ़े तक मौजूद थे। भीड़ ने कपिल की कार को घेर लिया और पत्थरबाजी करने लगी। पत्थरबाजी में कार के शीशे टूट गए। पीछे बैठी महिलाओं को भी चोटें आईं। इस बीच एक पत्थर कार चला रहे प्रदीप कुमार के सिर पर लगा और वो अचेत हो गए।

हमसे बात करते हुए कपिल ने आगे बताया कि अन्धेरा देख कर उन्होंने महिलाओं को कार से उतर कर भागने को कहा। इस बीच वो खुद ही भीड़ के सामने आ गए। भीड़ में कुछ लोग उन्हें घसीटने लगे और कुछ लोग कार में मौजूद अचेत हो चुके प्रदीप कुमार को बाहर खींचने लगे। महिलाएँ सम्भवतः कहीं आस-पास छिप गईं थीं। कपिल भीड़ से खुद को छुड़ा कर कभी भागते तो कभी भीड़ उन्हें फिर पकड़ लेती थी। इसी बीच कपिल की गाड़ी के साथ चल रही हिन्दू संगठन की एक अन्य अर्टिगा पर भी पत्थर चले लेकिन वो भीड़ से जैसे-तैसे निकल कर आगे चली गई।

कपिल का कहना है कि निकल कर आगे चली गई इसी अर्टिगा ने थोड़ी दूर पर चौराहे पर मौजूद पुलिस वालों को पीछे हो रहे हमले की जानकारी दी। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम वहाँ पहुँची, जिसे देख कर भीड़ तितर-बितर हुई। पुलिस टीम ने ही कपिल को भीड़ के चंगुल से बचाया और आस-पास छिपी महिलाएँ भी जैसे-तैसे तब बच पाईं। कपिल का आरोप है कि हिंसक मुस्लिम भीड़ अपने साथ जाते-जाते उनके साथी प्रदीप कुमार को भी घसीट ले गई। बाद में अस्पताल में उनकी मौत की खबर मिली।

देहांत के समय प्रदीप कुमार का इलाज दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में चल रहा था। कपिल के मुताबिक वो घायल थे और उनको यह पता नहीं चल पाया कि प्रदीप को पुलिस ने कैसे बचाया और फिर कब अस्पताल ले गए। फिलहाल कपिल त्यागी का इलाज चल रहा है। उनको कई गंभीर चोटें आईं हैं

कपिल त्यागी इस बात को लेकर भी हैरान हैं कि मुस्लिम भीड़ को उनकी सटीक मुखबिरी कैसे हुई, जबकि वो सीधे पुलिस लाइन से निकले थे। मृतक प्रदीप कुमार गुरुग्राम में बजरंग दल के पदाधिकारी थे। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के रहने वाले बताए जा रहे हैं। गुरुग्राम में वो छोटा-मोटा काम करके अपना और अपने परिवार का गुजारा करते थे। गुरुग्राम के हिन्दू संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि पुलिस उनके पार्थिव शव को सीधे पैतृक गाँव बागपत भेजना चाहती है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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