पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की आज पंजाब के मानसा जिले में हत्या कर दी गई। 28 साल के सिद्धू का जन्म मानसा के नजदीक ही मूसेवाला गाँव में 17 जून 1993 को हुआ था। उनका असली नाम शुभदीप सिंह सिद्धू था। दुनिया उन्हें उनके रैप और गानों की वजह से जानती थी।
मौजूदा जानकारी के अनुसार, सिद्धू की माँ अपने गाँव की सरपंच थी और उन्होंने खुद ने ग्रेजुएशन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में की थी और इसी दौरान उनका मन गायिकी की ओर भागा। फिर वो पढ़ाई करके कनाडा चले गए। इसके बाद उन्होंने कई गाने गाए और युवाओं में मशहूर होते गए।
साल 2017 में मूसेवाला का ‘जी वैगॉन’ गाना आया। उनके ‘जस्ट लिसन, सो हाई, जट का मुकाबला, डेविल, लीजेंड, ब्राउन बॉयज, इट्स ऑल अबाउट यू जैसे गाने’ मशहूर होते गाए। फिर PBX1 नाम की एल्बम आई। मूसेवाला ने आधिकारिक तौर पर अपने फिल्मी करियर को 2021 में शुरू किया था। 2019 में वह ‘तेरी-मेरी जोड़ी’ फिल्म में गेस्ट अपीयरेंस दी थी।
हिंदी भाषी युवाओं में पंजाबी गानों के बढ़ते क्रेज ने सिद्धू मूसेवाला को पूरे भारत में मशहूर कर दिया था। उनकी एक गाने की फीस लाखों थी और यूट्यूब मिलाकर उनकी सालाना कमाई (अनुमानित) 30 करोड़ रुपए दिखाई जा रही है। उन्हें महंगी गाड़ियों और मोटरबाइक का शौक था। गाड़ी में उनके पास फॉर्च्यूनर, जीप और एसयूवी जैसी गाड़ियाँ थी।कई लोगों ने उन्हें कई बार रेंज रोवर की सवारी करते भी देखा था। इसी तरह Isuzu D-Max, Mercedes AMG 63 और Mustang जैसी कार भी उनके कलेक्शन का हिस्सा बताई जा रही हैं।
कैश आदि की बात करें तो चुनाव में जमा कराए गए हलफनामे में उन्होंने 5 लाख रुपए नकदी होने की घोषणा की थी। इसके अतिरिक्त 5 करोड़ की नकदी और 18 लाख रुपए की ज्वैलरी की बात भी इसमें बताई गई। कुल मिलाकर उन्होंने अपने पास 8 करोड़ रुपए की संपत्ति होने का दावा किया था। वो युवाओं में खासा फेमस थे। इंस्टाग्राम पर उन्हें 70 लाख लोग फॉलो करते थे, 20 लाख लोग ट्विटर पर उन्हें देखते थे और यूट्यूब पर उनकी फॉलोइंग लिस्ट 1 करोड़ 7 लाख थी। अपने गानों में सिद्धू ने गन कल्चर को बढ़ावा दिया था और पिछले साल एके-47 चलाने के कारण उनके ऊपर केस भी दर्ज हो गया था।
साल 2021 के अंत में मूसेवाला ने राजनीति में कदम रखा और कॉन्ग्रेस ज्वाइन की। इसके बाद वह लगातार आम आदमी पार्टी के ऊपर तंज कसने के कारण चर्चा में थे। पिछले दिनों उन्होंने एक गाना रिलीज किया था जिसमें उन्होंने आप समर्थकों के ऊपर निशाना साधते हुए उन्हें गद्दार कहा था। भगवंत मान सरकार ने 28 मई को उनकी सुरक्षा को हटाया था। खालिस्तानी प्रशंकर होने के कारण भी मूसेवाला ने सुर्खियों में जगह बनाई थी। इसके अलावा उस किसान आंदोलन को भी मूसेवाला ने समर्थन दिया था जिसे खालिस्तानी विदेश में बैठकर अपना समर्थन दे रहे थे और जिसके बाद दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर खुलेआम हिंसा हुई थी।