‘रेडियो मिर्ची’ अब इस्लामी कट्टरपंथ और आतंकवाद का बचाव करता दिख रहा है। एफएम रेडियो चैनल की RJ सायमा इस मामले में खुल कर लगी हुई हैं। ‘रेडियो मिर्ची’ ने एक ट्वीट में ‘जिहाद, आतंकवाद नहीं है‘ लिख कर इस्लामी कट्टरपंथियों का बचाव किया। साथ ही RJ सायमा की ‘उर्दू की पाठशाला’ में ‘काफिर’ अंग्रेजी में ‘Non Believer’ बताया गया, अर्थात किसी चीज में अविश्वास करने वाला।
मई 10, 2020 में ‘रेडियो मिर्ची’ की RJ सायमा का एक वीडियो ‘काफिर और जिहाद है?’ टाइटल के साथ ‘द मुस्लिम गाइड’ चैनल पर अपलोड किया गया था। इस वीडियो में ‘रेडियो मिर्ची’ के शो ‘उर्दू की पाठशाला’ के जरिए ‘काफिर’ और ‘जिहाद’ जैसे शब्दों को समझाया गया है। RJ सायमा कहती हैं कि जब आप ‘काफिर’ शब्द को गूगल करेंगे तो आपको इसका वही अर्थ मिलेगा, जो आप जानते थे। इसके बाद वो कहती हैं कि गूगल तो बस ‘पॉपुलर मीनिंग’ बताता है।
RJ सायमा के अनुसार, गूगल ‘काफिर’ शब्द का वही अर्थ बताएगा, जैसा ज्यादातर लोगों ने समझा है। इसके बाद वो बताती हैं कि इसके लिए आपको डिक्शनरी उठानी पड़ेगी, जहाँ पर इस लफ्ज का अर्थ मिलेगा। वो आगे बताती हैं कि ये शब्द ‘कुफ्र’ से बना है, जिसका अर्थ है – ‘किसी चीज को छिपाना या छिपाने की कोशिश करना’। वो आगे समझाती हैं कि जो खुदा, रब, भगवान की शिक्षाओं को छिपाने की कोशिश करते हैं, वही ‘कुफ्र’ है।
बकौल RJ सायमा, जब हम जानते हैं कि हमें किसने बनाया है, हमें बनाने वाला कोई है – हम उसे छिपाने की कोशिश करते हैं। इसके आगे वो कहती हैं कि जो ‘अविश्वासी’ होता है और जिसका ईमान नहीं होता है, उसे ‘काफिर’ कहते हैं। वो समझाती हैं कि ‘काफिर’ वो है, जो ‘कुफ्र’ करता है। इसके बाद वो इस शब्द के महिमामंडन के लिए एक शायरी भी पढ़ती हैं: एक बेवफा के प्यार में हद से गुजर गए, काफिर के प्यार ने हमें काफिर बना दिया।‘
वो समझाती हैं कि सच को छिपाने वाले को ‘काफिर’ कहते हैं। वो एक और शायरी पढ़ती हैं, ‘एक पहुँचा हुआ मुसाफिर है, दिल भटकने में फिर भी माहिर है, कौन लाया है इश्क पर ईमान, मैं भी काफिर हूँ, तू भी काफिर है‘। इसके आगे वो निष्कर्ष ये निकालती हैं कि नॉन-मुस्लिम काफिर हैं, आगे से मत बोलिएगा। इसके बाद वो ‘जिहाद’ के शब्द को बदनाम करने के लिए आतंकियों को दोष देते हुए दावा करती हैं कि 5% लोगों को भी इस अरबी शब्द का मतलब नहीं पता होगा।
फिर वो सवाल करती हैं कि क्या किसी ने इस शब्द को बदनाम कर दिया तो इसका मतलब बदल जाएगा? उनका कहना है कि ‘जिहाद’ का मतलब ‘पवित्र युद्ध’ नहीं है बल्कि ‘संघर्ष’ है। इसके बाद वो इसके हल्के-फुल्के अंदाज़ में उदाहरण देती हैं कि अगर किसी को कोई लड़की पसंद है तो वो कह सकता है कि उसे उसका मोबाइल नंबर लेने के लिए ‘जिहाद’ करना पड़ रहा है। फिर वो कहती हैं कि हमारा पहला ‘जिहाद’ खुद से होता है।
साथ ही वो बुराइयों और झूठ को निकालने के लिए किए जाने वाले संघर्ष को ‘जिहाद’ नाम देती हैं और कहती हैं कि खुद के अंदर से इन चीजों को निकालने के बाद अपने आसपास भी इन चीजों को निकालने के लिए संघर्ष करना ही ‘जिहाद’ है। इसके बाद वो इस पर बहस की गुंजाइश को समाप्त करते हुए कहती हैं कि कोई उन्हें किसी लेख या वीडियो में टैग कर के कह सकता है कि वहाँ इन शब्दों का मतलब कुछ और है, लेकिन इससे ‘सच’ नहीं बदल जाता।
वहीं दसूरी तरफ ‘दारुल उलूम देवबंद’ के अनुसार तो कादियानी/अहमदिया तक को ‘काफिर’ बताया जाता है और एक सवाल के जवाब में संस्था ने कहा था कि अगर इलाज करने वाले डॉक्टर इस समुदाय से आते हैं तो उन्हें त्याग देना चाहिए, उनसे इलाज नहीं करवाना चाहिए। देवबंद ने अपने फतवे में तो शिया समुदाय को भी काफिर करार दिया था। साथ ही कहा था कि जो सुन्नी समुदाय भी शिया के सिद्धांतों में विश्वास रखते हैं, वो भी काफिर हैं।
Radio Mirchi @RadioMirchi running apologia for Islamists
— Vedic Revival (@Vedic_Revival) October 24, 2020
Also calls non-believers = kafirs as dishonest people who don’t have a conscience.
The anchor is a Muslim. https://t.co/yQnfdGXtSb pic.twitter.com/tOymDdzJhS
एक बार एक मुस्लिम लड़की ने एक सिख व्यक्ति से शादी की तो लड़की के माता-पिता ने पूछा कि अगर वो सिख व्यक्ति इस्लाम अपना लेता है और होने वाले बच्चे भी इस्लाम का अनुसरण करते हैं, और उसे अपने माता-पिता से ये बात छिपानी पड़े, तो क्या इसकी अनुमति है? इसके जवाब में देवबंद ने कहा था कि अगर कोई दिल से इस्लाम अपना लेता है तो वो मुस्लिम ही है, भले ही उसे किसी से अपना ईमान छिपाना पड़े। साथ ही उसने अपने फतवे में नॉन-मुस्लिमों से शादी पर भी पाबन्दी लगाई थी।
हालाँकि, RJ सायमा हमेशा ऐसे कारणों से ही विवादों में रहती आई हैं। दिसंबर 2019 में रेडियो मिर्ची की रेडियो जॉकी (RJ) सायमा ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन करने के लिए भीड़ जुटाने के लिए अपने ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल किया था। उन्होंने ट्वीट कर दिल्ली के लोगों को पुलिस मुख्यालय के बाहर बड़े पैमाने पर इकट्ठा होने का आग्रह किया था, जिससे ‘दिल्ली पुलिस द्वारा’ हिंसा के ख़िलाफ़ ‘शांतिपूर्ण ढंग से विरोध किया जा सके।’