कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह 4 जून को हुए शेयर बाजार में भारी गिरावट में सीधे तौर पर शामिल थे। उन्होंने कहा कि इससे निवेशकों की 30 लाख करोड़ रुपए डूब गए। इसलिए इस मामले की जाँच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) बनाई जाए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर करके केंद्र सरकार और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को शेयर बाजार में गिरावट और निवेशकों को हुए नुकसान पर एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की माँग की गई है।
शेयर बाजार में गिरावट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में दायर यह आवेदन अडानी-हिंडनबर्ग मामले में दायर किया गया है, जो सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। इस वर्ष 3 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने सेबी और केंद्र सरकार से यह जाँच करने को कहा था कि क्या अमेरिका स्थित शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आचरण में कोई कानून का उल्लंघन हुआ है, जिसके कारण भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता आई और भारतीय निवेशकों को नुकसान हुआ।
न्यायालय ने यह निर्णय लिया था कि अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए स्टॉक हेरफेर के आरोपों पर कोई कार्रवाई करने की कोई आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने सेबी और सरकार को उसके द्वारा पहले नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर विचार करने का निर्देश दिया था, जिसने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियामक ढाँचे को मजबूत करने का सुझाए था।
अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर इस याचिका में तर्क दिया गया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि सेबी ने न्यायालय के आदेश के अनुपालन में लंबित जाँच पूरी की है या नहीं और न्यायालय को कोई रिकॉर्ड प्रस्तुत किया है या नहीं। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार ने विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर विचार किया है या नहीं।
तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है, “नुकसान उठाने वाले लोगों को यह जानने का अधिकार है कि क्या किसी कॉर्पोरेट समूह द्वारा कुछ अनियमितताओं और उल्लंघनों के कारण हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद भारतीय शेयर बाजार में जनता के पैसे को बड़ा नुकसान हुआ। इस संबंध में सेबी द्वारा की गई जाँच के परिणाम को रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए, ताकि चीजें छिपी और दबी हुई न रहें।”
तिवारी ने याचिका में 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद शेयर बाजार में आई गिरावट को लेकर कहा है कि एग्जिट पोल की घोषणा के बाद शेयर बाजार में तेजी आई, लेकिन जब वास्तविक नतीजे घोषित हुए तो शेयर बाजार में गिरावट आई। इसलिए सवाल उठता है कि क्या नियामक प्राधिकरण और तंत्र विफल हो गया है। क्या एग्जिट पोल आने के बाद फिर से कुछ हेरफेर किए गए थे?
इसको लेकर याचिका में शीर्ष अदालत के 3 जनवरी के निर्देशों के अनुसार अडानी-हिंडनबर्ग मामले में जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सेबी को निर्देश देने की माँग की गई है। इसमें केंद्र सरकार और सेबी दोनों को 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद शेयर बाजार में गिरावट और निवेशकों के नुकसान पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश देने की भी माँग की गई है।
राहुल गाँधी के आरोप
इस मामले में राहुल गाँधी ने 6 जून 2024 को कॉन्ग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए 4 जून की गिरावट को सबसे बड़ा शेयर बाजार गिरावट घोटाला कहा बताया था। उन्होंने कहा था कि फर्जी एग्जिट पोल के बाद शेयर बाजार को ऊपर धकेल दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया था कि 3 जून को बाजार में रिकॉर्ड लेनदेन देखा था और फिर एक दिन बाद वोटों की गिनती के समय बाजार में गिरावट आ गई।
उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चुनाव के दौरान पहली बार शेयर बाजार पर टिप्पणी की थी। उन्होंने सवाल किया था, “हम कुछ सवाल पूछना चाहते हैं: प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने शेयर बाज़ार में निवेश करने वाले 5 करोड़ परिवारों को विशेष निवेश सलाह क्यों दी? क्या लोगों को निवेश सलाह देना उनका काम है?”
उन्होंने कहा था, “दोनों साक्षात्कार एक ही मीडिया हाउस को क्यों दिए गए, जिसका स्वामित्व एक ही व्यापारिक समूह के पास है, जो शेयर बाजारों में हेराफेरी करने के लिए सेबी की जाँच के दायरे में भी है? भाजपा, फर्जी एग्जिट पोल करने वालों और संदिग्ध विदेशी निवेशकों के बीच क्या संबंध है, जिन्होंने एग्जिट पोल घोषित होने से एक दिन पहले निवेश किया और 5 करोड़ परिवारों की कीमत पर भारी मुनाफा कमाया?”
इस मामले की जाँच की जाँच के लिए जेपीसी की माँग करते हुए राहुल गाँधी ने इस घटनाक्रम को समझने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, “13 मई को शाह ने लोगों को ‘4 जून से पहले शेयर खरीदने’ की सलाह दी थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मई को कहा था कि शेयर बाजार 4 जून को सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा।”
उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जानता है कि एग्जिट पोल ‘फर्जी’ हैं, क्योंकि पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण ने भाजपा को 220 सीटें दी गई थीं। इतना ही नहीं, खुफिया एजेंसियों के आकलन में कहा गया था कि सत्तारूढ़ पार्टी 200 से 220 सीटें जीतेगी। उन्होंने कहा, “यह एक घोटाला है। किसी ने भारतीय खुदरा निवेशकों की कीमत पर हजारों करोड़ रुपए कमाए हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने खरीदने का संकेत दिया था और यह एक आपराधिक कृत्य है।”
पीएम और गृहमंत्री के बयान से शेयर बाजार का लेना-देना नहीं: एक्सपर्ट
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा शेयर बाजार को लेकर दिए बयान को लेकर शेयर बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि ये बयान सेबी के नियमों का उल्लंघन नहीं करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री और अमित शाह द्वारा दिया गया विशुद्ध राजनीतिक बयान है और इसमें व्यवसायिक विचार शामिल नहीं हैं और ना ही किसी शेयर को खरीदने या बेचने के लिए कहा गया है।
रेगस्ट्रीट लॉ एडवाइजर्स के सुमित अग्रवाल और सेबी के पूर्व अधिकारी ने ईटीमार्केट्स को बताया, “पीएम मोदी और अमित शाह द्वारा दिए गए बयान राजनीतिक प्रकृति के हैं। जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि ये बयान ‘व्यावसायिक विचारों’ या विशिष्ट ‘स्टॉक’ के संदर्भ में दिए गए थे, तब तक उन्हें सेबी (निवेश सलाहकार) विनियम, 2013 का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है।”
सेबी के निवेश सलाहकार विनियम 2013 के विनियमन 2(1)(l) के अनुसार, “निवेश सलाह का अर्थ है प्रतिभूतियों या निवेश उत्पादों में निवेश, खरीद, बिक्री या अन्यथा व्यवहार से संबंधित सलाह तथा प्रतिभूतियों या निवेश उत्पादों वाले निवेश पोर्टफोलियो पर सलाह और इसमें वित्तीय नियोजन शामिल होगा।”
नवभारत टाइम्स के हवाले से इकोनॉमी टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस कानून में यह भी कहा गया है कि समाचार पत्र, पत्रिकाओं, किसी इलेक्ट्रॉनिक या प्रसारण या दूरसंचार माध्यम के माध्यम से दी गई ऐसी कोई भी सलाह, जो जनता के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध हो, इन विनियमों के उद्देश्य के लिए निवेश सलाह नहीं मानी जाएगी।
निवेश सलाहकार विनियमन की धारा 4 (ए) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति, जो वित्तीय या प्रतिभूति बाजार या आर्थिक स्थिति में रुझानों के संबंध में सामान्य टिप्पणियाँ देता है, जहाँ ऐसी टिप्पणियाँ किसी विशेष प्रतिभूति या निवेश उत्पाद को निर्दिष्ट नहीं करती हैं, उसे सलाहकार के रूप में पंजीकरण लेने की आवश्यकता नहीं होगी।