राजस्थान की गहलोत सरकार ने रेप पीड़िता से रिश्वत में अस्मत माँगने वाले पुलिस अधिकारी को बर्खास्त करने के बजाय समय से पहले ही रिटायर कर दिया है। सरकार ने नरम रुख दिखाते हुए एसीपी कैलाश बोहरा को बर्खास्त करने के बजाय उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति (Compulsory Retirement) दे दिया है। इसके साथ ही उन्हें तीन महीने की एडवांस सैलरी भी दी गई है। गहलोत सरकार का ये फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है।
सोमवार को ही सदन कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में कैलाश बोहरा को बर्खास्त करने का ऐलान किया था। उन्होंने साफ किया था कि किसी भी वक्त बोहरा को बर्खास्त करने के आदेश जारी किए जा सकते हैं।
शांति धारीवाल के ऐलान से उलट यूटर्न लेते हुए गहलोत सरकार ने एसपी बोहरा को बर्खास्त करने की बजाय उन्हें कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया है। गृह विभाग की तरफ से शनिवार (मार्च 20, 2021) को इस बारे में आदेश जारी किया गया।
आरोपित पुलिस अधिकारी का रिटायरमेंट
रेप पीड़िता से रिश्वत में इज्जत माँगने वाले एसीपी कैलाश बोहरा को कंपलसरी रिटायरमेंट देने के मामले में सरकार ने हाई लेवल स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है। इसके साथ ही एसीपी बोहरा को तीन महीने की एडवांस सैलरी भी मिलेगी।
एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने RPF अफसर कैलाश बोहरा को रविवार (मार्च 14, 2021) को उनके ऑफिस में पीड़िता के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा। खबरों के अनुसार, पीड़िता ने जवाहर सर्कल थाने में किसी युवक के खिलाफ दुष्कर्म और धोखाधड़ी समेत 3 मामले दर्ज करवा रखे हैं।
इसी केस की जाँच का हवाला देकर अधिकारी बार-बार युवती को अपने ऑफिस बुलाता और कई बार ड्यूटी पूरी होने के बाद भी मिलने के लिए दबाव बनाता। युवती लंबे समय से अधिकारी के बर्ताव से परेशान थी। उसने एसीबी के डीजी बीएल सोनी से इसकी शिकायत की। डीजी ने बताया कि आरोपित अधिकारी महिला अत्याचार अनुसंधान यूनिट में बतौर प्रभारी सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) तैनात था।
युवती ने 6 मार्च को कैलाश बोहरा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। अपनी शिकायत में युवती ने कैलाश पर रिश्वत माँगने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसी के बाद एसीबी ने अधिकारी के ख़िलाफ़ उपयुक्त एक्शन लिया।
पहले कही गई थी बर्खास्तगी की बात
मामला सामने आने के बाद विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा था कि कैलाश बोहरा को बर्खास्त किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि ये मामला काफी रेयर है इसीलिए बिना किसी प्रक्रिया के उन्हें आसानी से बर्खास्त किया जा सकता है। लेकिन गहलोत सरकार ने नरमी दिखाते हुए उन्हें बर्खास्त करने की बजाय कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया है।