राजस्थान (Rajasthan) के करौली में विक्रम संवत से शुरू होने वाले हिंदू नववर्ष के दौरान एक रैली में हिंदुओं पर किया गया हमला सुनियोजित था। इसके कई पहलू सामने आ चुके हैं। पुलिस को पता था कि मुस्लिम मुहल्ले से रैली निकलने वाली है, फिर भी यह हिंसा हुई। कुछ लोगों का आरोप है कि जब उन पर हमला हो रहा था, तब भी पुलिस मूकदर्शक बनी थी। प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) ने इस सुनियोजित हिंसे को लेकर बयान दिया है।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि किरौली हिंसा के दौरान जिस तरह से पथराव किया गया, उससे साबित होता है कि हिंसा को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया और इसे रोका जा सकता था। राज्यपाल ने यह भी कहा कि पुलिस की कार्यशैली पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
It's unfortunate & condemnable. The manner in which stone pelting took place, I can say that it could've been pre-planned. It's being investigated, all facts will come to the fore. Govt should be careful & see that it doesn't happen again: Rajasthan Gov on Karauli stone-pelting pic.twitter.com/TyzVan8u1p
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) April 6, 2022
यह मामला राज्य के विधानसभा में भी गूँजा। मंगलवार (4 अप्रैल 202) को विधानसभा में प्रतिपक्ष के उप-नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि जलूस मार्ग पर अचानक हमला होना पुलिस प्रशासन की विफलता है। उन्होंने कहा कि जुलूस से पहले सैकडों मन पत्थर एकत्रित किये जाते हैं और फिर जुलूस दौरान अचानक मकान की छतों से हमला होता है। हमले के लिए पहले से ही लाठी, तलवार एकत्रित किये जाते हैं। इससे साबित होता है कि यह हिंसा सुनियोजित थी। उन्होंने कहा कि घटना के 45 मिनट बाद अतिरिक्त पुलिस बल पहुँचता है, जो प्रशासन की विफलता को दर्शाता है।
राठौड़ ने प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की एक चिट्ठी का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि PFI के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने एक अप्रैल को मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखकर कहा कि दो अप्रैल से चार अप्रैल तक पूरे प्रदेश में तनाव पैदा होगा और सांप्रदायिक सद्भाव भी बिगड़ेगा। इस चुनौती के बाद भी राज्य सरकार ने उसका कोई संज्ञान नहीं लिया।
PFI की चिट्ठी
राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखी चिट्ठी में मोहम्मद आसिफ ने कहा था, “दिनांक 2 से 4 अप्रैल तक राजस्थान के तमाम जिलों, तहसीलों और कस्बों में RSS और उनके अन्य संगठनों द्वारा हिन्दू नववर्ष के अवसर पर भगवा रैली आयोजित की जा रही है। इन रैलियों में धार्मिक उन्माद फैलाने वाले नारों को प्रतिबंधित करने, साम्प्रदायिक सौहार्द को बचाने, कानून-व्यवस्था को कायम रखने और इन आयोजनों को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा करवाने की माँग की जाती है।”
पीड़ितों ने सुनाई खौफनाक कहानी
इस हिंदू विरोधी हिंसा में घायल मोहन स्वामी ने बताया कि वे भी एक गाड़ी में बैठे और उसमें गाना बज रहा था। अचानक छतों पर से पत्थर बरसने लगे। घरों से लोग लोग लाठी-डंडे लेकर निकल आए और लोगों को मारने लगे। पत्थर लगने से कई बाइक सवार वहीं गिर गए। उनकी बाइकों में आग लगा दी। उन्होंने दैनिक भास्कर से कहा, “मुझे करौली में सब जानते हैं। उपद्रवियों के बीच से आवाज आई… यही इनका मुखिया है, मारो इसे। इसके बाद बदमाशों ने मुझ पर लाठियों से हमला कर दिया। किसी तरह से लोग मुझे बचाकर हॉस्पिटल में ले आए।”
वहीं, सौरभ नाम के एक शख्स ने बताया कि दंगों के दौरान उसका भाई अखिलेश गंभीर रूप से घायल हो गया है और वह हॉस्पिटल में भर्ती है। अखिलेश बाहर खड़ा होकर रैली देख रहा था, तभी पत्थर बरसने लगे। वह पत्थरों से बचने की कोशिश कर रहा था। इसी दौरान दंगाइयों ने सिर में पीछे से डंडा मारा। उसका हाथ फ्रैक्चर हो गया। उसने पास के एक मकान में छुपकर अपनी जान बचाई।
क्या हुआ था हिंदू नववर्ष के जुलूस में
करौली जिले के फूटा कोट इलाके में शनिवार (2 अप्रैल, 2022) को हिन्दू नववर्ष (नव संवत्सर) के उपलक्ष्य में मुस्लिम बहुल इलाके से एक बाइक रैली गुजर रही थी। इसी दौरान उन पर पथराव कर दिया गया। दुकानों और बाइकों को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना में 33 से अधिक लोगों और चार पुलिसकर्मियों के घायल होने की जानकारी भी सामने आई थी। वहीं, पुष्पेंद्र नाम के व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जा रही है। उसे जयुपर रेफर कर दिया गया है।
जिस मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदुओं पर पत्थर बरसाए गए वहाँ के मस्जिद पर, घरों में पहले से भारी-भारी ईंट-पत्थर इकट्ठा किए गए थे। लाठी-डंडों पर जुटाया गया था। हालात देखते हुए 7 अप्रैल तक कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। फिलहाल इस पूरी घटना के संबंध में 46 लोग पकड़े गए हैं। अन्य आरोपितों की तलाश जारी है।