हाल ही में राजस्थान के जयपुर में आदिवासी विकास परिषद का सम्मेलन आयोजित किया गया। यह आयोजन 2 दिन तक चला। इस आयोजन के दौरान एक किताब बाँटी गई, जिसका टाइटल था- ‘अधूरी आजादी’। ‘अधूरी आजादी’ नाम के इस किताब को लिखा है रिटायर्ड आईआरएस रूपचंद वर्मा ने। किताब के सामने आते ही यह विवादों में फँस गया है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पुस्तक में कई आपत्तिजनक बातें हैं। इसमें ब्राह्मणवाद से लेकर महात्मा गाँधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू तक के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं। महात्मा गाँधी को जहाँ रुढिवादी, नस्लभेदी, काइयाँ, दोहरे चरित्र का व्यक्ति और व्याभिचारी बताया गया तो वहीं पंडित नेहरू को परिवार और ब्राह्मणवाद को हवा देने वाला बताया गया। इसी तरह ब्राह्मणों के बारे में विवादित टिप्पणी करते हुए उन्हें यूरेशिया से आया हुआ आक्रांता बताया है।
किताब के पेज नंबर 9 पर महात्मा गाँधी के बारे में लिखा है, “लंगोटी पहन कर फकीरी के दावेदार गाँधी को उद्योगपति बिरला के दिल्ली स्थित आलीशान बँगले में निवास करने तथा ब्रह्मचरित्र का प्रयोग करने के लिए अपनी जवान पोती के साथ सोने से परहेज नहीं था।”
इतना ही नहीं, किताब के पेज नंबर 13 पर ब्राह्मणों पर विवादित टिप्पणी करते हुए लिखा है “मुट्ठीभर ब्राह्मण अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए मौके के हिसाब से रणनीतियाँ और चालें बदलते रहे हैं। यह सिलसिला बौद्धकाल से लेकर आज तक चालू है। बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रभाव से घबराए ब्राह्मणों ने क्रूरता की हदें लाँघ कर निहत्थे, अहिंसक बौद्ध भिक्षुओं का कत्लेआम किया। धर्म ग्रंथों को जलाया। नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालयों को बर्बाद किया। बौद्ध अनुयाइयों को अछूत घोषित कर उन्हें मैला उठाने के लिए मजबूर किया।”
इसके अलावा किताब में पंडित नेहरू को लेकर लिखा है कि उन्होंने आजाद भारत की बागडोर सँभालते ही ब्राह्मणवाद और परिवारवाद को खूब हवा दी। इतना ही नहीं, रूपचंद वर्मा ने अपनी किताब में गाँधी, नेहरू, कॉन्ग्रेस के दोगलेपन और धोखेबाजी के खुलासे की भी बात कही। उन्होंने कहा कि नेहरू ने अपनी कैबिनेट में किसी आदिवासी काे मंत्री नहीं बनाया। उनका ब्राह्मणवादी दोगलापन भूप्रबंधन, शिक्षा, कश्मीर समस्या, इंडियन सिविल सर्विस की अंग्रेज प्रशासनिक व्यवस्था में साफ दिखाई देता है।
रूपचंद वर्मा ने आजादी का श्रेय महात्मा गाँधी को दिए जाने पर भी सवाल उठाया और कहा कि षडयंत्रकारी बँटवारे के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में ‘पैशाचिक नरसंहार’ हुआ। करोड़ों लोगों की जान-माल की क्षति हुई। इसे ‘साबरमती के तथाकथित संत गाँधी की बिना खड़ग बिना ढाल की अहिंसक आजादी’ नहीं कह सकते हैं।
बता दें कि इस सम्मेलन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। हालाँकि वह उपस्थित नहीं हुए। इसमें बीजेपी और कॉन्ग्रेस नेता शामिल हुए थे। सम्मेलन में आयोजित सभी नेताओं को यह किताब बाँटी गई।