राजस्थान के कोटा में दिसंबर 2019 ने मासूमों की मौत का आँकड़ा 99 पहुँच गया। जहाँ पूरा देश नववर्ष के उल्लास में मग्न होकर खुशियाँ मना रहा है, कोटा में स्थिति एकदम उलट है। जब मंगलवार (दिसंबर 28, 2019) को राज्य के स्वास्थ्य सचिव स्थिति का अवलोकन कर रहे थे और बैठक कर रहे थे, तभी 5 घंटे के अंदर 4 बच्चों की मौत हो गई। जेके लोन हॉस्पिटल में 25 दिसंबर से लेकर 31 दिसंबर तक 22 बच्चों की मौत की खबर है। अस्पताल प्रशासन ने बताया है कि ज़्यादातर भर्ती किए गए बच्चे रेफरल हैं। बाराँ और कोटा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में अधिकतर नवजात हैं।
डॉक्टरों ने बताया है कि नवजात बच्चों में अधिकतर ऐसे हैं, जिन्हें जन्म से ही साँस लेने में तकलीफ है और जब उनकी साँस सही हुई तो उनके दिमाग पर इसका गहरा असर हो गया। डॉक्टर फ़िलहाल इसे ही बच्चों की मौत का कारण मान रहे हैं। बच्चों की मौत को लेकर लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला भी चिंतित हैं। उन्होंने मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन व विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। लोक सभाध्यक्ष ने बच्चों के मौत के बढ़ते आँकड़ों को चिंताजनक करार दिया। अस्पताल में न तो उचित संख्या में नर्सिंग स्टाफ हैं और न ही संसाधन हैं।
लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला कोटा से ही सांसद हैं। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो राज्य सरकार के साथ सामंजस्य बैठा कर काम करें और सुनिश्चित करे कि ज़रूरी उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराए जाएँ। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने राज्य सरकार को संवेदनशील होकर कार्य करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय लगातार निगरानी कर रहा है।
जयपुर से स्वास्थ्य मंत्रालय की 4 सदस्यीय टीम पहुँची। उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में दवाइयाँ फ्री मिलती हैं और लोग बाहर से इलाज के लिए यहाँ आते हैं। गहलोत ने टेस्ट और इलाज फ्री होने की बात करते हुए याद दिलाया कि उनकी सरकार ने ‘निरोगी राजस्थान’ का नारा दिया है।
अस्पताल में रोज़ाना नेताओं की मंडली तो पहुँच रही है लेकिन व्यवस्था जस की तस है। मंगलवार को 5 बच्चों की मौत स्थिति की गवाही देते हैं। नेताओं, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और मीडिया के लोगों की भीड़ लगातार अस्पताल में बनी हुई है। भीड़ के संक्रमण से बचने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। डॉक्टर इलाज छोड़ कर नेताओं के आवभगत में जुटे हैं। बीमारी से कराहते बच्चों के माता-पिता परेशान हैं। ‘राजस्थान पत्रिका’ के कोटा संस्करण के अनुसार, अस्पताल में कई कर्मचारी और स्टाफ वर्षों से जमे हुए हैं, जिन्हें बदला जाना आवश्यक दिख रहा है।
चिकित्सकीय उपकरणों व संसाधनों की कमी के कारण किसी भी शिशु की असमय मौत होना चिंताजनक है। चिकित्सकों की सलाह के अनुसार जनसहयोग से अगले 15 दिन में आवश्यक जीवन रक्षक उपकरणों व संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
— Om Birla (@ombirlakota) December 29, 2019
भाजपा ने भी स्थिति के अवलोकन के लिए तीन महिला सांसदों की एक टीम कोटा भेजी। भाजपा ने कहा कि उसके विधायकों ने 50 लाख रुपए की सहायता राशि दी है लेकिन कॉन्ग्रेस की तरफ़ से कोई देखने तक नहीं आया है। भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि जब बच्चों की मौत हो रही थी, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत झारखण्ड में जश्न मनाने गए हुए थे।